छत्रपति शिवाजी महाराज की गाथा को जन-जन तक पहुँचाने वाले साहित्यकार बाबासाहेब पुरंदरे का निधन, PM मोदी ने कहा- दिलों में जीवित रहेंगे

साहित्यकार बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर पीएम मोदी ने जताया दुख (साभार: Twitter-@narendramodi)

छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन-चरित्र को जन-जन तक पहुँचाने वाले मराठी के वरिष्ठ साहित्यकार शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे का सोमवार (15 नवंबर 2021) को सुबह करीब 5 बजे पुणे के दीनानाथ मंगेशकर मेमोरियल अस्पताल में निधन हो गया। पिछले तीन दिनों से वे काफी बीमार चल रहे थे। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, पुरंदरे को शनिवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ हालात गंभीर होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।

शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “मैं इस सूचना से दुखी हूँ और मेरे पास शब्द नहीं हैं। बाबासाहेब पुरंदरे का निधन इतिहास और संस्कृति की दुनिया में एक बड़ा शून्य छोड़ गया। उन्हीं की बदौलत आने वाली पीढ़ियाँ छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ेंगी। उनके अन्य कार्यों को भी याद किया जाएगा।”

उन्होंने एक ट्वीट में शोक जताते हुए कहा, “शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे अपने व्यापक कार्यों के कारण जीवित रहेंगे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”

बाबासाहेब पुरंदरे के निधन के बाद छात्रपति शिवाजी महाराज पर किए गए उनके कार्यों को लेकर सोशल मीडिया पर लोग उन्हें याद कर रहे हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया, “छत्रपति शिवाजी महाराज की गाथा को पीढ़ी दर पीढ़ी बताने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है।”

इतिहासकार विक्रम संपत ने दुख जताते हुए लिखा, “भारतीय इतिहासलेखन के एक महान युग का अंत… एक बौद्धिक दिग्गज, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और समय को पुनर्जीवित करने के लिए अथक प्रयास किया। शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे जी को भावभीनी श्रद्धांजलि। ओम शांति।”

भारत सरकार के सूचना आयुक्त ने ट्वीट करते हुए लिखा, “लोकमान्य तिलक के बाद 20वीं सदी में छत्रपति शिवाजी को अपने प्रचार-प्रसार से अमर करने में अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्ति नहीं रहे। शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर उन्हें मेरी श्रद्धांजलि। एक बार मेरे अहमदाबाद स्थित घर पर मुझे उनकी अगवानी का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह देश के लिए अहम क्षति है।”

उल्लेखनीय है कि 29 जुलाई 1922 को पुणे के नजदीक ससवाड़ में जन्मे पुरंदरे को 2019 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2015 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार दिया गया था। पुरंदरे बेहद कम उम्र में ही छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से मोहित हो गए थे और उन्होंने उन पर काफी रिसर्च कर निबंध और कहानियाँ लिखीं, जो बाद में एक पुस्तक ‘थिनाग्य’ (स्पार्क्स) में प्रकाशित हुईं

अपने लेखन और थिएटर करियर के आठ दशकों में पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी पर 12,000 से अधिक व्याख्यान दिए, मराठा साम्राज्य के सभी किलों और इतिहास का अध्ययन किया, जिससे उन्हें इस विषय पर काफी महारथ हासिल हो गई। उन्होंने एक ऐतिहासिक नाटक ‘जांता राजा’ (1985) लिखा और निर्देशित किया, जो 200 से अधिक कलाकारों द्वारा प्रदर्शित एक नाट्य कृति है। इसका पाँच भाषाओं में अनुवाद और मंचन किया गया है। उन्होंने महाराष्ट्र, गोवा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में 1250 से अधिक स्टेज शो किए। 

पुरंदरे की प्रमुख कृतियों में ‘राजे शिवछत्रपति’, ‘जांता राजा’, ‘महाराज’, ‘शेलारखिंड’, ‘गडकोट किल्ले’, ‘आगरा’, ‘लाल महल’, ‘पुरंदर’, ‘राजगढ़’, ‘पन्हलगढ़’, ‘सिंहगढ़’, ‘प्रतापगढ़’, ‘पुरंदरयांची दौलत’, ‘मुजर्याचे मंकारी’, ‘फुलवंती’, ‘सावित्री’, ‘कलावंतिनिचा सज्जा’हैं। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया