खेतों के रास्ते राशन लेने जा रहे लोग, मरीजों को पूछने वाला भी कोई नहीं: ‘किसान आंदोलन’ से 50000 ग्रामीण संकट में

'किसान आंदोलन' (प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: PTI)

जैसे-जैसे ‘किसान आंदोलन’ तेज हो रहा है, वैसे-वैसे दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर स्थित गाँवों के लोगों की परेशानियाँ भी बढ़ती जा रही हैं। सोनीपत जिले में स्थित कुंडली गाँव की भी यही कहानी है। पिछले 2 दिनों में यहाँ आने वाले किसानों की संख्या दोगुनी हो गई है, जिससे ग्रामीण हलकान हैं। लोगों का अपने ही घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। उनके घर में राशन-पानी कम है, लेकिन वो बाहर नहीं निकल सकते।

‘अमर उजाला’ में प्रकाशित अंकित चौहान की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, किसानों ने गाँव में कुछ इस तरह से डेरा डाल रखा है कि जहाँ पहले कम से कम एक बाइक निकलने की जगह बची थी, अब वो भी जगह नहीं है। पूरा सड़क जाम पड़ा हुआ है। बाइक और साइकल तो छोड़िए, पैदल चलने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। सिर्फ कुंडली ही नहीं, आस-पास के अन्य गाँवों के लोग भी खेतों के रास्ते राशन-पानी लेने जा रहे हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर स्थित कुंडली गाँव व उसके आस-पास पिछले 16 दिनों से किसानों ने तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की माँग के साथ धरना दे रखा है। पंजाब के 25,000 किसानों के पहुँचने से शुरू हुआ धरना अब और विशाल होता जा रहा है, क्योंकि ये किसान संगठन दूर-दूर से किसानों को उकसा कर बुलाने में लगे हुए हैं। लगभग 7 किलोमीटर तक की दूरी पर किसानों ने अपना डेरा जमा रखा है।

कुंडली व आस-पास के रसोई, नाथूपुर, प्याऊ मनियारी, सफियाबाद और नांगल गाँवों के ग्रामीण पहले बची-खुची जगह का इस्तेमाल कर के ज़रूरी सामान लेने बाहर निकलते थे, अब उनके लिए वो जगह भी नहीं रही। वो खेतों के रास्ते दूसरे गाँवों में जाकर खरीददारी कर रहे हैं। कुंडली के लोगों को ज्यादा मुश्किल है क्योंकि वहाँ तो दुकान, क्लीनिक, मॉल और शोरूम वगैरह उसी दिन से बंद हैं, जिस दिन ‘किसान आंदोलन’ शुरू हुआ था।

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पहले कुछ दिनों तक किसानों के डर से स्वतः ही इन प्रतिष्ठानों को बंद कर दिया गया। इसके बाद प्रशासन ने सतर्कता बरतने के लिए उन्हें बंद करवा दिया है। करीब 50,000 लोग ऐसे हैं, जिन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है। एक व्यक्ति ने पूछा कि क्लिनिक बंद होने से मरीजों को कहाँ लेकर जाएँगे? एक शिक्षक ने बताया कि अब स्कूल भी जाना संभव नहीं रहा। सफियाबाद के सरपंच ने बताया कि किसानों के बैरियर लगाने से मरीज हलकान हैं।

उधर चिल्ला सीमा पर दिल्ली में चल रहे ‘किसान आंदोलन’ के बीच प्रदर्शनकारी संगठन अब आपस में ही सिर-फुटव्वल पर उतर आए हैं। ‘भारतीय किसान यूनियन (BKU) के भानु गुट के नेताओं में तकरार की खबर है। प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप ने किसान नेता व संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह की बात मानने से साफ़ इनकार कर दिया। प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए बिना ये आंदोलन किसी भी हाल में ख़त्म नहीं किया जाएगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया