पादरी और नन दोनों हत्यारे करार, सिस्टर अभया को मिला इंसाफ: 4 बजे भोर में देख लिया था आपत्तिजनक अवस्था में

सिस्टर अभया मामले में आरोपित थॉमस कुट्टूर और सिस्टर सेफी (चित्र साभार: मातृभूमि ऑनलाइन)

28 साल के इंतजार के बाद आज (दिसंबर 22, 2020) तिरुवनंतपुरम की सीबीआई कोर्ट ने सिस्टर अभया की संदिग्ध मौत के मामले में अपना फैसला आखिरकार सुना ही दिया। कोर्ट ने इस केस में फादर थॉमस कोट्टूर (Father Thomas Kottoor) और सिस्टर सेफी (Sister Sephy) पर अभया सिस्टर को मारने के लिए आरोप तय कर दिए। अब इनकी सजा गुरुवार (दिसंबर 24, 2020) को तय की जाएगी।

बता दें कि साल 2019 में मुख्य गवाह के मुकरने के बाद भी फादर थॉमस और सिस्टर सेफी को दोषी बनाया गया है। अभियोजन पक्ष के लिए मुख्य गवाह से डील करना सबसे बड़ी चुनौती में से एक था। वहीं दूसरी ओर चर्च भी इन दोनों धार्मिक हस्तियों पर लगे आरोपों की गंभीरता समझने के बाद भी इन्हें निर्दोष बता रही थी।

क्या है सिस्टर अभया का पूरा मामला?

27 मार्च 1992 को सेंट पायस कॉन्वेंट (Pious X Convent) के कुएँ में सिस्टर अभया मृत मिली थी। इसी पायस कॉन्वेंट में पढ़ने वाली बिना थॉमस को सिस्टर अभया नाम दिया गया था। शुरुआत में मामले की जाँच स्थानीय पुलिस और राज्य अपराध शाखा ने की थी, जिसमें पहले पूरे मामले को आत्महत्या कहकर फाइल को बंद कर दिया गया। लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ता जोमोन पुथेनपुराकल के संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद 29 मार्च, 1993 को इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया।

CBI ने वर्ष 2008 में कोट्टूर, पूथरुकायिल और सेफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस हत्या को आत्महत्या साबित करने के अगले दो दशकों तक इस केस में कोई नई जानकारी नहीं आई। इसके बाद सीधे 27 साल बाद यानी साल 2019 में इस मामले की फिर से सुनवाई शुरू हुई और एक-एक कर गवाह मुकरने लगे। 

सिस्टर अभया हत्या मामले में अहम फैसले से एक दिन पहले ही इस केस के मुख्य गवाह राजू उर्फ ​​अदकाका राजू ने एक समाचार चैनल को बताया कि उसे पुलिस अधिकारियों द्वारा इस अपराध के लिए कई दिनों तक प्रताड़ित किया।

दरअसल, सिस्टर की हत्या के दिन राजू, जो कि एक छोटा-मोटा चोर था, वह बिजली का सामान चुराने कॉन्वेंट में घुसा था और हादसे के दौरान कॉन्वेंट परिसर में मौजूद था। बाद में, राजू ने कथित तौर पर सीबीआई अधिकारियों को बताया कि उसने रहस्यमय परिस्थितियों में कॉन्वेंट में दो पादरी (प्रीस्ट) और एक नन को देखा। उसने बताया, “मुझे बहुत पीड़ा हुई। मुझे अपराध कबूलने के लिए कहा गया, लेकिन मैंने इनकार कर दिया। मैं चाहता हूँ कि सच्चाई सामने आए।”

सीबीआई ने इस मामले में कैथोलिक पादरी थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी पर चार्जशीट दायर की। इन लोगों पर हत्या, सबूत नष्ट करने, आपराधिक साजिश और अन्य आरोप लगाए गए। एक अन्य आरोपित फादर जोस पूथरुकायिल को पिछले साल अदालत ने सबूत न मिलने के कारण छोड़ दिया था।

इस मामले में वर्ष 2007 में CBI ने तीनों आरोपितों का NARCO टेस्ट भी किया और कहा गया कि इसकी रिपोर्ट के साथ भी छेड़छाड़ की गई। इसके बाद, आखिरकार वर्ष 2008 में आरोप-पत्र दायर किया गया और नवंबर, 2008 में तीनों आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। हालाँकि, एक ही माह बाद उन्हें जमानत भी मिल गई।

आरोप पत्र में क्या है?

सीबीआई के आरोप-पत्र के अनुसार, घटना के दिन सिस्टर अभया एग्ज़ाम के लिए सुबह के चार बजे उठी और पानी लेने किचन में गईं। अभया ने दो पादरियों और एक नन- थॉमस कुट्टूर, जोस पूथरुकायिल, और सिस्टर सेफी को ‘आपत्तिजनक स्थिति’ में पाया। सिस्टर अभया ये बात किसी को बता न दें, इस डर से तीनों ने मिलकर उस पर हमला किया और सिस्टर अभया बेहोश हो गई। इसके बाद तीनों ने मिलकर उसे कुऍं में डाल दिया।

घटना के समय फादर थॉमस ने कथित तौर पर रसोई में उसका गला घोंट दिया, जबकि तीसरे आरोपित ने उस पर कुल्हाड़ी से वार किया। इसके बाद फादर जोस सहित तीनों लोगों ने फिर उसे एक कुएँ में फेंक दिया, जबकि वह तब भी जिन्दा थी। सिस्टर अभया की डूबने से मौत हो गई। हमले के समय एक पानी की बोतल किचन में गिर गई थी, उनके बाहर निकलते समय दरवाजे के नीचे एक कपड़ा मिला था और रसोई में विभिन्न स्थानों पर पाए गए अभया के चप्पल सभी सबूत का हिस्सा बने।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया