पंजाब में पराली जलाने की घटनाएँ 10000 के पार, पिछले साल के मुकाबले 25% बढ़ गए केस: बोली BJP – AAP दीवाली को करती है बदनाम

पंजाब में पराली जलाने की घटनाएँ 10,000 के पार हुईं, प्रदूषण का असली कारण यही (फोटो साभार: Tribune India)

मौजूदा मौसम में पंजाब में पराली जलाने की घटनाएँ 10,000 के पार हो गई हैं। उधर नवाँशहर पहुँचे राज्य के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल कह रहे हैं कि राज्य की AAP सरकार ने किसानों को पराली के प्रबंधन के लिए सब्सिडी पर 1.33 लाख उपकरण मुहैया कराए हैं। जबकि वास्तविकता ये है कि अकेले शुक्रवार (28 अक्टूबर, 2022) को राज्य में पराली जलाने की 2000+ घटनाएँ सामने आई हैं। ये अब तक एक दिन में रिकॉर्ड है।

अगर समान अवधि की ही बात करें तो पिछले साल के मुकाबले इस साल पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 26.5% की वृद्धि दर्ज की गई है। शुक्रवार को 2067 जगह पराली जलाया जाना एक नया रिकॉर्ड है। पराली जलाने की कुल घटनाओं की संख्या अब 10,214 के पार चली गई है। जबकि पिछले वर्ष 15 सितंबर से लेकर 28 अक्टूबर तक इसी अवधि में ऐसी 7503 घटनाएँ सामने आई थीं। शुक्रवार को सबसे ज्यादा मामले संगरूर में सामने आए।

जिले में पराली जलाने की एक दिन में 296 मामले सामने आए। इसके बाद पटियाला का स्थान आता है, जहाँ 274 जगह पराली जलाई गई। तीसरे नंबर पर तरनतारण जिले में 258 जगह से पराली जलाने की घटनाएँ सामने आईं। इसी तरह कपूरथला (137), फ़िरोजपुर (131), बठिंडा (124) और जालंधर (116) भी पीछे नहीं रहा। पठानकोट अकेले ऐसा जिला है, जहाँ से पराली जलाने की कोई भी घटना सामने नहीं आई।

अब तक के कुल आँकड़ों की बात करें तो इस साल सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएँ तरनतारण (1996) में सामने आई हैं। इसी तरह अमृतसर में पराली जलाने की 1245, पटियाला में 1059 और संगरूर में 760 मामले सामने आए हैं। खास बात ये भी है कि संगरूर में 760 में से 550 मामले पिछले 3 दिनों में ही सामने आए हैं। अकेले पंजाब के 10 जिले राज्य में पराली जलाने की 83% घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।

इनमें से 5 जिले मालवा में आते हैं, जबकि 2 दोआब और 3 माँझा में स्थित हैं। हरियाणा में पराली जलाने के मामले में सुधार हुआ है। जहाँ पिछले साल इस तरह की 2252 घटनाएँ सामने आई थीं, इस साल आँकड़ा 24% की गिरावट के साथ 1701 पर है।2021 में दिल्ली में पराली जलाने के एक भी मामले नहीं थे, जबकि इस साल यहाँ भी ऐसी 5 घटनाएँ हुई हैं। मध्य प्रदेश में भी 14% की गिरावट दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश में भी मामले घटे हैं।

भाजपा इसे लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हमलावर हैं, जो पिछले साल तक पंजाब-हरियाणा को दोष देते फिरते थे और इस साल चुप्पी साध कर दीवाली के पटाखे प्रतिबंधित करने में लगे रहे। दिल्ली में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने में नाकाम रही है और यमुना साफ़ करने के नाम पर उसमें ज़हरीला सिलिकॉन डिफॉमर डाल रही है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी कहा कि प्रदूषण का कारण पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि है, लेकिन हिन्दू विरोधी AAP दीवाली को बदनाम करती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया