कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो का हवाला दे CJI रमना ने की महिलाओं की 50% आरक्षण की वकालत, कहा- ‘दुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ’

चीफ जस्टिस एनवी रमना (साभार: डेक्कन हेराल्ड)

न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी पर भारत के मुख्य न्यायधीश एनवी रमना चिंतित हो गए हैं। उन्होंने महिलाओं को न्यायपालिका में उनके लिए 50 फीसदी आरक्षण की माँग करने के लिए प्रोत्साहित किया। सीजेआई ने कहा कि महिला आरक्षण की माँग करना उनका अधिकार है और फिलहाल महिलाओं के पास खोने के लिए कुछ नहीं है।

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश ने कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स के कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो के एक प्रसिद्ध उद्धरण का हवाला दिया। जिसमें कहा गया है, ‘दुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ!’

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CJI ने टिप्पणी की कि उच्च न्यायालय में केवल 11 प्रतिशत महिला न्यायाधीश हैं। निचली न्यायपालिका में यह संख्या 30 के दशक में है और सर्वोच्च न्यायालय में 33 में से केवल 4 न्यायाधीश महिलाएँ हैं।

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, “इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है। लोग उन कठिनाइयों का हवाला देंगे, जिनका सामना महिलाओं को पूरी तरह से प्रतिनिधित्व करने के लिए करना पड़ता है। यह सही नहीं है। मैं सहमत हूँ कि क्लाइंट की पसंद है, लेकिन असहज माहौल और बुनियादी ढाँचे की कमी कानूनी पेशे में महिलाओं के लिए सबसे बड़े मुद्दे हैं। 60,000 न्यायालयों में, 22 फीसदी में शौचालय तक नहीं है, जिसके कारण महिला अधिकारी भी पीड़ित हैं।”

मुख्य न्यायधीश ने बताया कि कोरोना की वजह से बंद किए गए कोर्ट फिर से खुल रहे हैं। दशहरे से वहाँ पर सुनवाई शुरू हो जाएगी। उन्होंने और अधिक महिलाओं के न्यायपालिका में शामिल होने की आशा व्यक्त की ताकि 50% प्रतिनिधित्व जल्द ही मिल सके।

महीने में दूसरी बार चीफ जस्टिस ने उठाया मुद्दा

रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने में ऐसा दूसरी बार है जब मुख्य न्यायधीश सीवी रमना ने महिलाओं की भागीदारी का मुद्दा उठाया है। इससे पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा था कि आजादी के 75 साल पूरे होने के बाद भी महिलाओं की भागीदारी केवल 11 फीसदी पर सिमटी हुई है, जबकि इसे 50 फीसदी होना चाहिए था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया