इलाके में रहते हैं ‘अन्य समुदाय’ के लोग – राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का टेलीकास्ट रोकने के लिए नहीं चलेगा ये बहाना: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को लताड़ा

सुप्रीम कोर्ट (फोटो साभार : ईटी)

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की नेतृत्व वाली तमिलनाडु की DMK सरकार ने 22 जनवरी को अयोध्या में हो रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रमों के लाइव टेलीकास्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब स्टालिन सरकार के इस कदम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 22 जनवरी 2024 को एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस शीर्ष न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस भेजा है।

तमिलनाडु भाजपा के एक नेता द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार ने इस अवसर पर सभी प्रकार की पूजा-अर्चना, भजन और अन्नदान पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार पुलिस-प्रशासन एवं अधिकारियों के माध्यम से अपनी शक्ति का मनमाना प्रयोग कर रही है। याचिका में कहा गया है कि सरकार का यह कदम संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने तमिलनाडु सरकार के उस मौखिक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर राज्य सरकार एवं अन्य को नोटिस जारी किया है। इस पर तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि याचिका सिर्फ राजनीति से प्रेरित है।

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि अनुमति को केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि इलाके में अन्य समुदाय रह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि यह एक समरूप समाज है और इसे केवल इस आधार पर न रोकें कि उस जगह पर अन्य समुदाय के लोग भी रहते हैं।

तमिलनाडु सरकार की ओर से कोर्ट में पेश अमित आनंद तिवारी ने कहा कि सरकार ने ऐसा कोई मौखिक आदेश नहीं है और राम मंदिर प्रतिष्ठा के अवसर पर पूजा आदि के सीधे प्रसारण पर कोई प्रतिबंध नहीं है। तिवारी ने कहा, “हम मानते हैं और विश्वास करते हैं कि अधिकारी कानून के अनुसार कार्य करेंगे, न कि मौखिक निर्देशों के अनुसार।”

बताते चलें कि 21 जनवरी 2024 को X पर सीतारमण ने कहा, “तमिलनाडु सरकार ने 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर के कार्यक्रमों के लाइव प्रसारण को देखने पर प्रतिबंध लगा दिया है। TN में श्री राम के 200 से अधिक मंदिर हैं। HR&CE प्रबंधित मंदिरों में श्री राम के नाम पर किसी भी पूजा/भजन/प्रसादम/अन्नदानम की अनुमति नहीं है। पुलिस निजी तौर पर संचालित मंदिरों को भी कार्यक्रम आयोजित करने से रोक रही है। वे आयोजकों को धमकी दे रहे हैं कि वे पंडाल तोड़ देंगे। इस हिंदू विरोधी, घृणित कार्रवाई की कड़ी निंदा करती हूँ।”

सीतारमण ने अपने एक्स थ्रेड में आगे लिखा कि लोगों को भजन आयोजित करने, गरीबों को खाना खिलाने, मिठाइयाँ बाँटने और जश्न मनाने से रोका और धमकाया जा रहा है, जबकि वे केवल अयोध्या में राम मंदिर अभिषेक समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी को देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार अनौपचारिक लाइव टेलीकास्ट प्रतिबंध को उचित ठहराने के लिए कानून व्यवस्था के बिगड़ने का दावा कर रही है, जो कि झूठी और फर्जी कहानी है!

उन्होंने कहा, “अयोध्या फैसले के दिन कानून-व्यवस्था की कोई समस्या नहीं थी। देश-भर यह समस्या उस दिन भी नहीं थी जब माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया था। तमिलनाडु में प्रभु श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव मनाने के लिए लोगों में उमड़े स्वैच्छिक भागीदारी और भावना ने हिंदू विरोधी DMK सरकार को बेहद परेशान कर दिया है!”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया