तमिलनाडु के कोयंबटूर में 7 मंदिरों पर चला बुलडोजर: देखिए Video, झील का कायाकल्प करने के नाम पर कार्रवाई

कोयंबटूर में मंदिरों को किया गया ध्वस्त

तमिलनाडु के कोयंबटूर में निगम ने मंगलवार (जुलाई 13, 2021) को शहर के मुथन्ननकुलम तालाब के उत्तरी बाँध पर मौजूद 7 मंदिरों को विकास के नाम पर ध्वस्त कर दिया। प्रशासन ने कथिततौर पर यह फैसला स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत झील के कायाकल्प और विकास के लिए लिया।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, निगम अधिकारियों ने अम्मान कोविल, बन्नारी अम्मान कोविल, अंगला परमेश्वरी, करुपरायण कोविल, मुनीस्वरन कोविल और कुछ अन्य मंदिरों को ध्वस्त करने के लिए अर्थमूवर और भारी मशीनरी का इस्तेमाल किया।

प्रशासन ने इस कदम को उठाने से पहले साल 2020 में झील के आस-पास अतिक्रमण का हवाला देते हुए अपनी कार्रवाई की थी। उस समय करीब 2,400 परिवारों को वहाँ से हटाकर उनके घर ध्वस्त किए गए थे। इन सभी लोगों को स्लम क्लीयरेंस बोर्ड परियोजनाओं में वैकल्पिक आवास प्रदान किया गया था।

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मीडिया खबरों की मानें तो निगम सूत्रों ने बताया है कि मुथन्ननकुलम बाँध को सभी अतिक्रमणों से मुक्त कराने के लिए प्रशासन ने मंदिरों पर कार्रवाई की। इससे पहले कानून व्यवस्था को देखते हुए आस-पास के इलाकों से लोगों को स्थानांतरित कर दिया गया था।

बताया जा रहा है कि कार्रवाई के दौरान मौके पर भारी पुलिस बल तैनात था जिसका काम विरोध करने वाले लोगों पर एक्शन लेना था। कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस दौरान 150 लोगों को विरोध करने पर हिरासत में लिया गया, कुछ का कहना है कि 250 लोगों को पकड़ा गया।

उल्लेखनीय है कि हिंदू मंदिरों के टूटने से हिंदूवादी संगठनों में रोष है। इनके एक नेता केसी धनपाल ने कहा, “जब हम निगम से मूर्तियों की पूजा के लिए एक वैकल्पिक स्थल उपलब्ध कराने की माँग कर रहे थे, उसी दौरान सुबह छह बजे कुमारसामी नगर निगम ने मंदिरों को गिराना शुरू कर दिया।”

वहीं, इस मामले के प्रकाश में आने के बाद नेटीजन्स सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा दिखा रहे हैं। एक सोशल मीडिया यूजर ने दावा किया कि ध्वस्त किए गए मंदिरों में से एक मंदिर सौ साल से भी ज्यादा पुराना था। एक अन्य यूजर ने तमिलनाडु में सरकारी और निजी पार्टियों द्वारा अतिक्रमण की गई 5 लाख एकड़ से अधिक मंदिर भूमि की स्थिति पर सवाल उठाया है।

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एक यूजर ने कहा ने बताया कि इसी तरह कुछ माह पहले शिवमंदिर पर बुलडोजर चला दिया गया था वो भी ये कहकर कि वो रेलवे ट्रैक के पास है, इसका क्या मतलब हुआ। सिर्फ 5-6 लोग प्रदर्शन करने आए।

https://twitter.com/EricMChai1/status/1415377258013810692?ref_src=twsrc%5Etfw

इसके अलावा कुछ लोग रेलवे स्टेशन के पास बने मजार की तस्वीरें शेयर करके भी प्रशासन से सवाल कर रहे हैं। उनका पूछना है कि आखिर इनपर कार्रवाई क्यों नहीं होती। लोगों का दावा है कि प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर बीच में एक मजाक बनी हुई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया