दलित महिला ने बनाया खाना, पिछड़ा/अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों ने खाने से किया मना: DM की चेतावनी के बाद भी नहीं माने, कहा- स्कूल छोड़ देंगे

करूर जिले के वेलन चेट्टियार गाँव के पंचायत यूनियन प्राइमरी स्कूल पहुँचे कलेक्टर प्रभुशंकर (फोटो साभार- thenewsminute)

तमिलनाडु के एक सरकारी स्कूल में छात्रों ने दलित महिला कुक के हाथों से बना खाना खाने से मना कर दिया। ये घटना राज्य के करूर जिले के अरवकुरिची के पास वेलन चेट्टियार गाँव के पंचायत यूनियन प्राइमरी स्कूल की है।

यहाँ स्कूल के आधे छात्रों ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की तरफ से राज्य के सरकारी स्कूलों में हाल ही में शुरू की गई मुफ्त नाश्ता योजना के तहत परोसे गए नाश्ते को खाने से इनकार कर दिया। इसे लेकर करूर जिला कलेक्टर प्रभुशंकर मंगलवार (5 सितंबर, 2023) को स्कूल का दौरा किया, लेकिन अभिभावकों ने कहा कि अगर स्कूल जोर देगा तो वे अपने बच्चों को स्कूल से निकालने को तैयार हैं।

मजबूरन उन्हें अभिभावकों को चेतावनी देने को मजबूर होना पड़ा। उन्होंने अभिभावकों से बातचीत की और उन्हें चेतावनी दी कि यदि वे सरकार के नियुक्त रसोइये के साथ भेदभाव करना जारी रखेंगे तो उन्हें नतीजे भुगतने होंगे। उन पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने सहित सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

पिछड़ी जाति-अति पिछड़ी जाति के अभिभावकों को ऐतराज

वेलन चेट्टियार गाँव के पंचायत यूनियन प्राइमरी स्कूल में 30 छात्र हैं। इनमें से 15 छात्रों के अभिभावकों ने उन्हें स्कूल में नाश्ता करने से मना किया। अधिकारियों के मुताबिक, पिछड़ी जाति और अति पिछड़ी जाति समुदायों से संबंधित कुछ माता-पिता ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने से इनकार कर दिया था। उन्होंने अपने बच्चों को सरकार की तरफ से दिए जा रहे नाश्ते खाने से रोक दिया।

अभिभावकों ने ये फैसला केवल इसलिए लिया कि सरकार की तरफ से स्कूल में नियुक्त की गई दलित महिला कुक ने ये खाना पकाया था। दलित समुदाय की कुक के साथ जाति-आधारित भेदभाव की घटना के बाद कलेक्टर प्रभुशंकर टी गुनालन स्कूल पहुँचे। उन्होंने वहाँ एकजुटता दिखाने के तौर पर स्कूल की रसोईयाँ के हाथों से बना नाश्ता खाया। दरअसल महिला कुक अरुंथथियार समुदाय से हैं। ये समुदाय अनुसूचित जाति के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।

डीएम की हुई तीखी बहस

टीएनएम से कलेक्टर प्रभुशंकर ने कहा, “यह मुद्दा हमारी जानकारी में तब आया जब हमें पता चला कि योजना शुरू होने के बाद से आधे छात्रों ने कुछ दिनों तक स्कूल में नाश्ता नहीं किया। जब हमारे एक अधिकारी ने वहाँ जाकर मामले के बारे में पूछताछ की, तो हमें पता चला कि ये हिंदुओं और अरुंथथियारों के बीच का मुद्दा था और वे स्कूल में दलित महिला के रसोइया होने का विरोध करते हैं।

कलेक्टर प्रभुशंकर टी गुनालन ने छात्रों को नाश्ता खाना से मना करने वाले उनके अभिभावकों से बातचीत कर उन्हें समझाने की कोशिश की। लेकिन इस दौरान थोटिया नाइकर समुदाय (अति पिछड़ी जाति) के एक शख्स ने दलित महिला स्कूल में खाना पकाने पर खासा विरोध किया।

कलेक्टर ने कहा, “चर्चा के दौरान, थोटिया नायकर समुदाय के एक शख्स को छोड़कर, अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को नाश्ता योजना का लाभ उठाने के लिए स्कूल भेजने पर राजी हुए।।” उन्होंने बताया कि थोटिया नायकर समुदाय के इस शख्स ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वह अपने बच्चों को नाश्ता नहीं करने देंगे।

थोटिया नायकर समुदाय के इस ने शख्स कहा कि अगर वह स्कूल में काम करना जारी रखेगी, तो उसके बच्चे खाना नहीं खाएँगे। इस बात को लेकर उसकी कलेक्टर से तीखी बहस हुई। इसके बाद कलेक्टर ने पुलिस को उसे थाने ले जाने का निर्देश दिया।

कलेक्टर ने खुलासा किया कि इस पर उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहाँ उन्हें महिला के खिलाफ जातिगत भेदभाव न करने के लिए कहा गया। इसके साथ ही चेतावनी दी गई कि उनके खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की जा सकती है। हालाँकि बाद में उसे छोड़ दिया गया।

दरअसल, इस घटना की जानकारी के बाद नाश्ता योजना के निदेशक श्रीनिवासन ने नाश्ते का विरोध करने वाले 15 छात्रों के माता-पिता से अनुरोध किया था कि वे अपने बच्चों को स्कूल में नाश्ता करने की अनुमति दें। हालाँकि, अभिभावक अनुरोध पर सहमत नहीं हुए। स्कूल में 30 अगस्त से केवल दो छात्रों ने खाना खाना शुरू किया। इससे इस मामले ने तूल पकड़ लिया।

गौरतलब है कि ये नई नाश्ता योजना 25 अगस्त 2023 को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए शुरू की थी। इस योजना के तहत राज्य भर में कुल 17 लाख छात्रों को फायदा मिलेगा। तमिलनाडु सरकार ने इस योजना के लिए 404.41 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया