राजस्थान में गाय-गोशाला के नाम पर फर्जीवाड़ा: 1 भी गाय नहीं पर सरकार ने दिए करोड़ों, गुल रोशन जैसे नाम भी

गोशाला में एक भी गाय नहीं, फिर भी उठा रहे सरकारी अनुदान (प्रतीकात्मक चित्र)

राजस्थान में गाय और गोशाला के नाम पर एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। ऐसे 12 गोशाला का पता चला है जहाँ एक भी गोवंश नहीं था। फिर भी वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे थे।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक जैसलमेर में पशुपालन विभाग की टीम के निरीक्षण में ऐसे गोशाला की पोल खुली। कुल 25 गोशाला का फिजिकल सत्यापन हुआ। इनमें 12 फर्जी पाए गए। लेकिन, ये प्रत्येक वर्ष अनुदान की राशि उठा रहे थे।

रिपोर्ट में बताया गया है कि काठोड़ी उत्थान संस्थान और जंज विकास संस्थान द्वारा ​संचालित गोशाला में निरीक्षण के दौरान एक भी गोवंश नहीं था। यही हाल लखा गाँव में संचालित रता बाबा गौशाला विकास संस्थान और जैसुराणा में चानणे विकास एवं सेवा संस्थान के गोशाला का भी था। रिपोर्ट के अनुसार चांधन के मंगलियों की ढ़ाणी में संचालित अमन गोशाला, जैसुराणा के गुल रोशन गोशाला जैसी जगहों पर भी एक भी पशु नहीं मिले। इनमें से हरेक ने गोवंश के नाम पर लाखों के अनुदान उठाए हैं।

वहीं ‘ख्वाजा गरीब नवाज गोशाला’ में पिछले साल के 273 की तुलना में इस साल 26, ‘मोहम्मद गोशाला सूजियों की ढाणी’ में पिछले साल 205 की तुलना में इस साल 72, भागु गाँव की ‘जैसाण कादरी गोशाला’ में पिछले साल की 535 की तुलना में 230, जैसुराणा की ‘दीन मोहम्मद गोशाला’ में पिछले साल की 381 की तुलना में इस साल 170, ‘जन्नत गोशाला’ में पिछले साल की 418 की तुलना में 80 व ‘सिकंदर गोशाला’ में पिछले साल 455 की तुलना में इस साल मात्र 50 गोवंश ही पाए गए।

इनमें से 6 गोशालाएँ ऐसी हैं, जिन्होंने हाल ही में पिछले साल का 62 लाख रुपए का भुगतान उठाया था। इनके संचालकों ने सरकार से झूठ कहा कि उनके पास 1814 पशु हैं, और 62 लाख रुपए खुद डकार लिए। अब जाँच टीम ने इन सभी गोशालाओं के संचालकों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण माँगा है।

जैसलमेर में दर्जनों ऐसे गोशाला हैं, जिनका संचालन गोवंश संरक्षण के नाम पर किया जा रहा है। हर साल विभाग की टीमों से इनका भौतिक सत्यापन होता है, ऐसे में आश्चर्य की बात है कि ये आज तक पकड़े नहीं गए। इन्होंने कागजात में दिखाया कि उनके पास बड़ी संख्या में गाय हैं और अनुदान की राशि उठा ली। जैसलमेर नोडल की 25 गोशाला के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान पता चला कि इनमें से मात्र 4 ही ऐसे हैं, जिनके पास भवन है। 20 गोशाला में पशुओं के लिए छाया तक की व्यवस्था नहीं।

सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष इन सभी को करोड़ों रुपयों का भुगतान किया जाता रहा है। 9 गोशालाओं में पिछले साल के मुकाबले पशुओं की संख्या कम हो गई। अब जाँच टीम की अनुशंसा के बाद इनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया