जिन 7 कश्मीरी छात्रों ने मनाया था भारत की हार का जश्न, पुलिस ने उनके ऊपर से UAPA हटाई: महबूबा मुफ्ती खुश होकर बोलीं- छात्रों का भविष्य बच गया

भारत विरोधी नारेबाजी करने वाले छात्रों के ऊपर से हटा UAPA

विश्व कप के फाइनल में भारत की हार का जश्न मनाने और आपत्तिजनक नारेबाजी करने वाले 7 कश्मीरी छात्रों को कश्मीर की एक अदालत से जमानत मिल गई है। पुलिस ने इन्हें UAPA के तहत गिरफ्तार करके जेल में बंद किया था। लेकिन कुछ समय पहले इनके ऊपर से ये धारा हटा दी गई और इन्हें जेल से रिहाई मिली।

ये सातों छात्र शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी के थे। सूत्रों के हवाले से मीडिया खबरो में बताया गया है कि इन सातों छात्र के ऊपर से इसलिए यूएपीए हटाई गई क्योंकि इनके अभिभावकों ने गलती को स्वीकार कर लिया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया कि चूँकि इन सातों के माता-पिता ने मान लिया था कि इनके बच्चों ने भारत की हार का जश्न मनाकर गलत किया और लिखित में ये आश्वासन दिया कि वो दोबारा ऐसा नहीं करेंगे इसलिए इनके बच्चों के ऊपर से यूएपीए की धारा को हटाया गया।

हालाँकि, ऐसा नहीं है कि इन सातों छात्रों के खिलाफ जाँच भी बंद हो गई, पुलिस के अनुसार अभी ये जाँच चल रही है कि कहीं इनका कोई पाकिस्तानी कनेक्शन तो नहीं है, अगर ऐसा हुआ तो दोबारा से यूएपीए लगाया जा सकता है। इसके अलावा इनके ऊपर आईपीसी की धारा 505 और 506 के तहत केस दर्ज ही है।

गौरतलब है कि यूएपीए के तहत छात्रों पर हुए केस के बाद राजनीतिक दलों ने इस मामले में कड़ी आलोचना की थी। ऐसे में जब उन्हें पता चला कि सातों छात्रों के ऊपर से यूएपीए हटा दिया गया है तो पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा- “आखिरकार अच्छी समझ की जीत हुई।” उन्होंने लिखा- “खुशी है कि शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी के छात्रों से यूएपीए चार्ज हटा दिए गए हैं। आखिरकार एक अच्छी सोच की जीत हुई। उनका भविष्य खतरे में जाने से बच गया।”

बता दें कि वर्ल्ड कप के बाद एक गैर कश्मीरी छात्र ने इन सातों कश्मीरियों के ऊपर उसे परेशान करने और भारत की हार का जश्न मनाने की शिकायत दी थी। इसी तहरीर पर पुलिस ने इनके खिलाफ यूएपीए की धारा 13 के तहत इनके विरुद्ध मामला दर्ज किया, जो किसी भी गैकानूनी गतिविधि को उकसाने या सलाह देने की शिकायत पर लगाई जाती है। इसके अतिरिक्त छात्रों के ऊपर 505 और 506 धारा भी लगाई गई, जिनके तहत दोषियों को पाँच साल तक की सजा हो सकती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया