अंसारी यूनिवर्सिटी बनाने के लिए मुख्तार अंसारी ने मंदिर की करोड़ों रुपए की जमीन पर किया कब्जा: अधिकारी खाली कराने से डरते हैं, ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट

मुख्तार के खिलाफ खड़े छोटेलाल

उत्तर प्रदेश में बाहुबलियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। जेल में बंद गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के करीबी की आनंद यादव की 50 लाख रुपए की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश जारी हुआ है। वहीं, उसके शूटर अंगद राय को बिहार के भभुआ से गाजीपुर लाने की तैयारी कर ली गई है। पिछले दिनों शराब के साथ उसे बिहार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। 

मुख्तार अपने परिवार के की सदस्यों के साथ जेल में बंद है। उसकी पत्नी आफसां अंसारी फरार है। अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन की तरह आफसां पर भी पुलिस ने 50 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर रखा है। इसकी धर-पकड़ के लिए पुलिस जगह-जगह तलाशी अभियान भी चला रही है, लेकिन अभी सफलता नहीं मिली है। वहीं, अंगद राय पर शिंकजा कस रहा है।

एक वक्त था कि मुख्तार के डर से आम जनता तो क्या नेता और अधिकारी भी नहीं बोलते थे। उसके गृह जनपद मऊ से लेकर पूर्वांचल में वही होता था, जो वो चाहता था। ऑपइंडिया से बात करते हुए इसके बारे में मऊ के डीएसपी धनंजय मिश्रा का कहना है कि एक समुदाय का नेता होने के अलावा उसमें और कोई मेरिट नहीं है। उस पर 5 दर्जन केस दर्ज हैं।

मुख्तार अंसारी इतना कॉन्फिडेंट हो गया था, उसे हिंदू धर्मस्थलों की जमीन पर कब्जा करते हुए भी किसी तरह का डर नहीं लगता था। उसने मऊ मेें सदर तहसील के अंतर्गत दक्षिण टोला में हिंदुओं के 125 साल पुराने धर्मस्थल की 4.60 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता छोटेलाल गाँधी ने साल 2016 में थाने में शिकायत दी थी।

ऑपइंडिया के पास मौजूद शिकायत की कॉपी में कहा गया है कि मुख्तार ने राजस्व कर्मचारियों से गठजोड़ करके जमीन का फर्जी दस्तावेज तैयार किया और अपने से बैनामा कराकर जमीन पर कब्जा कर लिया। शिकायत में यह भी कहा गया है कि बैनामा कराने के साथ ही उसने अपराधियों को इलाके में इकट्ठा किया और जेसीबी मशीन लगाकर भगवान की जमीन को अपने कब्जे में ले लिया।

हालाँकि, तब भी छोटेलाल गाँधी ने मुख्तार अंसारी के विरोध में खड़े हुए थे और उस लड़ाई को आज भी लड़ रहे हैं। ऑपइंडिया से बात करते हुए गाँधी ने कहा, “तत्कालीन विधायक मुख्तार अंसारी ने सन 2016 में 50 हजार लोगों के साथ में अंसारी यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी। इससे सटे ठाकुर जी (भगवान की) की लगभग 15 करोड़ रुपए की जमीन को पर भी वह कब्जा करने लगा।”

गाँधी आगे कहते हैं, “इसकी जानकारी मुझे मिली तो मैंने सारे अधिकारी को इस संबंध में पत्र लिखा। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मई 2016 में मैंने सात दिन तक लगातार धरना दिया। इसके बाद जिलाधिकारी को बात पता चला तो वो अन्य अधिकारियों को लेकर आए कहा कि सात दिन में सारी जमीन वापस ठाकुर जी के नाम कर दी जाएगी।”

मुख्तार पर राजनीतिक सरपरस्ती की घटना को याद करते हुए गाँधी आगे कहते हैं, “उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुख्तार सपा का विधायक था। किसी डीएम या अधिकारी की औकात नहीं थी कि वह मुख्तार अंसारी के खिलाफ जाँच करा दे। जाँच नहीं हुई। साल 2019 में मुख्तार का खास गुर्गा गणेश दत्त मिश्रा ने फर्जी तरीके से जमीन को अपने नाम दर्ज करा लिया।”

गाँधी बताते हैं कि गणेश दत्त मिश्रा मुख्तार के सहयोग से बड़ी-बड़ी जमीनों पर कब्जा करता था और उसकी प्लॉटिंग करके बेचता था। उसने भी साल 2019 में ठाकुर जी की जमीन को राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर अपने नाम करा लिया और फिर उसकी प्लॉटिंग करके बेचने लगा। गाँधी कहते हैं कि जैसे ही इसकी जानकारी उन्हें मिली, उन्होंने तुरंत इसकी सूचना डीएम को दी। इसके बाद मिश्रा सहित 60 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।

छोटेलाल गाँधी ने आगे बताया, “SDM निरंकार सिंह ने दो महीने के भीतर उस जमीन पर से सारे लोगों के नाम निरस्त करके उस जमीन को ठाकुर जी के नाम कर दी और उसका प्रबंधक मऊ कलेक्टेरियट को बना दिए। मुख्तार के आदमी अभी भी बहुत हैं मऊ में। बेदखली के बाद भी उस जमीन को आजतक खाली नहीं की गई है।” उन्होंने कहा कि अभी अधिकारी मुख्तार से डरते हैं कि कहीं सरकार बदल गई तो मुश्किल हो जाएगी।

छोटेलाल गाँधी ने यह भी बताया कि उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और मुख्तार अंसारी की लगभग 8 अरब रुपए की संपत्ति पर कार्रवाई के लिए आवेदन दिया था। ये पूछे जाने पर कि जब अधिकारी मुख्तार से डरते हैं तो आपको डर नहीं लगता, इस पर छोटेलाल कहते हैं कि वे यह काम मरने के लिए ही करते हैं। उन्हें मुख्तार-उख्तार से कोई डर नहीं है।

राहुल पाण्डेय: धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।