मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ यूपी पुलिस की स्पेशल टीम करेगी जाँच, योगी सरकार ने गठित की SIT: कई जिलों में दर्ज है FIR

मोहम्मद ज़ुबैर (तस्वीर-हिंदुस्तान)

ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) के मामलों की जाँच के लिए योगी सरकार ने एसआईटी (SIT) का गठन किया है। अब यूपी पुलिस की स्पेशल टीमें जुबैर के खिलाफ दर्ज अलग-अलग मामलों की जाँच करेंगी। मोहम्मद जुबैर के खिलाफ यूपी के सीतापुर, लखीमपुर खीरी, हाथरस और मुजफ्फरनगर में मामले दर्ज हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ज़ुबैर के मामलों की जाँच आईजी प्रीतिंदर सिंह की अध्यक्षता में एसआईटी करेगी। डीआईजी अमित कुमार वर्मा भी जाँच टीम में शामिल हैं। पुलिस का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सीतापुर जिले में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में जुबैर को राहत देते हुए अंतरिम जमानत की अवधि अगले आदेश तक बढ़ा दी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी।

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट की राहत केवल सीतापुर मामले तक ही सीमित है। दिल्ली, लखीमपुर, हाथरस, मुजफ्फरनगर में दर्ज मामलों में जुबैर के खिलाफ कार्रवाई पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। जिससे अभी भी मोहम्मद जुबैर को जेल में ही रहना होगा।

ज़ुबैर के खिलाफ हाथरस में दर्ज FIR

बता दें कि लखीमपुर खीरी की अदालत ने पिछले साल दर्ज एक मामले में मोहम्मद जुबैर को तलब किया था। लखीमपुर खीरी पुलिस ने 25 नवम्बर 2021 को एक स्थानीय पत्रकार की शिकायत पर दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए यह मामला दर्ज किया था। इसी मामले में सोमवार (11 जुलाई, 2022) को मोहम्मद जुबैर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था। इसी मामले में अदालत ने ज़ुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने 27 जून, 2022 को जुबैर को एक ट्वीट के जरिए हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 201 (सबूत नष्ट करना) और विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के नए प्रावधान लागू किए हैं।

वहीं सीतापुर मामले में, पुलिस ने जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है। यूपी पुलिस ने मई में जुबैर द्वारा किए गए एक ट्वीट का हवाला दिया जिसमें उन्होंने यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘नफरत करने वाले’ कहा था। ज़ुबैर ने हिंदू धार्मिक नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया था।

गौरतलब है कि मोहम्मद जुबैर के खिलाफ मामला 2018 में किए एक ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ से जुड़ा है। ज़ुबैर ने उस पोस्ट में भगवान हनुमान को आपत्तिजनक तरीके से प्रदर्शित किया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया