ग्लेशियर टूटने से नहीं आई चमोली आपदा… सैटेलाइट डेटा से ISRO का खुलासा: अब तक 31 शव बरामद, रेस्क्यू जारी

चमोली में आई आपदा के बाद चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन (फोटो साभार: HT)

उत्तराखंड के चमोली में पानी के तेज़ बहाव के बाद विद्युत् परियोजनाओं के बाँध टूटे और भयंकर तबाही आई। हालाँकि, सरकार ने त्वरित रूप से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया, जो अब भी जारी है। अब तक 31 लाशें मिल चुकी हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य की तरफ से इस हादसे के बाद चल रहे राहत कार्य हेतु 11 करोड़ रुपए डोनेट किए हैं। अभी तक दूसरे टनल को खोलने में सफलता नहीं मिली है।

दूसरे रास्ते से उसमें घुसने की कोशिश की जा रही है। गायब लोगों को ढूँढने का प्रयास जारी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन किया था। उन्होंने पूरे हालात की जानकारी ली। DRDO की 2 टीमें ग्लेशियरों का अध्ययन कर इस तबाही का मूल कारण पता करने में जुटी है। वहीं दूसरे टनल में 35 लोग फँसे हैं, जिनसे फोन पर संपर्क करने का प्रयास जारी है। दूसरा रास्ता ड्रिल किया जा रहा है।

तपोवन टनल में ITBP, SDRF और NDRF की संयुक्त टीम पानी का स्तर जाँचने के लिए घुसी है। पश्चिम बंगाल स्थित मिदनापुर के पुरुलिया के 5 मजदूर बह गए, जिनकी मौत हो गई। लापता लोगों की कुल संख्या 200 है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद रात को चमोली में ही कैम्प किया और आज भी वो वहाँ स्थिति का जायजा लेते रहे। उत्तर प्रदेश सरकार के 3 मंत्रियों को उत्तराखंड भेजा जा रहा है।

इस आपदा में गायब लोगों की सूची जारी कर दी गई है। रेस्क्यू टीमों के साथ मलबे में कई परिजन भी अपनों को ढूँढ रहे हैं। बचाव दल रस्सी और आवश्यक पैकेज के माध्यम से मलारी घाटी क्षेत्र तक पहुँचने में सफल हो गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अब आसानी से वहाँ राशन भेजा जा सकता है। इससे पहले हेलीकॉप्टर के माध्यम से केवल सीमित स्टॉक की आपूर्ति की जा रही थी, लेकिन अब कोई समस्या नहीं आएगी।

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ISRO के वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट डेटा के आधार पर दावा किया है कि हिमस्खलन के कारण ये आपदा आई। बर्फ की एक चोटी के खिसकने के बाद लाखों मीट्रिक टन बर्फ और पहाड़ी का हिस्सा भरभराकर नीचे गिर गया, जिसने इस आपदा को जन्म दिया। हाल ही में यहाँ से गुजरे सैटेलाइट की जानकारियों के आधार पर ये निष्कर्ष निकला। ये भी बताया गया है कि वहाँ कोई ग्लेशियर था ही नहीं, बर्फ की चोटी थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया