उत्तराखंड के दो मुस्लिम भाइयों ने की घर वापसी: हिंदू थी माँ, लेकिन शौहर ने दिया था धोखा; अरमान और इस्माइल की दोनों बहनों के पति भी हिंदू

उत्तराखंड के लैंसडाउन में अरमान और इस्माइल नाम के 2 मुस्लिम भाइयों ने अपनाया हिन्दू धर्म

उत्तराखंड के पौड़ी जिले में अरमान और इस्माइल नाम के 2 मुस्लिम भाइयों ने घर वापसी की है। रविवार (3 सितंबर 2023) को दोनों ने आर्य समाज मंदिर में वैदिक मंत्रो के बीच हिन्दू धर्म अपना लिया है। अब अरमान का नया नाम आर्यन व इस्माइल का अंकुश है। अरमान और इस्माइल की माँ हिन्दू थीं जिनका कहना है कि उन्होंने कभी अपने बच्चों को मस्जिद नहीं भेजा। ऑपइंडिया से बात करते हुए अरमान ने बताया कि वो जन्म से ही मन से हिन्दू थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 20 वर्षीय अरमान और 24 वर्षीय इस्माइल सैनिक क्षेत्र लैंसडौन के पास सदर बाजार के निवासी हैं। शुक्रवार (1 सितंबर 2023) को दोनों भाइयों ने खुद को बालिग बताते हुए कोटद्वार के नजीबाबाद रोड स्थित आर्य समाज मंदिर में घर वापसी के लिए आवेदन किया। आर्य समाज मंदिर ने दोनों के कागजातों की जाँच की और रविवार को दोनों का शुद्धि संस्कार करवाया। शुद्धि संस्कार के दौरान दोनों का यज्ञोपवीत संस्कार हुआ। बाद में दोनों ने वेदमंत्रों के बीच हवन भी किया।

इस मौके पर हिन्दू संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे। विधि-विधान के बाद दोनों भाइयों ने सनातन धर्म में प्रवेश पर ख़ुशी जताई। अरमान और इस्माइल की जहरीखाल इलाके में कपड़ों की दुकान है।

30 साल पहले माँ का निकाह, 10 साल बाद बेसहारा

ऑपइंडिया ने घर वापसी करने वाले अरमान (अब आर्यन) से बात की। उन्होंने बताया कि उनकी माँ हिन्दू हैं। उनका नाम सीता देवी है और वो लैंसडाउन की ही मूल निवासिनी हैं। सीता देवी ने लगभग 30 साल पहले शम्मी नाम के मुस्लिम व्यक्ति से निकाह किया था। शादी के बाद सीता देवी 2 बेटियों और 2 बेटों की माँ बनीं। शम्मी ने इन सभी के नाम इस्लामी रखे। बेटियों के नाम सोना और शीबा हैं। जबकि बेटों के नाम इस्माइल और अरमान हैं। भावुक हो कर अरमान ने हमें बताया कि लगभग 20 साल पहले उनके जन्म के बाद उनके अब्बा उनकी माँ को 4 बच्चों सहित बेसहारा छोड़ कर कहीं चले गए।

दोनों बहनों की शादी भी हिन्दुओं से ही

अपनी माँ के संघर्षों के बारे में ऑपइंडिया को बताते हुए अरमान ने कहा कि उन्होंने कपड़ों की फेरी लगा कर चारों संतानों को पाला। 58 वर्षीया सीता देवी ने बचपन से ही सभी संतानों को हिन्दुओं के संस्कार दिए, हालाँकि उनके पति शम्मी बच्चों को इस्लामी तौर-तरीके सिखाते थे।। अरमान के मुताबिक उनकी दोनों बहनों की शादी भी हिन्दुओं से ही हुई है। फ़िलहाल अरमान और उनके बड़े भाई अभी कुँवारे हैं। उनका कहना है कि वो भी अपने लिए हिन्दू लड़की देख रहे हैं।

बहनों ने बचपन में पढ़ी नमाज़

अरमान ने हमें बताया कि उनकी बड़ी बहनों को उनके अब्बा ने शुरू में इस्लामी संस्कार दिए थे। लड़कियों को नमाज़ आदि भी पढ़ाया करते थे। लेकिन उनके चले जाने के बाद सभी भाई बहन पूर्ण रूप से माँ के सनातनी रंग में ढल गए। जब हमने अरमान के अब्बा शम्मी के बारे में पूछा तो उन्होंने कोई भी जानकारी न होना बताया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वो शम्मी के बारे में जानना भी नहीं चाहते। अरमान के मुताबिक उनके बड़े भाई इस्माइल ने बताया है कि शम्मी ने किसी दूसरी महिला से निकाह कर लिया था। फिलहाल, शम्मी जीवित भी हैं या नहीं इसकी अरमान को जानकारी नहीं है।

मुस्लिमों को पता ही नहीं चल पाया

अरमान ने ऑपइंडिया को बताया कि लगभग 20 साल से उनके हिन्दू जैसे तौर-तरीके देख कर मुस्लिमों को आभास ही नहीं हुआ कि वो लोग कौन हैं। अरमान और उनका परिवार अपनी जाति के तौर पर थापा लिखता था। घर वापसी के बाद कोई दबाव आदि न होने की जानकारी देते हुए अरमान ने हमें बताया, “अगर उन्हें (मुस्लिमों को) पहले से पता होता तब तो विरोध करते।” बकौल अरमान उनकी माँ ने कपड़े की दुकान का भी नाम हिन्दू धर्म पर आधारित रखा था। अरमान ने अगले साल काँवड़ यात्रा में शामिल होने की इच्छा भी जताई।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया