विकास दुबे की गाड़ी पलटी ही थीः न्यायिक जाँच में UP पुलिस को क्लीनचिट, मीडिया के रवैए पर उठाए सवाल

विकास दुबे एनकाउंटर में यूपी पुलिस को क्लीनचिट

विकास दुबे के एनकाउंटर में न्यायिक जाँच आयोग ने उत्तर प्रदेश पुलिस को क्लीनचिट देते हुए मीडिया के रवैए पर सवाल उठाए हैं। रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान की अगुवाई वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंप दी है। एनकाउंटर की जाँच के लिए कमेटी बनाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगाई थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस बीएस चौहान जाँच आयोग को गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पाँच साथियों के एनकाउंटर में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा कोई गलत काम करने सबूत नहीं मिला है। न्यायिक जाँच में मुठभेड़ को सही माना गया है।

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बता दें कि पिछले साल बिकरू गाँव में विकास दुबे और उसके साथियों द्वारा यूपी पुलिस के एक DSP और कई जवानों को गोलियों से भून दिया गया था, जिसके बाद मध्य प्रदेश से यूपी लाए जाते वक्त विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ था। यूपी सरकार ने पिछले साल ही इस मामले की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज बीएस चौहान के नेतृत्व में कमीशन का गठन किया, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता शामिल थे।

आयोग ने स्वतंत्र गवाहों की आठ महीने की गहन खोज के बाद सोमवार (अप्रैल 19, 2021) को यूपी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट को फाइल किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। एक सूत्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “जाँच के दौरान कोई भी ऐसा गवाह सामने नहीं आया, जो मुठभेड़ के पुलिस से अलग कुछ जानकारी दे सके। इस केस में पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।”

बता दें कि आयोग द्वारा समाचार पत्रों में बार-बार विज्ञापन देने के बावजूद मीडिया कर्मियों सहित ऐसा कोई भी व्यक्ति पैनल के सामने पेश नहीं हुआ, जिसने मुठभेड़ को फर्जी बताया था। आयोग ने मुठभेड़ स्थलों के पास के गाँवों में पर्चे भी बाँटे थे, जिसमें लोगों से घटनाओं का वर्णन करने का अनुरोध किया गया था। सूत्रों ने बताया कि कई ऐसे स्वतंत्र गवाह सामने आए जिन्होंने पुलिस के वर्जन को सपोर्ट किया

न्यायमूर्ति चौहान आयोग ने अपनी 130 पृष्ठों की रिपोर्ट में कहा है कि जाँच के दौरान दल ने मुठभेड़ स्थल का निरीक्षण करने के साथ ही बिकरू गाँव का भी दौरा दिया। मुठभेड़ करने वाली पुलिस टीम के सदस्यों के बयान लेने का प्रयास करने के साथ मौके पर मौजूद लोगों तथा मीडिया से बात की। जाँच कमेटी ने विकास दुबे की पत्नी, रिश्तेदारों और गाँव के लोगों को भी बयान के लिए बुलाया, लेकिन कोई भी आगे नहीं आया। न्यायमूर्ति चौहान ने कथित तौर पर घटनाओं के सबूत या फुटेज देने के लिए आगे नहीं आने के लिए मीडिया के व्यवहार को भी ‘काफी निराशाजनक’ बताया, जिन्होंने कथित फर्जी मुठभेड़ की कवरेज की थी।

गौरतलब है कि 2 जुलाई 2020 की रात कानपुर के बिकरु गाँव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का आरोपित गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) 10 जुलाई 2020 की सुबह भागने की कोशिश करते हुए पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था। उसे कानपुर लाते वक्त रास्ते में उत्तर प्रदेश एसटीएफ के काफिले की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने घायल यूपी एसटीएफ के पुलिसकर्मियों की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। जवाबी फायरिंग में गोली लगने से बुरी तरह घायल विकास दुबे की मौत हो गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया