संदेशखाली में खेत बनते गए पोखर, सैटेलाइट को दिखा पर ममता सरकार बनी रही बेखबर: ग्रामीण बोले- यह शेख शाहजहाँ और उसके गुर्गों की करनी

शेख शाहजहाँ द्वारा कब्जाई गई जमीनों की सेटेलाइट तस्वीर (फोटो साभार : India Today)

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में टीएमसी नेता शेख शाहजहाँ ने ऐसा साम्राज्य बनाया था, जो राजनीति के अपराधीकरण की जीवंत मिशाल है। एक व्यक्ति, जो कभी मजदूरी करता था, उसने खुद को कैसे राजनीति की आड़ में मजबूत किया और फिर सत्ताधारी पार्टियों के सहयोग की बदौलत खुद को उसने ऐसे ‘बेताज बादशाह’ के रूप में बदल दिया, जिसका कोई विरोध करने की हिम्मत भी नहीं जुटा सकता था। इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलीजेंस टीम ने साल 2013 से अब तक के संदेशखाली की जमीन का सेटेलाइट डाटा के आधार पर विश्लेषण किया है, जो स्थानीय लोगों के उन दावों की पुष्टि करता है, जिसमें शेख शाहजहाँ और उसके संगठित आपराधिक-राजनीतिक गिरोह के लोगों ने जमीनों पर अवैध कब्जे किए।

इस रिपोर्ट में उत्तर 24 परगना जिले में स्थित संदेशखाली इलाके के सेटेलाइट डाटा का विश्लेषण किया गया है, जहाँ डेल्टाई क्षेत्र में पहले किसान चावल जैसे खाद्यान्न उगाते थे और अब वहाँ बड़े-बड़े भेरी (तालाब) दिखाई पड़ रहे हैं। इन सभी पोखरों (तालाबों) पर शेख शाहजहाँ, उसके भाई शिराजुद्दीन, उसके सहयोगी उत्तम सरदार, शिबू हाजरा जैसे लोगों का ही कब्जा है। यही नहीं, इस इलाके में मछली की मंडियों, जिसमें छोटे किसान अपनी उपज बेचते हैं, उन पर भी शेख शाहजहाँ का ही कब्जा है।

संदेशखाली ब्लॉक-1 के बोयेरमारी, हाटगाछी, नलकारा, सरबेरिया और राजबाड़ी इलाकों के साथ ही संदेशखाली ब्लॉक-2 के त्रिमोनी बाजार, झुपखाली, माझेरपारा और बरमुजूर जैसे क्षेत्रों में खेती की जमीनों को तालाब में बदला गया है। साल 2013 से 2024 के बीच की सेटेलाइट तस्वीरें सब कुछ दूध के दूध और पानी की पानी की तरह साफ कर रहे हैं। खास बात ये है कि संदेशखाली से करीब 18 किमी दूर के रूपामारी बाजार और उसके आसपास के इलाकों में भी इसी तरह से खेती की जमीनों को तालाबों में बदला जा चुका है।

इस मॉडस ऑपरेंडी को इस बात से समझा जा सकता है कि संदेशखाली पुलिस स्टेशन से बामुश्किल 500 की दूरी पर माझेरपारा के एक बड़े क्षेत्र में साल 2022 तक कुछ छोटे-छोटे तालाब थे। लेकिन साल 2022 के आखिर तक उन सभी तालाबों और आसपास की खेती की जमीन को मिला दिया गया, जिससे वो पूरा लगभग 100 एकड़ का इलाका एक बड़े तालाब में बदल दिया गया।

माझेरपारा के रूपदासी सरदार और चंपा सरकार उन 25 जमीन मालिकों में से हैं, जिनकी जमीनें उस 100 एकड़ के तालाब में समा चुकी हैं। उन्होंने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा, “शेख शाहजहाँ के लोगों ने उनके खेतों में खारा पानी भर दिया, जिसके बाद वो जमीन खेती के लिए अनुपयुक्त हो गई। इसके बाद हमें उनके द्वारा साल के 5000-6000 रुपए पर खेत को पट्टे पर देना पड़ा। हालाँकि शेख के लोगों ने हमें कोई पैसा भी नहीं दिया। यानी कि हमारी जमीन भी चली गई और हमें पैसा भी नहीं मिला।”

आदिवासी महिला रूपदासी सरदार की उम्र करीब 60 वर्ष है। वो कहती हैं, “उत्तम सरकार (शेख शाहजहाँ का करीबी सहयोगी) ने मेरी 3.3 बीघा जमीन पट्टे पर ले ली, लेकिन कभी उसने हमें पैसे भी नहीं दिए। हम उन्हें मना करने की हालत में नहीं थे, क्योंकि अन्य लोगों ने भी उत्तर सरदार को अपनी जमीनें दे दी थी। हमारी जमीन पर पानी भरा जा चुका था।”

चंपा सरदार की भी जमीन पर इसी तरह से कब्जा कर लिया गया। वो कहती हैं, “हम जब खेती करते थे, तो हमारी जरूरत भर का चावल पैदा हो जाता था। अब हम दुकानों से ज्यादा कीमत पर अनाज खरीद रहे हैं, क्योंकि हमारे पास कोई रास्ता नहीं है।”

वैसे, खेती लायक कितनी जमीन को शेख शाहजहाँ और उसके सहयोगियों ने कब्जाया है, इसका तो सटीक आँकड़ा नहीं है, लेकिन मोटे अनुमानों के मुताबिक, उन लोगों ने कम से कम 1000 एकड़ जमीन इसी तरह से कब्जाई है। गूगल अर्थ स्ट्री व्यू सेटेलाइट डाटा भी जमीन को बदले जाने के दावों की पुष्टि करता है।

ग्रामीणों का कहना है कि शेख शाहजहाँ के मछली कारोबार का काम उसका भाई जियाउद्दीन और उसका सहयोगी शिबू हाजरा, उत्तम सरदार देखते हैं। उन्होंने पट्टे के नाम जमीनों को हड़पने के काम साल 2013-14 में शुरू किया, लेकिन जब शेख शाहजहाँ 2018 में ग्राम पंचायत का उप-प्रमुख बन गया, तो इस काम में नाटकीय रूप से तेजी दर्ज की गई। वहीं, अधिकारियों ने दावा किया है कि 8 फरवरी से शुरू हुए विवाद के बाद से अब तक जमीनों पर अवैध कब्जे के 147 मामलों का निपटारा किया जा चुका है, जिसमें करीब 200 बीघा जमीन लौटाई जा चुकी है। अधिकारियों की कार्रवाई भी इस बात पर मुहर लगाती है कि शेख शाहजहाँ और उसके लोगों ने ग्रामीणों को जमीनों पर अवैध कब्जे किए और उनपर मछली पालन का कारोबार खड़ा किया।

सिर्फ खेती की जमीन ही नहीं, बल्कि खेल मैदान पर भी कब्जा

शेख शाहजहाँ की नजर सिर्फ खेती की जमीनों पर ही नहीं थी, बल्कि खेल के मैदान पर भी उसने कब्जा किया। आरोप है कि शेख शाहजहाँ ने श्री अरबिंद मिशन के एक खेल के मैदान पर कब्जा कर लिया और उसे ‘शेङ शाहजहाँ फैन क्लब’ मैदान का नाम दे दिया। ये मैदान सिंहपारा में करीब 2.86 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ था। हालाँकि स्थानीय अधिकारियों ने कहा है कि इस जमीन के कब्जे को भी अब शेख शाहजहाँ के चंगुल से निकाल लिया गया है।

बताया जा रहा है कि साल 2022 में इस मैदान पर ‘शेख शाहजहाँ फैन क्लब टूर्नामेंट’ नाम से बड़े फुटबाल टूर्नामेंट का भी आयोजन किया गया था। उस दौरान पूरे इलाके को टीएमसी के झंडों से पाट दिया गया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बड़े-बड़े बैनर लगाए गए थे। इस टूर्नामेंट को भव्य रूप देने के लिए एलईडी स्क्रीन्स भी लगाई गई थी। इस टूर्नामेंट के विजेता को शानदार बाइक गिफ्ट की गई।

शेख शाहजहाँ ने पड़ोस के धमाखाली इलाके में 2 ईंट के भट्टे भी लगा रखे हैं, तो सरबेरिया में उसने एक बड़ा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी बनाया है। शेख शाहजहाँ न सिर्फ भेरी (तालाब) क्षेत्रों को कंट्रोल करता है, बल्कि मछली बाजारों को भी नियंत्रित करता है।

बता दें कि जिला परिषद के सदस्य शेख शाहजहाँ को 29 फरवरी 2024 को गिरफ्तार किया गया, जो करीब 55 दिनों से फरार था। उसके खिलाफ 5 जनवरी 2024 को छापेमारी के दौरान ईडी की टीम पर ही हमला हो गया था। ईडी की टीम पीसीएस भ्रष्टाचार मामले में जाँच करने पहुँची थी। इसके करीब एक माह बाद 8 फरवरी से महिलाओं ने शेख शाहजहाँ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उस पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न, जमीन हड़पने के आरोप लगाए गए। अभी तक शेख शाहजहाँ के खिलाफ दर्जनों महिलाएँ शिकायत दर्ज करा चुकी हैं, तो जमीन हड़पने के 700 से अधिक मामले उसके खिलाफ दर्ज किए जा चुके हैं।

इस पूरे मामले को कोलकाता के सिस्टर निवेदिया विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान के डीन सुरजीत मुखोपाध्याय बेहद खतरनाक बताते हैं। उन्होंने शेख शाहजहाँ के कारनामों को ‘राजनीतिक अर्थव्यवस्था के अपराधीकरण’ की मिसाल बताया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया