‘उन्होंने हमें बचा लिया’: कप्तान दीपक साठे की समझदारी की वजह से नहीं लगी विमान में आग, IAF में रह चुके थे विंग कमांडर

कप्तान दीपक साठे (साभार: आउटलुक)

केरल में कोझिकोड एयरपोर्ट पर एअर इंडिया का विमान (AXB1344, B737) रनवे पर फिसल गया। रनवे पर विमान के फिसलने के बाद विमान क्रैश हो गया और दो हिस्सों में टूट गया। शुक्रवार (7 अगस्त, 2020) हादसे में 18 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई। अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में मुख्य पायलट कैप्टन दीपक साठे और उनके सह-पायलट अखिलेश कुमार भी शामिल हैं।

कप्तान दीपक वसंत साठे भारतीय वायुसेना में पहले विंग कमांडर रह चुके थे। शुक्रवार के विमान दुर्घटना में जीवित बचे लोगों ने कहा कि यह कैप्टन साठे ने आखिरी समय तक विमान को बचाने की पुरजोर कोशिश की। पायलट के समझदारी के कारण हादसे के बाद विमान में आग नहीं लगा। जिसकी वजह से वे जीवित बच सके।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही कैप्टन साठे को पता चला कि विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगा, उन्होंने विमान क्रैश होने से ठीक पहले इंजन को बंद कर दिया। जिससे उनके यात्रियों और केबिन क्रू की जान बच गई। प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चलता है कि करिपुर टेबलटॉप एयरपोर्ट पर विमान लैंडिंग करते समय रनवे से फिसलकर खाई में गिर गया। इस हादसे में विमान को दो टुकड़े हो गए हैं।

इस भयानक हादसे से बचे लोगों ने बताया कि कि बहादुर पायलटों और स्थानीय निवासियों की वजह से विमान में सवार यात्री जिंदा बच सके है। हादसे का पता चलते ही राहत और बचाव के लिए तेज बारिश के बीच, स्थानीय लोग बड़ी संख्या में मौके पर जुट गए। और हादसे में घायल लोगों को तुरंत विमान में लगी थोड़ी आग और धुएँ के बावजूद बचाना शुरू किया।

इस हादसे में सुरक्षित बाहर निकलने के बाद वी इब्राहिम नाम के यात्री ने बताया, “मूसलाधार वर्षा हो रही थी। पायलट ने मौसम खराब होने की बात कहते हुए विमान उतारने से पहले चेतावनी दी थी। उन्होंने दो बार सुरक्षित लैंडिंग की कोशिश की लेकिन नियंत्रण खो दिया। विमान रनवे से फिसल गया और उसके दो टुकड़े हो गए। इस भयानक हादसे में जिनकी जान बच गई है, वे बहुत ही भाग्यशाली है।

कैप्टन दीपक साठे भारत के पूर्व वायु सेना के पायलट थे। वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के पूर्व छात्र थे। उन्होंने जूलियट स्क्वाड्रन से एनडीए पुणे के 58 वें पाठ्यक्रम में पहला स्थान हासिल किया। इसके अलावा 1981 में AFA उन्होंने ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ जीता था।

दिलचस्प बात है कि कैप्टन दीपक साठे ने मिग-17 स्क्वाड्रन (गोल्डन एरो) के साथ भी काम किया है, जिसकी सिफारिश हाल ही में राफेल फाइटर जेट्स के साथ की गई थी। कैप्टन साठे जून 1981 में वायु सेना में शामिल हुए थे और जून 2003 में भारतीय वायुसेना को निर्धारित समय से पहले छोड़ दिया था।

कैप्टन डीवी साठे एक अनुभवी पायलट थे। वह भारतीय वायुसेना में भी एक प्रायोगिक परीक्षण पायलट थे। उन्होंने बोइंग 737 उड़ान भरने के लिए एयर इंडिया एक्सप्रेस में जाने से पहले एयर इंडिया के लिए एयरबस 310 को उड़ाया था।

रिटायर्ड एयर टेस्ट मार्शल मनमोहन बहादुर ने कहा, यह दुख की बात है। साठे मेरे साथ एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग इस्टैब्लिशमेंट (IAF की फ्लाइट टेस्टिंग इस्टैब्लिशमेंट) में हथियारों के कमांडर थे। उन्होंने आगे कहा- “RIP Tester.”, मनमोहन बहादुर ने बताया कि टेस्ट पायलट के कॉल साइन के तहत नाम के आगे ‘टेस्टर’ लगाया जाता है।

उनके सह-पायलट कैप्टन अखिलेश कुमार ने पिछले साल शादी की थी। इस वक्त दोनों पायलटों के शव कोझिकोड के MIMS अस्पताल में रखे गए हैं।

सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने बताया बोइंग 737 दुबई से कालीकट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर वंदे भारत मिशन के तहत आ रहा था। विमान में 190 लोग सवार थे। यात्रियों में 10 बच्चे भी शामिल थे। भारी बारिश के कारण रनवे पर उतरने के बाद विमान फिसल गया और घाटी में गिर गया। बोर्ड पर मौजूद 190 लोगों में से 123 लोग घायल हुए हैं, और 20 लोग गंभीर स्थिति में हैं और कुछ लोगों की रीढ़ की हड्डी में भी चोट है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया