‘ज्ञानवापी मस्जिद में मिले पूजा का अधिकार, स्थापित हो मूर्तियाँ’: महिलाओं की याचिका पर मस्जिद कमिटी से कोर्ट ने माँगा जवाब

मंदिर को ध्वस्त कर के बनवाया गया था काशी का ज्ञानवापी मस्जिद (फाइल फोटो साभार: Robert Nickelsberg/Getty)

अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ध्वस्त होने और राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला आने के बाद राम मंदिर के निर्माण के साथ ही काशी और मथुरा का मामला भी गरमाता जा रहा है। काशी में बाबा विश्वनाथ की जमीन का अतिक्रमण कर के बनाई गई ज्ञानवापी मस्जिद और श्रीकृष्ण जन्मभूमि में शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद जारी है। इसी बीच महिलाओं द्वारा अदालत में याचिका डाल कर काशी के ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा की अनुमति माँगी गई है।

पाँच हिन्दू महिलाओं ने अदालत से अनुमति माँगी है कि उन्हें पुराने मंदिर परिसर में प्रतिमाएँ रख कर पूजा की अनुमति दी जाए। उन्होंने मुग़ल काल में मंदिर की स्थिति में परिवर्तन कर इसे मस्जिद बनाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि औरंगज़ेब के शासनकाल में बाबा विश्वनाथ के मंदिर को क्षतिग्रस्त किया गया था। वाराणसी सीनियर सिविल जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत में ये मामला दायर किया गया।

अब इस मामले में सिविल कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार, ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंध कमिटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से जवाब माँगा है। ये याचिका अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णुशंकर जैन के जरिए दायर की गई है। रखी सिंह याचिकाकर्ता महिलाओं का नेतृत्व कर रही हैं। इसमें दावा किया गया है कि चूँकि ये मंदिर का ही परिसर है, यहाँ हिन्दू श्रद्धालुओं को दृश्य व अदृश्य देवी-देवताओं की पूजा का अधिकार है।

वकीलोंने कहा कि देवी गौरी के साथ ही भगवान गणेश और हनुमान की मूर्तियों को सजा कर मंदिर में नंदी जी की पूजा करने का अधिकार माँगा गया है। उन्होंने इसे वादी का मूलभूत अधिकार बताते हुए कहा कि इसमें दखल नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वादी की तरफ से एक और याचिका दायर की गई है, जिसमें एडवोकेट कमिश्वर से ऑन द स्पॉट निरीक्षण की रिपोर्ट का निवेदन किया गया है।

इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को भी प्रतिवादी बनाया गया है, इसीलिए कोर्ट ने कहा कि उनका पक्ष सुनना भी ज़रूरी है। प्रतिवादियों पर नोटिस जारी करने की अपील वादी द्वारा 3 दिनों के भीतर की जाएगी। तत्पश्चात आपत्तियों पर विचार किया जाएगा। इसके लिए 10 सितम्बर, 2021 की तारीख़ मुकर्रर की गई है। याचिकाकर्ताओं में लक्ष्मी देवी, सीता शाहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक शामिल हैं।

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24 सितम्बर को वाद के बिंदुओं का निर्धारण किया जाएगा। ‘विश्व वैदिक सनातन संघ’ के प्रमुख जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी है कि सनातन धर्म पर लगे कलंकों को मिटाने के क्रम में अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत ये मुकदमा दाखिल किया गया है। उन्होंने कहा कि ताजमहल की मुक्ति के लिए भी याचिका दाखिल की जा रही है। ‘माँ श्रृंगार गौरी’ की रोजाना पूजा की अनुमति मिलती है या नहीं, ये देखने लायक है।

याचिका में माँग की गई है कि ‘माँ श्रृंगार गौरी’ का दैनिक दर्शन-पूजन के अलावा अन्य अनुष्ठानों के लिए भी अनुमति मिले। साथ ही मंदिर परिसर में स्थित भगवान गणेश, हनुमान, नंदी एवं अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखे जाने की भी विनती की गई है। आरोप लगाया गया है कि इन प्रतिमाओं को क्षति पहुँचाई जा रही है, जिस पर तत्क्षण रोक लगनी चाहिए। याचिके के अनुसार, मंदिर परिसर में ही बने ढाँचे को मस्जिद कहा जा रहा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया