पाकिस्तान का अमानवीय चेहरा: लाखों गदहों की बलि चढ़ा कर भरेगा ख़जाना

अफ्रीकन देशों ने चीन की माँग से तंग आकर गदहों के निर्यात पर ही प्रतिबन्ध लगा दिया

पाकिस्तान का एक बहुत ही अमानवीय चेहरा सामने आया है। इसके मज़ाकिया पक्ष की तो ख़ूब बात हो रही है, लेकिन इसका एक ऐसा दर्दनाक पक्ष भी है, जिसे जान कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएँगे। इस विषय पर हमारी अंग्रेजी वेबसाइट पर लिखा जा चुका है। इसमें बताया गया है कि कैसे गदहों की कमी से जूझ रहे चीन की पकिस्तान सहायता करेगा। दरअसल, ख़बर आई है कि क़र्ज़ में डूबा पाकिस्तान अपने ख़जाने को भरने के लिए गदहों का निर्यात करेगा। पाकिस्तान इस योजना से अपने विदेशी मुद्रा भंडार को भरना चाह रहा है।

आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि मामला क्या है। दरअसल, पाकिस्तान में गदहों की जनसँख्या काफ़ी तेज़ी से बढ़ रही है। इस मामले में पाकिस्तान विश्व में तीसरे नंबर पर आता है। अब उसने निर्णय लिया है कि इन गदहों को चीन को निर्यात किया जाएगा ताकि हर वर्ष करोड़ों डॉलर बनाए जा सके। ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रान्त ने इस बारे में कार्य योजना भी तैयार कर ली है। पाकिस्तान में 50 लाख से भी ज्यादा गदहे हैं। अकेले लाहौर में 41,000 से ज्यादा गदहे हैं।

चीन में क्या होगा इन गदहों का

जो लोग दीपावली के पटाखों से कुत्तों को डर लगने की बात कह कर खुद को पशुप्रेमी जताते हैं पर न जाने क्यों गौपालन का विरोध कर जाते हैं। उन लोगों के लिए यह जानना भी ज़रूरी हो जाता है कि विश्व का सबसे बड़ा देश (जनसंख्या के हिसाब से) पाकिस्तान से गदहे क्यों चाहता है भला! पाकिस्तान द्वारा निर्यात किए गए गदहों का चीन में क्या किया जाएगा, इसके बारे में जान कर आपके होश उड़ जाएँगे। दरअसल, चीन में गदहों की चमड़ी व अन्य उत्पादों की काफ़ी बड़ी माँग है, जिसके कारण विश्व में गदहों की जनसँख्या घटती जा रही है।

चीन में गदहों की चमड़ी को छील कर उनसे तरह-तरह की दवाइयाँ और क्रीम बनाई जाती है, जो चेहरे से झुर्रियाँ हटाने में मदद करती है। अब यह व्यापार धीरे-धीरे ही सही लेकिन पाकिस्तान के बाजार में भी अपनी पैठ बना रहा है। अंध-आधुनिकता के इस दौर में कुछ लोगों को हमेशा जवान दिखने की लोलुप चाहत ने एक निरीह जानवर की सामूहिक हत्या को व्यवसाय बना कर रख दिया है। 2011-15 के बीच पाकिस्तान ने अकेले चार वर्षों में 1,41,000 से ज़्यादा गदहों की चमड़ियाँ निर्यात की

उन दवाइयों के लिए गदहों को चीन में कैसे मौत के घाट उतारा जाता है, ये जान कर आप सिहर उठेंगे। 5 वर्ष का गदहा हो या फिर 5 महीने का बच्चा, किसी को भी नहीं बख़्शा जाता। उन सब की निर्ममता से सामूहिक हत्या कर दी जाती है। Ejiao नामक दवा बनाने के लिए गदहों को धरती पर सुला कर उनके सिर पर हथौड़ों से जोर-जोर से प्रहार किया जाता है, जिससे कि वो एक धीमी और दर्दनाक मौत मरते हैं

इतना ही नहीं, गदहों को उनके ही मल-मूत्र के बीच मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। चीन में ऐसी भी मान्यता है कि गदहों की चमड़ी से बनी दवा के सेवन से व्यक्ति की आयु भी लम्बी होती है।

अफ्रीकन देश भुगत रहे हैं ख़ामियाजा

अपने प्राकृतिक संसाधनों व जानवरों के लिए मशहूर अफ्रीकन प्रायद्वीप पर जब चीन की नज़र पड़ी, तो उसने इसे अपने लिए एक मौके के समान लिया। उसने अफ्रीका से गदहों को ख़रीदना शुरू कर दिया। चीन में गदहों की माँग इतनी थी कि अफ्रीका से लाए जाने वाले गदहे भी कम पड़ने लगे। इसके बाद चीनियों ने अफ्रीका के गावों से गदहों की चोरी शुरू कर दी। तंग आकर कई अफ्रीकन देशों ने गदहों के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा दिया। उन्होंने कहा कि चीन की इस माँग को पूरी करना उनके वश की बात नहीं।

इसे जानने के लिए एक वाक़ये का उदाहरण लेते हैं। केन्या के रहने वाले एंथोनी मौपे पानी की डिलीवरी कर अपना गुज़र-बसर चलाते हैं। इसके लिए वो एक गाड़ी और गदहे का प्रयोग करते हैं। उनके गदहे का नाम था- ‘कार्लोस’, जो उनके काम में उनकी मदद करता था। उस गदहे पर उनका पूरा व्यवसाय और जीवनयापन जुड़ा हुआ था। लेकिन एक सुबह यह सब कुछ बदल गया। जब वह सो कर उठे, तब उनका कार्लोस गायब था।

जब उन्होंने उसकी ख़ोजबीन शुरू की, तो उन्हें उनका प्यारा जानवर मरा हुआ मिला। जब वो उसके क़रीब गए तो उन्होंने जो देखा, वो काफ़ी वीभत्स था। गदहे की चमड़ी को छील कर निकाल लिया गया था और उसके अधकटे शरीर को वहीं छोड़ दिया गया था

सीएनएन के आँकड़ों के अनुसार, चीन में पिछले 20 वर्षों में 50 लाख से भी अधिक गदहों को मार डाला गया है। अफ्रीका में इस घृणित व्यवसाय के फैलने से वहाँ के स्थानीय लोगों को भी ख़ासी परेशानी हुई। उनके नालों में अक्सर गदहों के ख़ून बहते हुए पाए जाते थे, जो कई तरह की बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। केन्या, मिस्र से लेकर नाइजीरिया तक- चीनी दलालों ने हर जगह पाँव पसारे और इस व्यापार को फैलाने में पूरी मदद की।

आख़िर पकिस्तान क्यों इस नीचता पर उतर आया?

पाकिस्तान में 2018 में हुए चुनावों में इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक़-ए-इंसाफ़ को बड़ी जीत मिली और वो ‘नया पाकिस्तान’ का नारा देकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचे। चुनाव के दौरान उन्होंने पाकिस्तान द्वारा विदेशी देशों से आर्थिक मदद माँगे जाने को मुद्दा बनाया था। उन्होंने इसे ‘कटोरा लेकर भीख माँगने’ तक की संज्ञा दी थी। लेकिन, उनके सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान के हालात और बदतर ही हुए हैं।

हाल ही में चीन ने पकिस्तान को 2.5 बिलियन डॉलर का क़र्ज़ देने का निर्णय लिया। इसके अलावा पकिस्तान ने सऊदी अरब के सामने भी झोली फैलाई, जिसके बाद उसे वहाँ से भी 3 बिलियन डॉलर की सहायता मिली। अब पकिस्तान वर्ल्ड बैंक से 400 मिलियन डॉलर माँग रहा हैक़र्ज़ में डूबे पकिस्तान की हालत इतनी खस्ती हो गई है कि उसे अन्य देशों के सामने झोली फैला कर घूमना पड़ रहा है। यही कारण है कि वो अब अपने मुद्रा भंडार को मज़बूत करने के लिए तरह-तरह के उपायों पर विचार कर रहा है।

अभी हाल ही में पकिस्तान ने चीन को 1,00,000 किलोग्राम बाल (Human Hairs) निर्यात किए थे। चीन में मेक-अप इंडस्ट्री काफ़ी फल-फूल रही है, जिसके कारण वहाँ मनुष्य के केशों की माँग बढ़ती जा रही है। यहाँ तक तो ठीक था, लेकिन गदहों की निर्मम हत्या के लिए उनका निर्यात करने का निर्णय लेकर आतंकवाद का पोषण करने वाले पाकिस्तान ने अपने अमानवीय, क्रूर और निष्ठुर चेहरा फिर से दिखा दिया है।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.