‘NYAY’ योजना: जनता को ग़ैर-ज़िम्मेदार बनाता राहुल गाँधी का चुनावी ढकोसला

लोगों को गैर-जिम्मेदार बना रहा 'न्याय योजना'

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मतदाताओं को लुभाने के लिए एक घोषणा करते हुए कहा कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस सत्ता में आती है, तो वह देश के 20% सबसे गरीब परिवारों को सालाना ₹72,000 न्यूनतम आय के तौर पर देगी। राहुल गाँधी द्वारा की गई इस घोषणा को लेकर काफी सियासी बवाल देखने को मिल रहा है। इसकी काफी आलोचना भी की जा रही है। इस बीच NYAY योजना से जुड़ी एक ऐसी खबर आ रही है, जो यह दिखाती है कि इस योजना की बाट जोह रहे लोग अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारियों से विमुख हो रहे हैं।

दरअसल मध्य प्रदेश के इंदौर की अदालत में उस समय सभी लोग हैरान रह गए, जब मुकदमे के दौरान टीवी कलाकार आनंद शर्मा ने शुक्रवार (मार्च 29, 2019) को याचिका दायर करते हुए कहा कि वो पत्नी को गुजारा भत्ता तभी दे पाएगा, जब राहुल गाँधी की सरकार आएगी। शख्स का कहना है कि जब उसे कॉन्ग्रेस की ‘न्याय’ योजना से पैसा मिलने लगेगा, तो वो अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता दे देगा। इसलिए तब तक गुजारा भत्ता देने पर रोक लगाई जाए। पति-पत्नी के बीच कुछ विवाद चल रहा है जिसका मुकदमा अदालत में विचाराधीन है। इसलिए आनंद की पत्नी और उसकी 12 वर्षीय बेटी पिछले कुछ समय से अलग रह रही हैं।

आनंद की पत्नी ने आनंद के खिलाफ मुकदमा दायर करते हुए ₹4,500 प्रतिमाह गुजारे भत्ते की माँग की थी जिसके बाद कोर्ट ने आनंद से अपनी पत्नी को ₹4,500 रुपये महीने गुजारा भत्ता के रूप में देने के लिए कहा। इस पर आनंद ने कहा, “मैं बेरोजगार हूँ और मैंने कोर्ट में आवेदन दिया है कि जब तक केंद्र में कॉन्ग्रेस पार्टी की सरकार नहीं बन जाती और न्यूनतम आय योजना का पैसा नहीं मिलने लगता है, तब तक मैं गुजारा भत्ता देने में असमर्थ हूँ।”

इस मामले में साफ देखने को मिल रहा है कि न्याय योजना की घोषणा की वजह से कैसे कोई इंसान अपनी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों को निभाने से कतरा रहा है। उसे अपनी ज़िम्मेदारियों को कैसे निभाना है यह सोचने की बजाय राहुल गाँधी के दिखाए गए ख्वाब को संजोए बैठा है कि कॉन्ग्रेस की सरकार आएगी, उसे पैसे देगी तो अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर लेगा। उसे खुद इसके लिए कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है।

यहाँ पर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि कॉन्ग्रेस सरकार न्याय योजना के नाम पर लोगों को गैर-जिम्मेदार बना रही है, उन्हें मुफ्तखोरी सिखा रही है। राहुल गाँधी बड़े-बड़े सपने दिखाकर लोगों को निष्क्रिय बना रहे हैं। सरकार को जहाँ लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध करवा कर जिम्मेदार बनाने की कोशिश करनी चाहिए, उन्हें मेहनत करके अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, वहाँ कॉन्ग्रेस अध्यक्ष लोगों में मुफ्तखोरी का बीज बो रहे हैं। अगर इसी तरह हर व्यक्ति न्याय योजना से मिलने वाले की आस में बैठ जाए, और सारे काम-काज छोड़ दे तो फिर सोचिए क्या होगा?

कोर्ट में जिस तरह से आनंद शर्मा ने कॉन्ग्रेस सरकार के आने तक की मोहलत माँगी है, उससे साफ जाहिर है कि वो किस तरह से अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए राहुल गाँधी पर निर्भर है। तो क्या राहुल गाँधी के न्याय योजना का मकसद लोगों को गैर जिम्मेदार बनाना है? असल में कॉन्ग्रेस को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। लोकलुभावन वादे करके वोट बैंक बढ़ाना और सत्ता में आना ही कॉन्ग्रेस पार्टी का एकमात्र मकसद है। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इससे देश की जनता पर किस तरह से नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।