मोदी सरकार की वो योजनाएँ जिन्होंने बदल दी ग्रामीण महिलाओं की ज़िंदगियाँ

उज्ज्वला योजना की लाभार्थी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो (साभार: newsonair)

हम सुनते आए हैं कि भारत गाँवों का देश है, और यह भी सच है कि गाँवों का जीवन तमाम चुनौतियों से भरा होता है। ग्रामीण समस्याओं को देखना और बात है, और उसका निदान करना और। अगर पिछली सरकार की बात करें तो ग्रामीण जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास केवल चुनावी घोषणा-पत्र तक ही सिमटता दिखा। कहना ग़लत नहीं होगा कि वर्षों तक सत्ता पर क़ायम रहने वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने ग्रामीणों की समस्याओं को गंभीरता से कभी लिया ही नहीं जिसके लिए जनता उन्हें चुनती आई थी।

वहीं वर्तमान सरकार की उपलब्धियों में स्वच्छ भारत अभियान और उज्ज्वला योजना जैसी तमाम ऐसी योजनाएँ हैं जिन्होंने गाँवो की तस्वीर बदल दी, उसमें भी ख़ास कर महिलाओं के स्वाभिमान और गरिमा की रक्षा करने का जो काम इन योजनाओं ने किया, उसके परिणाम दूरगामी हैं।

केंद्र सरकार ने गाँवों के जीवन को सुगम और बेहतर बनाने की दिशा में कई सकारात्मक क़दम उठाए हैं जिसमें न केवल पुरुष ही शामिल हैं बल्कि ग्रामीण महिलाओं को भी राहत पहुँचाना शामिल है। इस लेख में हम आपको ग्रामीण महिलाओं की बदलती ज़िदगियों के बारे में विस्तार से बताएँगे।

गाँव की पुरानी तस्वीर का अगर हम क्षण भर के लिए ख़्याल करें तो उसमें चूल्हे से जूझती महिलाओं की एक तस्वीर उभरकर सामने आती है। आपने भी देखा होगा कि ग्रामीण महिलाएँ जब खाना बनाने बैठती हैं तो चूल्हे को जलाने से लेकर जब तक खाना बनकर तैयार न हो जाए तब तक उन्हें कड़ी मशक्क़त करनी पड़ती है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि खाना बनाने के दौरान चूल्हे से उठने वाला इस विषैले धुएँ का प्रभाव तंबाकू से भी अधिक घातक होता है। इसके अलावा महिलाओं को चूल्हा जलाने के लिए न जाने कितनी मेहनत करनी पड़ती थी।

ग्रामीण महिलाओं को उज्ज्वला योजना ने दी धुएँ से आज़ादी

गाँव के दूर-दराज़ इलाक़ों में घूम-घूमकर लकड़ी चुनना, कोयला जलाना और गोबर से उपले बनाकर ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना, ये सभी वो चुनौतियाँ हैं जिनसे ग्रामीण महिलाओं का सामना रोज़ाना होता है। इसके अलावा बरसात के समय तो यह समस्या और भी विकराल रूप ले लेती है क्योंकि गीले ईंधन से खाना बनाना किसी चुनौती से कम नहीं होता।

बता दें कि चूल्हे के धुएँ से एक तरफ तो फेफड़ों को नुक़सान पहुँचता है जिससे टीबी यानी तपेदिक की बीमारी का ख़तरा रहता है और वहीं दूसरी तरफ महिलाओं की आँखों को भी कई तरह की समस्याओं का ख़तरा बना रहता है, जिसमें मोतियाबिंद जैसी बीमारी के चलते दिखाई देना तक बंद हो सकता है। धुएँ का सीधा संबंध दिल संबंधी बीमारियों से होता है जिसका शिकार सबसे अधिक महिलाएँ ही होती हैं।

ऐसे में केंद्र सरकार की ‘उज्ज्वला योजना’ उन महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई जिन्हें रोज़ाना खाना बनाने के दौरान धुएँ से जूझना पड़ता था। उज्ज्वला योजना के तहत मुफ़्त गैस कनेक्शन ग्रामीण महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं। पिछली सरकार 55 फ़ीसदी लक्ष्य ही पूरा कर सकी जबकि मोदी सरकार ने 90 फ़ीसदी लक्ष्य प्राप्ति कर लगभग हर ग्रामीण महिला को चूल्हें के धुएँ से आज़ादी दिला दी। ध्यान देने वाली बात यह है कि जो आँकड़ा 2014 से पहले का है वो कॉन्ग्रेस के वर्षों तक एकछत्र राज का है और 90 फ़ीसदी का आँकड़ा वर्तमान सरकार का है जोकि बीजेपी सरकार के महज़ साढ़े चार साल के शासनकाल का है।

इस योजना के ज़रिए अब शुद्ध ईंधन के प्रयोग से महिलाओं के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है। साथ ही, छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर भी उचित प्रभाव पड़ा है। बता दें कि मई 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवार की महिलाओं को मुफ़्त रसोई गैस (LPG) कनेक्शन मुहैया कराने के लिए मंत्रिमंडल ने ₹8,000 करोड़ की योजना को मंज़ूरी दी।

प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना ने रखा गर्भवती महिलाओं का ख़्याल

महिलाओं के हालात बदलने में केवल एक यही योजना नहीं है बल्कि ऐसी अनेकों योजनाएँ हैं जिन्होंने उनके रहन-सहन में बेहतर योगदान दिया है। ऐसी ही एक और योजना है ‘प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना‘ जिसके तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ₹6,000 की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान है।

इस योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार करना है और नकदी प्रोत्साहन के ज़रिए उनके जीवन को स्वावलंबी बनाना है। इस योजना के लाभ से माँ और बच्चे दोनों को पोषण प्रदान किया जाता है, जिससे उन्हें कुपोषण से बचाया जा सके। जनवरी 2017 में इस योजना के तहत मोदी सरकार ने कुल बजट ₹12,661 करोड़ तय किया जिसमें से ₹7,932 करोड़ केंद्र सरकार द्वारा वहन किए जाना तय हुआ, बाक़ी राशि संबंधित राज्यों द्वारा वहन की जाएगी। इस योजना की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि योजना की राशि सीधे बैंक में भेजी जाती है जिससे इसके दुरुपयोग न किया जा सके।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना से बेटियों को मिला आधार

जनवरी 2015 में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ योजना का भी वर्तमान समय में काफ़ी योगदान है। समाज में बेटी का स्थान बेटे से कमतर ही आँका जाता है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में गठित सरकार ने बेटियों के मान को न सिर्फ़ बढ़ाने का काम किया है बल्कि उनके चहुमुखी विकास के लिए ऐसी योजनाओं का प्रावधान भी किया जिससे वो किसी पर बोझ न बनें और अपना विकास स्वयं करने में सक्षम हो सकें। जिस घर में बेटी का जन्म होता है उस घर में उसकी पढ़ाई और विवाह की चिंता घर के लोगों की चिंता का कारण बनी होती है। इसके समाधान के लिए बेटियों की शिक्षा का ज़िम्मा सरकार ने ख़ुद अपने कंधों पर लिया।

इस योजना को लागू करने के पीछे सबसे बड़ा मक़सद बालिका लिंगानुपात की गिरावट को कम करना है। इसके अलावा परिवार को बालिकाओं के प्रति किए जा रहे भेदभाव को कम करना और उन्हें जागरूक करना भी शामिल है ताकि समाज में बालिकाओं को भी अपने विकास का पूरा अधिकार मिल सके। इस योजना के तहत बेटियों को शिक्षा और विवाह के लिए आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया गया है। इस योजना को लागू कर सरकार ने देश की बेटियों के गौरव को बढ़ाने का काम किया है।

महिला ई-हाट ने दिलाई ग्रामीण महिलाओं के हुनर को पहचान

आज भी देश का किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की एक मज़बूत रीढ़ है, और इस रीढ़ के साथ क़दम से क़दम मिलाकर चलने वाली उन महिलाओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता जो हाथ के हुनर को भी जानती हैं। इन ग्रामीण महिलाओं के हाथ को हुनर को पहचान दी प्रधानमंत्री द्वारा चलाए जा रही एक ‘लाभकारी प्रशिक्षण और रोज़गार कार्यक्रम’ ने, जिसके माध्यम से महिलाओं को स्व-रोज़गार तलाशने में मदद मिली और उन्हें उद्यमी बनने में सक्षम बनाया। इस कार्यक्रम में हर वो कार्य शामिल किया गया जो महिलाएँ अक्सर घरों में किया करती थीं। इसमें, अचार बनाना, पापड़ बनाना, सिलाई, कढ़ाई, ज़री, हथकरघा, हस्तशिल्प जैसे तमाम लघु उद्योग शामिल हैं।

महिलाओं को इस तरह का कौशल प्रदान करना और सरकार द्वारा इसे प्रशिक्षण के दायरे में लाना एक बेहद सुखद पहल है, इससे ग्रामीण स्तर की महिलाओं को भी अपना जीवन सँवारने में मदद मिलेगी। महिलाओं की बेहतरी के लिए और उनके हुनर को जन-जन तक पहुँचाने के लिए ‘महिला ई-हाट’ भी वर्तमान सरकार की ही देन है। इस हाट का उद्देश्य है कि ग्रामीण महिलाओं के हस्तशिल्प को विश्व स्तर पर पहचान मिल सके और उनके लिए कमाई के एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर सके।  

निष्कर्ष के तौर पर यह मानने में कोई गुरेज़ नहीं होनी चाहिए कि वर्तमान सरकार ने देश के हर वर्ग को बराबर और एक स्तर पर लाने का पूरा प्रयास किया है। इस प्रयास में महिलाओं की बेहतरी के लिए उटाए गए क़दम भी शामिल हैं। तमाम आलोचनाओं का सामना करने के बावजूद वर्तमान सरकार अपने लक्ष्यों को पाने में न सिर्फ़ सफल रही बल्कि देश को तरक्की की राह पर भी लेकर आई।