‘राम मंदिर में बम ब्लास्ट कर मुस्लिमों को फँसाएँगे’: उद्धव के बाद कॉन्ग्रेस MLA ने उगला जहर, इस हिंदू घृणा के पीछे INDI गठबंधन की मंशा क्या?

अयोध्या के राम मंदिर में क्यों बम ब्लास्ट चाहते हैं कॉन्ग्रेस नेता? (फोटो साभार: X/@ChampatRaiVHP)

शिवसेना (उद्धव गुट) के मुखिया उद्धव ठाकरे के अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर में को लेकर दिए गए बयान के बाद एक और कॉन्ग्रेसी नेता ने बम धमाके की आशंका जताई है। कर्नाटक के कॉन्ग्रेस विधायक बी आर पाटिल ने कहा है कि राम मंदिर पर लोकसभा चुनावों से पहले हमला हो सकता है। बी आर पाटिल का यह वीडियो भारतीय जनता पार्टी द्वारा साझा किया गया है। बीआर पाटिल कर्नाटक के कलबुर्गी जिले की अलंद सीट से विधायक हैं। बी आर पाटिल के इस विवादित बयान के पश्चात कॉन्ग्रेस की राम मंदिर को लेकर मंशा के ऊपर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं।

बी आर पाटिल इस वीडियो में कहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी को जिताने के लिए वह लोग (भाजपा) राम मंदिर में धमाका करेंगे और इसका दोष मुस्लिमों पर डाला जाएगा जिससे हिन्दू वोट इकट्ठा हो। ऐसे नेता इस तरह के बयान देकर ये जताना चाहते हैं कि जिन भी आतंकी घटनाओं में अपराधी मुस्लिम निकल जाते हैं, असल में उन्होंने कुछ नहीं किया होता है और वो ‘फँसाए गए’ होते हैं। याद कीजिए, पुलवामा में जिस आतंकी हमले में 40 CRPF जवान बलिदान हो गए थे, उन्हें लेकर भी इसी तरह की बातें की गई थीं।

कर्नाटक भाजपा ने इस वीडियो को साझा करते हुए लिखा है, “कॉन्ग्रेस के लोग हिंदुत्व के मूल पर प्रश्न खड़ा कर रहे थे और अब उनके निशाने पर राम मंदिर है। राम मंदिर को अस्थिर करके हिन्दू-मुस्लिम दंगे करवा कर सरकार को दोष देने के लिए कॉन्ग्रेस ने पहले ही मैदान तैयार कर लिया है।”

अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर बन रहे श्रीराम मंदिर में जनवरी 2024 में प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी और इसके लिए भव्य कार्यक्रम के आयोजन की भी योजना है। इस बात की पूरी संभावना है कि प्रधानमंत्री मोदी 14 जनवरी, 2024 (मकर संक्रांति) के दिन मंदिर का लोकार्पण कर देंगे। राम मंदिर के शिलान्यास में पीएम मोदी के शामिल होने को ओवैसी जैसे नेताओं ने सेक्युलरिज्म की पराजय और हिंदुत्व की विजय बताया था।

जहाँ राम मंदिर देश के करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है वहीं विपक्षी दल इसे राजनीति में खींचने में जुटे हैं और मंदिर के लिए अनिष्ट की भविष्यवाणियाँ कर रहे हैं। इससे पहले उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राम मंदिर के उद्घाटन के पश्चात करोड़ों हिन्दू पूरे देश से दर्शन के लिए जाएँगे और इस दौरान कोई गोधरा जैसा कांड हो सकता है। आखिर क्यों ये नेता चाहते हैं कि राम मंदिर की शुरुआत खून बहने से हो? क्या ऐसा कर के वो उन आतंकियों को क्लीन चिट नहीं दे रहे, जिन्होंने गुजरात के अक्षर धाम मंदिर से लेकर वाराणसी के संकट मोचन मंदिर तक में हमले कर कइयों का खून बहाया।

हालाँकि, यह कोई पहला मौका नहीं है जब कॉन्ग्रेस या उसके सहयोगी दल, जो कि अब I.N.D.I. गठबंधन में शामिल हैं, राम मंदिर को लेकर अड़ंगा लगा रहे हों। हाल ही में DMK नेता उदयानिधि स्टालिन द्वारा सनातन को डेंगू-मलेरिया बताना और इसे खत्म करने की बातें करना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है। सोचने वाली बात ये है कि राम मंदिर के उद्घाटन की चर्चाओं के बाद ही इस तरह के बयान आने क्यों शुरू हुए? राम मंदिर के लिए पूरे देश ने चंदा दिया, फिर इन नेताओं को क्यों दिक्कत हो रही?

कॉन्ग्रेस राम मंदिर निर्माण के लिए शुरुआत से ही समस्याएँ पैदा करते आई है। जहाँ जवाहर लाल नेहरू ने गर्भगृह से मूर्तियाँ हटवाने के लिए दबाव डाला था तो वहीं नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान पूजा स्थल अधिनियम लाया गया था। इसके तहत 1947 तक जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे बनाए रखने का कानून बनाया गया। कई मंदिरों को ध्वस्त कर उन्हें मस्जिदों में तब्दील किया गया था। इस कानून से मंदिरों को मुक्त कराए जाने के अभियान को धक्का लगा।

इसके अलावा कॉन्ग्रेस ने ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके कहा था कि राम काल्पनिक हैं। कॉन्ग्रेस नेता श्रीराम ही नहीं बल्कि माता सीता पर भी भद्दे भद्दे बयान देते आए हैं। गुजरात कॉन्ग्रेस के नेता भरत सिंह सोलंकी ने कहा था कि राम मंदिर के लिए लाई गई ईंटों पर कुत्ते पेशाब करते हैं। रामसेतु को भी काल्पनिक बताते हुए DMK के मुखिया रहे करुणानिधि ने भी ये पूछा था कि भगवान श्रीराम को किस इंजीनियर कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री मिली?

बयान देने के अलावा कॉन्ग्रेस कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने राम मंदिर के लिए धन संग्रह को लेकर चलाए गए अभियान का भी मजाक उड़ाया था। पवन बंसल ने कहा था कि उनसे राम मंदिर को लेकर चंदा माँगा गया था लेकिन उन्होंने नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा था कि मैं घर में हिन्दू हूँ केवल बाहर मैं सेक्युलर हो जाता हूँ। मंदिर उद्घाटन के बाद लोकसभा चुनाव भी होना है, ऐसे में इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर हिन्दू विरोधी बयानबाजी और बढ़ती हुई दिखे।

गौरतलब है कि वर्ष 2002 में अयोध्या से गुजरात लौट रही कारसेवकों की ट्रेन पर गोधरा शहर में मुस्लिम भीड़ ने हमला कर के दो डिब्बों में आग लगा दी थी जिसमें 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी। मरने वालों में महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे। हत्यारों में मुस्लिम भीड़ थी, फिर आज ‘भाजपा राम मंदिर में बम ब्लास्ट करवाएगी’ जैसी बातें कर के उन्हें क्लीन चिट नहीं दे रही? खास बात ये है कि कॉन्ग्रेस की संगत में जाकर उद्धव ठाकरे जैसे नेता भी ऐसी भाषा बोल रहे हैं, जो पहले कट्टर हिंदुत्व का चोला ओढ़ कर संविधान से सेक्युलर शब्द ही हटाने की बात करते थे।

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