भारत के PM की तुलना ‘हिटलर’ से प्रशंसा योग्य लेकिन सीएम के बेटे को ‘पेंगुइन’ कहने की सजा जेल: ये है 2020 का भारत

पीएम मोदी ( साभार: इंडिया टीवी)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अक्सर ‘फासीवादी‘ कहा जाता है। और लिब्रल्स की ओर से देखे तो ठीक ही तो है।

जहाँ भारत के प्रमुख विपक्षी दल, ‘बुद्धिजीवी’, शिक्षाविद, मीडिया हस्ती और प्रोपेगेंडा फैलाने वाले तमाम पत्रकारों का पूरा इकोसिस्टम मोदी को ‘हिटलर’ के रूप में बार-बार बुला सकता है और साथ ही पीएम मोदी की छवि को एडॉल्फ हिटलर के रूप में प्रदर्शित कर सकता है, वहाँ मोदी के खिलाफ कोई भी बात गलत नहीं हो सकती।

भारत ही नहीं पाकिस्तान भी नियमित रूप से पीएम मोदी पर हमला करने के लिए कॉन्ग्रेस की लाइन का इस्तेमाल करता है। मतलब मोदी की तुलना हिटलर से करना।

https://twitter.com/PTIofficial/status/1171714311783403521?ref_src=twsrc%5Etfw

पाकिस्तान द्वारा किए गए इस ट्वीट को 1 साल से भी ज्यादा हो गया है।

पाकिस्तान की बात करें तो आपको याद होगा कि कैसे कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के विश्वासपात्र सैम पित्रोदा ने बालाकोट हवाई हमलों के दौरान न केवल पाकिस्तान का साथ दिया था, बल्कि पीएम मोदी की तुलना हिटलर से भी की थी। उन्होंने न केवल भारतीय सशस्त्र बलों को कम आँका बल्कि हवाई हमलों पर विदेशी मीडिया के पक्षपाती नैरेटिव का समर्थन भी किया। लेकिन किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ता जब कोई वरिष्ठ और प्रभावशाली कॉन्ग्रेसी नेता पीएम को ’हिटलर’ कहता है।

वहीं फिल्म निर्माता जैसे नागरिक पीएम मोदी की छवि को धूमिल करने के लिए फर्जी वीडियो का सहारा लेते हैं, जिसके जरिए वह ये दर्शाते हैं कि मोदी जर्मन तानाशाह हिटलर से प्रेरित थे। मोदी को वास्तव में एक फासीवादी होना चाहिए। लेकिन मोदी ने तब भी इन बातों को इतना महत्व नहीं दिया। अनुराग कश्यप को एक लिबरल के रूप में जाना जाता है। जो सत्ता के खिलाफ सच बोलते हैं (क्या हुआ अगर सच एक नकली वीडियो है)।

वहीं जब किसी ने सिर्फ मजाकिया तौर पर एक राज्य के मुख्यमंत्री का मीम्म बनाया, तो उसे गैर-जमानती आरोपों के साथ धर लिया गया। ‘हिटलर’ ने क्या किया? खैर, अगर बात करे पिछले साल दिसंबर की तो पीएम मोदी ने नेटीज़न्स द्वारा बनाए गए उनके सूर्य ग्रहण को देखते हुए मिम्स को प्रोत्साहित किया। जिस पर यह कहा जा सकता है, हाय फासीवादी, बहुत ही फासीवादी मोदी।

गौर करें तो भारत में मीडिया हस्तियों ने भी पीएम मोदी के लिए अपनी नफरत को छुपाने की कोशिश नहीं की है। कोरोनावायरस के शुरुआती दौर में कितने ही पत्रकारों ने मनाया की काश पीएम मोदी को यह जानलेवा बीमारी हो जाए। यहीं नहीं कितनों ने तो उनके मरने की कामना भी की। देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी बातें बोलने के बावजूद उनमें से किसी को भी जेल नहीं जाना पड़ा था।

वहीं न्यूज़ चैनल मालिकों को भ्रष्टाचार का खुलासा करने के लिए गिरफ्तार किया गया और जेल में भी डाल दिया गया था, जब उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार कथिततौर पर कई क्लब को पैसे दे रही है। जिसपर उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई। तब किसी ने भी इन पत्रकारों के समर्थन में आवाज नहीं उठाया जिनके खिलाफ राज्य सरकार बल प्रयोग कर रही थी।

यह सब देखते हुए यही कहा जा सकता है कि मोदी प्रेस की स्वतंत्रता और बोलने की आजादी का गला घोंट रहे है? शर्म आती है ‘हिटलर’ पर।

बता दें सिर्फ “हिटलर” का नाम ही नहीं है जो पीएम मोदी का अपमान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। और भी ऐसे कई अपमानजनक भाषा है जिसे तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2017 में पीएम मोदी के लिए इस्तेमाल किए गए विभिन्न अपमानों की लिस्ट बना कर सार्वजनिक किया था।

https://twitter.com/AmitShah/status/938751955446374400?ref_src=twsrc%5Etfw

उरी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद राहुल गाँधी द्वारा पीएम मोदी पर ‘खून का दलाली’ करने का आरोप लगाया गया था। लेकिन देखिए मुख्यमंत्री के बेटे, जो कि एक विधायक भी है, को पेंगुइन बुलाने के लिए जेल में ठूस दिया गया है। इस शब्द का संदर्भ बॉलीवुड के अलावा राजनीति में हो रहे भाई भतीजावाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अब आप बताइए फासिस्ट कौन है? हाँ जाहिर है नरेंद्र मोदी?

और बेबी पेंगुइन किसी भी प्रकार का अपमान नहीं है क्योंकि ज्यादातर पेंगुइन प्यारे होते हैं।

विडंबनापूर्ण है, कि जो आदमी पेंगुइन को मुंबई के एक चिड़ियाघर में ले आया, जहाँ का मौसम उड़ने वाले पक्षियों के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है, वह राज्य में पर्यावरण मंत्री है। लेकिन फिर ऐसी बातें हुईं जो काफी आश्चर्यजनक थी।

यह 2020 का भारत है।

Nirwa Mehta: Politically incorrect. Author, Flawed But Fabulous.