सागरिका जी, बता तो देतीं कि भारत में ‘अफ़्रीकी तानाशाह’ कौन है?

मुझे सागरिका जी की सबसे सेक्युलर, सोशलिस्ट तस्वीर यही मिली (फाइल फोटो)

सागरिका घोष (किसी पहचान की आवश्यकता नहीं) ने परसों सुबह ट्वीट किया:

https://twitter.com/sagarikaghose/status/1117294432842321921?ref_src=twsrc%5Etfw

मोटा-मोटी भाषा में कहें तो उन्होंने हम ‘निर्बुद्धि’ भारतीयों के साथ जिसे अंग्रेजी में ‘chastising’ कहते हैं, वह करते हुए कहा कि हे जाहिल, मूर्ख हिन्दुस्तानियों, अफ्रीका जिस कबीलाई तानाशाही को पीछे छोड़ आगे बढ़ रहा है, तुम लोग उन्हीं कबीलाई तानाशाहों को व्यग्रता से गले लगाए जा रहे हो!! (‘Chilling, but true’ का क्या अनुवाद करना!!)

कौन है यह ‘रहस्यमयी’ कबीलाई तानाशाह, जिसने सागरिका जी की उड़ा रखी है नींद??

पर मैं ज़रा कन्फ्यूज्ड हूँ- सागरिका जी बात किसकी कर रहीं हैं?? अभी चुनाव के नतीजे तो आए नहीं हैं जो पता चले कि हम मूर्ख, जाहिल भारतीय किसे ‘व्यग्रता से गले लगाए’ जा रहे हैं… या शायद आप अपने मीडिया ग्रुप टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रकाशित किए गए मतदान-पूर्व सर्वेक्षण की बात कर रहीं थीं, जिसमें… एक मिनट, मोदी और राजग की तो 50 के करीब सीटें कम हो रहीं हैं, मोदी का प्रधानमंत्री बनना या न बनना भाजपा के हाथों से निकल कर राजग के भी बाहर के दलों की मर्जी पर टिक रहा है। उसी की बात कर रहीं हैं आप??

आपके ही मीडिया ग्रुप के Times Now चैनल का यह सर्वेक्षण है, और इसमें संप्रग 140 से भी आगे जा रहा है जबकि 2014 से यह 60 पर पेट में घुटना दबा कर किसी तरह समय काट रहा था। पिछली बार 44 सीटें पाने वाली आपकी प्रिय कॉन्ग्रेस भी इस दफे 96 सीटें पाती दिख रही है। यानी आपके एम्प्लायर के हिसाब से तो ‘हवा’ पलट कर ‘बाबा (राहुल, साहेब नहीं)’ की चलने लगी है- भले ही इसे ढंग की बयार बनने में शायद पाँच साल और लगें!! तो क्या राहुल बाबा को ही वोटरों का थोड़ा-बहुत गले लगाना ‘कबीलाई तानाशाहों को व्यग्रता से गले लगाना’ है?

राहुल गाँधी ही वह कबीलाई तानाशाह हैं? क्योंकि आपका चैनल जनता का मूड तो उनकी तरफ ही मुड़ता दिखा रहा है!!  

या फिर आप उनके ‘कभी हाँ, कभी ना’ वाले दोस्त अखिलेश यादव की बात कर रहीं हैं, जिनके महागठबंधन को आपका चैनल Times Now यूपी में 51 सीटें दे रहा है?  

मीम भाषा में बोलूँ सागरिका जी तो ‘सेड रिएक्सस्स्स्स ओनली’!!! [रोता हुआ इमोजी खुद से कल्पित कर लीजिए!!]

मोदी को गरियाने का नया फार्मूला??

और या फिर हँसी-ठट्ठा छोड़ सीधे-सीधे पूछूँ तो क्या ये मोदी को गरियाने का नया फार्मूला है? क्योंकि ‘आएगा तो मोदी ही’ का मीम और ट्विटर ट्रेंड अब अपने सोशल मीडिया फीड पर और बर्दाश्त नहीं हो रहा?

आपके राजनीतिक आका का ‘चौकीदार चोर है’ औंधे मुँह जमींदोज़ हुआ, ‘नीच किस्म का आदमी’, ‘हमारे मुख्यालय में चाय बेचेगा ये चायवाला’ उलटे पड़े, ‘वॉट अबाउट 2002?’ मीम मैटीरियल से ज्यादा कुछ नहीं बचा है, ‘असहिष्णुता’ से लेकर ‘सेक्युलर फैब्रिक’, संविधान से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसी की दुहाई काम नहीं आ रही तो आप ये नया नाटक लेकर आईं?

मैं run-of-the-mill नेता होता तो आप पर यह भी आरोप लगा देता कि आप एक घांची-तेली-ओबीसी, गैर-हिंदीभाषी, गरीब घर में पैदा हुए नेता को अफ्रीका से जोड़ कर एक साथ पिछड़े वर्ग का अपमान, नस्लभेद, वर्ग विभेद, अलाना-फलाना-ढिकाना समेत दो-तीन दर्जन आरोप मढ़ देता। पर फ़िलहाल ज़मीर बेचा नहीं है तो ऐसा नहीं करूँगा, यह जानते हुए भी कि आप मौका मिलने पर मोदी के साथ यही या इससे भी बुरा करतीं।

पर यह ज़रूर कहूँगा कि नरेंद्र मोदी को लोगों की नज़रों में ‘नमो’ आप लोगों ने ही बनाया, 2014 का चुनाव भी उन्हें आपके दुष्प्रचार ने ही जिताया, और आज तमाम सचमुच की खामियाँ सरकार में होते हुए भी वह व्यक्ति अगर आज दोबारा उसी ताकत से सत्ता में वापसी के मुहाने पर खड़ा है तो भी आप ही लोगों की ‘bigotry’ की दया से। अगर पाँच साल मोदी के बहाने हिन्दुओं पर निशाना साधने की बजाय आप और आपके आका सचमुच में कुछ इस सरकार की सही की खामियों की बात कर लेते तो मोदी को हराने के लिए ही आपको अफ्रीका से निंदा भी ‘इम्पोर्टेड’ न इस्तेमाल करनी पड़ती।