कोरोना से जंग का कर्मयोगी: जमीन पर उतर मोर्चा लेने की CM योगी की ताकत, दूसरी लहर पर UP ने ऐसे पाया काबू

हर मोर्चे पर खुद दिखे सीएम योगी आदित्यनाथ

कोरोना की दूसरी लहर से लगभग पूरा देश ही जूझ रहा है। महामारी इतनी भयावह है कि स्वास्थ्य सेवा किसी विकसित देश की हो या अल्प विकसित देश की, बुरी तरह से प्रभावित है। सीमित संसाधन हर देश की लड़ाई को पंगु कर रहे हैं, ऐसे में भारत इसका अपवाद कैसे हो सकता है?

लेकिन यह कठिन समय ही नागरिकों को उनके नेताओं की नेतृत्व क्षमता पहचानने का भी मौका दे रहा है। नेताओं को इस बात का भान हो या न हो, पर आम भारतीय के मन और मस्तिष्क में उनकी बातें, उनका प्रदर्शन और उनकी नेतृत्व क्षमता जमा हो रही है।

भारत देख रहा है कि उपलब्ध सीमित संसाधनों के साथ कौन मुख्यमंत्री अपने राज्य के लोगों के लिए क्या-क्या कर रहा है। कौन केवल शिकायतें कर रहा है। कौन केवल मेहनत कर रहा है। कौन प्रोपेगेंडा कर रहा है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि मीडिया किसके खिलाफ, किसके पक्ष में और किसके साथ खड़ा है। इस लड़ाई का ऐसा कोई पहलू नहीं है जो एक आम भारतीय कहीं रिकॉर्ड न कर रहा हो।

ऑक्सीजन की कमी से लेकर उसके सरप्लस तक की यात्रा के दस्तावेज लिखे जा रहे हैं। बॉलीवुड सेलेब्स द्वारा किसी मुख्यमंत्री के यश गायन वाले ट्वीट के स्क्रीनशॉट लिए जा रहे हैं। पूरे भारत को ऑक्सीजन और इंजेक्शन की सप्लाई का दावा करने वाले किसी अति औसत दर्जे के सिने स्टार को ट्रोल किया जा रहा है।

कहीं नाराज़ समर्थक अपने ही मंत्री पर ट्वीट मिसाइल दागे जा रहे हैं। विपक्षी नेता द्वारा सत्ता में वापसी कर भाजपा समर्थकों से बदला लेने की धमकी वाला वीडियो वायरल हुआ जा रहा है। जिनके बच्चों की वैक्सीन मोदी ने कथित तौर पर विदेश भेज दी, वे लॉकडाउन के नियम तोड़कर शिकायती पोस्टर चिपका रहे हैं।

इन घटनाओं के बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हर जगह दिखाई दे रहे हैं। चाहे वह हॉस्पिटल हो या आँगनबाड़ी में बना टेस्ट सेंटर। गाँव का कोविड सेंटर हो या फिर गाँव में कोरोना पीड़ितों की सहायता के लिए पहुँची टीम से बातचीत। किसी शहर में तीसरी लहर के लिए की जाने वाली तैयारी हो। हर जगह योगी दिखाई दे रहे हैं। पत्रकारों से बात करते हुए, अफसरों के साथ बैठक करते हुए, आदेश देते हुए, ऑक्सीजन सप्लाई के लिए बनने वाले प्लांट का जायज़ा लेते हुए, ऑक्सीजन ऑडिट के लिए पहुँची टीम से मुलाक़ात करते हुए! ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ योगी दिखाई न दे रहे हों। यह बात अलग है कि वे ख़ुद कोरोना संक्रमण से लड़कर स्वस्थ हो वापस लौटे हैं।

साभार: दैनिक हिंदुस्तान

आईआईटी कानपुर और आईआईटी वाराणसी के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से बात करके अपने प्रदेश में ऑक्सीजन ऑडिट की पहल ख़ुद योगी ने की। दिल्ली के आईआईटियन मुख्यमंत्री के ठीक उलट जो आक्सीजन ऑडिट की बात का तब तक विरोध करते रहे जब तक उनके लिए यह करना संभव था।

यह विडंबना ही है कि मुख्यमंत्री के तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में इनसेफ्लाइटिस से लड़ाई के लिए योगी सरकार की सराहना राष्ट्रीय मंचों पर कम और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अधिक हुई। ऐसे में यह मात्र संयोग नहीं है कि कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के इस सरकार के तरीक़ों की सराहना विश्व स्वास्थ्य संगठन कर चुका है।

करीब एक महीने पहले रोज नए संक्रमित रोगियों की संख्या क़रीब चालीस हजार से घट कर आज दस हजार के आस-पास आ पहुँची है। टीम बनाकर गाँव में मरीजों को पहचानने की बात हो या उनके इलाज के लिए एक न्यूनतम तैयारी की बात हो, योगी आदित्यनाथ ने विशेषज्ञों पर निर्भरता और विश्वास दिखाया है।

उनकी सरकार ने जिन योजनाओं पर काम शुरू किया है, वे समय पर पूरी हुई तो प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई पहचान मिलेगी। ऑक्सीजन की कमी हो या अस्पतालों में बेड बढ़ाने की आवश्यकता, इस समय योगी सरकार हर समस्या पर काम कर रही है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से लड़ने की तैयारियों की शुरुआत नोएडा के अस्पताल से हो चुकी है और योजना के अनुसार प्रदेश सरकार समय रहते अपनी तैयारियों को पूरा कर लेगी।

ऐसा नहीं कि इस महामारी से लड़ाई में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सब कुछ सही ही किया है। लेकिन यह अवश्य है कि उन्होंने पहले से उपलब्ध संसाधनों को न केवल बढ़ाने का काम किया है, बल्कि अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की है कि महामारी पर क़ाबू पाया जा सके।

योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार का मूल्यांकन पहले भी हुआ है और आगे भी होगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब उनके नेतृत्व की क्षमता और प्रदर्शन का तार्किक मूल्यांकन भी किया जाएगा।