एक तरफ आतंक के खिलाफ लड़ाई की बातें, दूसरी तरफ UN में ₹40 करोड़ के इनामी आतंकी को बचा रहा चीन: कसाब को उसने ही दी थी ट्रेनिंग

आतंकी साजिद मीर को बचा कर चीन ने विश्व समुदाय को फिर दिया धोखा (फाइल फोटोज)

उज़्बेकिस्तान के शहर समरकंद में शुक्रवार (16 सितंबर, 2022) को ‘शंघाई सहयोग संगठन (SCO)’ का शिखर बैठक संपन्न हुआ। ‘शंघाई सहयोग संगठन’ दुनिया का सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है, जो कि राजनीति, अर्थशास्त्र, विकास और सेना के मुद्दों पर केंद्रित है। वर्तमान में इस संगठन में 8 सदस्य देश शामिल हैं। इन देशों की सूची में भारत, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित 4 पर्यवेक्षक देश (Observer Countries) और 6 संवाद भागीदार (Dialogue Partners) देश शामिल हैं।

इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, सीमा मुद्दों को हल करना, आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद का समाधान करना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ाना है।

चीन ने शिखर सम्मेलन में क्या कहा?

इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि सभी देश अपनी सुरक्षा और विकास के लिए क़दम उठाते हैं, सदस्य देशों को इसमें एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए। चीन ने अगले पाँच सालों तक एससीओ सदस्य देशों के 2000 सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देने और आतंकवाद के विरोध लड़ाई में मदद के लिए एक ट्रेनिंग बेस बनाने का भी आश्वासन दिया। लेकिन, हाल ही में जब संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैय्यबा के आतंकी साजिद मीर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए भारत और अमेरिका ने प्रस्ताव लाया, तब चीन ने उस प्रस्ताव को ब्लॉक कर दिया।

पिछले तीन महीनों में यह तीसरी बार है, जब चीन ने पाकिस्तान के ज़मीन पर पलने वाले आतंकी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 सूची में शामिल होने से रोका है। चीन का यह कदम चीन के दोहरे रवैये को साफ़-साफ़ दर्शाता है। चीन एक तरफ़ ‘आपसी विश्वास’ और ‘आपसी सहयोग’ की बात करता है, वहीं दूसरी तरफ़ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय हितों को हानि पहुँचाता है। यह चीन के ‘दोहरे चरित्र’ का परिचय देता है।

साजिद मीर भारत के लिए मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों में से एक है। वह 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में शामिल था। मीर ने अजमल कसाब सहित कई हमलावरों को भर्ती किया और उन्हें प्रशिक्षित किया। वह ऑस्ट्रेलियाई सैन्य प्रतिष्ठान पर हुए हमलों जैसे कई आतंकवादी वारदातों में भी शामिल था अमेरिका ने उस पर 50 लाख डॉलर (39.88 करोड़ रुपए) का इनाम रखा हुआ है।

चीन: पुराना धोखेबाज़

चीन ने हमेशा भारत को पीठ में छुरा घोपा है। यह ऐसी पहली घटना नहीं है, जब चीन ने पीछे से धोखा दिया हो। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उस समय के चीनी प्रधान जोउ इनलाई ने पंचशील समझौता किया था। उसके कुछ ही वर्षों बाद चीन ने भारत पर हमला किया और पंचशील समझौते के सिद्धांतों की धज्जियाँ उड़ा दी। कश्मीर के मुद्दे को ले कर भी चीन अपनी दोहरी रणनीति का परिचय देते आया है।

पहले भी चीन ने अपने और पाकिस्तान के हितों को ध्यान में रखते हुए कई आतंकियों को सूची 1267 में शामिल होने से रोका है। चीन द्वारा अपने P-5 दर्जे का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके खिलाफ मुक़ाबला करने के सामूहिक प्रयासों को भी वो बाधित करता है। इस तरह का कदम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को बढ़ावा देता है और वैश्विक स्तर पर आम सहमति के विपरीत है। अपने विस्तारवादी नीतियों को आगे रखते हुए चीन ने ‘नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था (Rule based International order)’ को हमेशा चुनौती दी है।

एससीओ के शिखर सम्मेलन में शुक्रवार को चीन ने आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई की जरूरत की बात कही और दूसरे दिन जब उस पर अमल करने की बारी आई तो चीन ने भारत सहित दुनिया को धोखा दे दिया। साजिद मीर जैसे आतंकवादी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 सूची में डालना क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता था। लेकिन, चीन ने अपने वीटो पावर (Veto Power) का इस्तेमाल कर के न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को धोखा दिया है।

ऐसे कदम एससीओ जैसे क्षेत्रीय संगठनों के सदस्यों में अविश्वास पैदा करते हैं, जो कि सामूहिक क्षेत्रीय विकास और वैश्विक विकास के लिए ख़तरा है।