‘तानाशाह मोदी’ की 3 ‘तानाशाही’: कोलकाता पुलिस को डिलीट करना पड़ा ट्वीट, मुस्लिमों को कॉन्ग्रेस के खिलाफ ‘भड़काया’

कौन है असली तानाशाह?

सोशल मीडिया पर बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर एक वीडियो शेयर करने के आरोप में कोलकाता पुलिस ने एक्स यूजर को जो कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी, वो ट्वीट अब डिलीट कर लिया गया है। पुलिस के उस ट्वीट के बाद तमाम एक्स यूजर एक के बाद एक शेयर करके वायरल कर रहे थे और कहा जा रहा था कि कोई वीडियो शेयर न करे वरना बंगाल पुलिस कार्रवाई कर सकती है।

बंगाल पुलिस के उस ट्वीट के बाद लगातार कई वीडियो अकॉउंट्स से वीडियो शेयर हुई, जिसके बाद लकाता पुलिस ने अपना ट्वीट डिलीट किया। लेकिन इसी बीच एक दिलचस्प चीज और देखने को मिली। वो थी ममता बनर्जी जैसी पीएम मोदी की वीडियो।

फनी वीडियो देख पीएम मोदी ने की तारीफ

जिस वीडियो को देखने के बाद बंगाल पुलिस द्वारा सोशल मीडिया यूजर को कार्रवाई लेने की बात कही गई थी, उसी वीडियो में अपना चेहरा देखने के बाद पीएम मोदी ने उसे अपने अकॉउंट से शेयर किया और साथ ही उस वीडियो को मजेदार कहकर सोशल मीडिया यूजर्स की क्रिएटिविटी की हौसला अफजाही भी की।

एक ही जैसे मामले पर दो राजनेताओं की अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ देखने के बाद अब एक नई बहस छिड़ गई है। ये बहस है कि आखिर असली तानाशाह कौन है? कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी हमेशा से पीएम मोदी पर जो डिक्टेटर होने का इल्जाम लगाते हुए आई हैं वो असल में कितना फर्जी था जबकि असली तानाशाह की परिभाषा तो उनकी राज्य की पुलिस ने गढ़ी है।

सोशल मीडिया पर बहस तेज है कि एक ओर पीएम मोदी हैं जो अपने पर बनी ऐसी वीडियोज को फनी कंटेंट को फनी समझकर उसे शेयर करते हैं, दूसरी ओर ममता सरकार है जो उसे फनी समझना तो दूर उसे लॉ एंड ऑर्डर पर खतरा बताती है और जब आलोचना होती है तो चुपके से ट्वीट डिलीट कर लिया जाता है।

गाली देने पर भी रिहा है लोग- क्या ये तानाशाही है?

उधर पीएम मोदी ने अपने इंटरव्यू में उन्हें तानाशाह कहे जाने की परिभाषा पर जवाब दिया है। पीएम ने एक इंटरव्यू में कहा है कि कुछ लोग उन्हें आए दिन गाली देते हैं, उनके परिवार को उलटा बोलते हैं, लेकिन जब वो इन बातों का विरोध करते हैं या कोई जवाब देते हैं तो उन्हें डिक्टेटर कह दिया जाता है। इतना ही नहीं, इंटरव्यू में पीएम मोदी ने ये भी कहा कि एक बार तानाशाही पर 100 प्वाइंट बनाकर अच्छे से वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण किया जाए कि असल में कॉन्ग्रेस-भाजपा में से किसने तानाशाही की है।

मुस्लिम समुदाय के लिए सोचते हैं पीएम मोदी

इतना ही नहीं अपने इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कॉन्ग्रेस को भी खूब लताड़ा। सालों से कॉन्ग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के मन में जो नफरत भरने का प्रयास किया है उसका जवाब देते हुए पीएम मोदी ने मुस्लिमों से कहा कि अगर उन्हें लगता है कि भाजपा कुछ गलत कर रही है तो वो चले जाएँ भाजपा कार्यालय और एक दिन बैठकर देखें कि हो रहा है। पीएम मोदी ने मुस्लिमों को जोर देकर कहा-

“मैं नहीं चाहता हूँ कोई समाज बंधुआ मजदूर की तरह जिंदगी जिये। क्योंकि कोई डरा रहा है, दूसरा अगर आप बैठना-उठना शुरू करोगे, भाजपा वाले आपको डर वाले लगते हैं, अरे जाओ ना 50 लोग बैठकर भाजपा कार्यालय में एक दिन बैठे रहो निकाल देंगे क्या आपको, अब देखिये क्या चल रहा है, कौन निकाल देगा आपको, कब्जा करो न जाकर बीजेपी कार्यालय में आपको कौन रोकता है।”

असली तानाशाह कौन?

मालूम हो कि पीएम मोदी जब से सत्ता में आए हैं उन्होंने हमेशा से हर वर्ग को साथ लेकर चलने का प्रयास किया है, लेकिन विपक्ष की राजनीति अफवाहें फैलाते हुए उन्हें तानाशाह साबित करने की रही है। मोदी सरकार कोई नया कानून बनाए तो, जनहित में कोई योजना लागू करे तो या दुश्मन मुल्क को मुँहतोड़ जवाब दे तो… हर स्थिति में उन्हें तानाशाह कह दिया जाता है। लेकिन उक्त मामले अगर देखें तो साफ पता चलेगा कि आज के समय में तानाशाही वो नहीं है जो पीएम मोदी के कार्यकाल में हो रही है, बल्कि वो है जो उनसे घृणा करने वाले उनके समर्थकों के साथ कर रहे हैं।

पीएम मोदी को गाली दिए जाने के बाद भी राजनेता आजाद घूमते हैं, उनके परिवार को गलत बोलने वालों पर कार्रवाई नहीं होती, मीम शेयर करने वालों बढ़ावा मिलता है, वो हमेशा उस वर्ग की चिंता करते हैं जिनके मन में पीएम के लिए नफरत भरी जा रही है… तो क्या ये सब तानाशाही में आता है। ज्यादा वक्त नहीं बीता। याद कीजिए उद्धव ठाकरे का कार्टून शेयर करने पर कैसे एक पूर्व नेवी ऑफिसर की पिटाई हुई थी। सोनिया गाँधी के बारे में बोले जाने पर कॉन्ग्रेसी कार्यकर्ताओं ने उत्पात मचाया था और ममता बनर्जी के खिलाफ कुछ बोलने पर विवाद इतना हो गया था कि बात गिरफ्तारियों तक आ गई थी और आज फिर वीडियो शेयर करने पर वही चेहरा सामने आया है।

ये सब हाल की बातें हैं जो बीतें 4-5 साल में हुईं। तानाशाही की परिभाषा और अच्छे से समझने के लिए इमरजेंसी काल जैसे उदाहरण मिल जाएँगे जब सत्ता ने सामान्य जन के अधिकारों को सिर्फ इसलिए छीना न कि कुर्सी उनसे न छिन जाए या उस पर खतरा न आ जाए।