बिहारियों की बात कर राहुल-तेजस्वी ने अपने पैर पर ‘8 बार’ मारी कुल्हाड़ी – 5वीं बहुत जोर की लगी

राहुल गाँधी के साथ तेजस्वी यादव

बिहार के जनाकांक्षा रैली में राहुल जी बोल रहे थे, मंच पर लालू यादव के सुपुत्र एवं गठबंधन के नए साथी तेजस्वी यादव भी मौजूद थे।

राहुल जी की रैली थी तो जैसा कि हमेशा होता है राफेल का जिक्र हुआ और हर बार की तरह उन्हें आज भी सही आँकड़ा याद नहीं था। 7 दिन पहले का अनिल अंबानी का ₹45,000 करोड़ का कर्ज आज ₹1 हजार लाख करोड़ हो गया (अंक में लिखना पड़ा क्योंकि मुझे ₹1 हजार लाख करोड़ लिखना नहीं आता)।

खैर, बात निकलते-निकलते बेरोजगारी तक पहुँच गई और श्रीमान ये बोल बैठे कि बिहार में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। लोगों को रोजगार के लिए गुजरात जाना पड़ता है और हम इसे खत्म करके रहेंगे, जिसे सुनकर साथ बैठे तेजस्वी यादव जी जोर-जोर से तालियाँ बजाते दिखे।

पर जोश में आकर ये बात बोलते समय न राहुल जी को ये याद रहा न ही तेजस्वी यादव जी को कि असल में वो खुद पर हमला कर रहे हैं। कैसे, वो एक बिहारी होने के नाते मैं बताता हूँ –

आजादी के बाद से 1990 तक 40 साल तक 1-2 साल छोड़ दें, तो करीबन कॉन्ग्रेस ने ही लगातार बिहार में शासन किया।

उसके बाद 1990 से 2005 तक भी करीबन 15 साल राहुल के अभी के हमजोली लालू यादव एंड फैमिली ने शासन किया।

तो क्या बिहार में रोजगार की समस्या 2005 के बाद शुरू हुई? क्या पहले गुजरात से लोग बिहार नौकरी ढूँढने जाते थे?

जाते होंगे पर मेरे पिता 1992 में गुजरात आए थे, पढ़ने नहीं काम की तलाश में।

97 में चाचा जी आए और फिर करीब-करीब पूरा खानदान यहीं आ गया। यहाँ आकर पता चला एक चौथाई गुजरात बिहार के लोगों से भरा पड़ा है, क्यों? क्या करने आये थे वो सब? बिहार में लालू-कॉन्ग्रेस की सरकार जबर्दस्ती नौकरी दे रही थी। उससे भाग कर आए थे? जी नहीं, हर व्यक्ति यहाँ काम की तलाश में आया था।

दूसरी बात ये कि राहुल जी खुद अपने मुँह से कबूल किए कि बिहार के लोग गुजरात जाते हैं काम ढूँढने। तो क्या ये मोदी जी के उस बात पर मुहर नहीं लगाता है कि गुजरात रोजगार देने के मामले में सबसे बेहतर है? यहाँ के लोग खुशहाल होते हैं?

क्या ये इस बात पर मुहर नहीं लगाता है कि व्यापार करने की सुगमता गुजरात में दूसरे राज्यों की अपेक्षा बेहतर है?

इसलिए अगर ठीक से विश्लेषण करें तो राहुल जी का आज का भाषण भाजपा के खिलाफ कम और कॉन्ग्रेस-जनता दल के खिलाफ ज्यादा माना जा सकता है।

यह विचार Mr Sinha का है। जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया