योजना, तैयारी और समय पर कार्रवाई…. जानें विनाशकारी बिपरजॉय चक्रवात से कैसे बचा गुजरात, राज्य सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए

गुजरात के मुख्यमंत्री पटेल (साभार: सोशल मीडिया)

आखिरकार गुजरात एक और संकट से बाहर निकल आया है। अरब सागर से उठा चक्रवात ‘बिपरजॉय’ गुरुवार (15 जून 2023) की रात तेज हवाओं और बारिश के साथ कच्छ तट से टकराया। इसने कच्छ और सौराष्ट्र के कुछ तटीय जिलों को प्रभावित किया। उस दौरान उसकी रफ्तार 115 से 125 किलोमीटर प्रति घंटा रही होगी, जो खतरनाक मानी जाती है। भले ही इतना भयानक तूफान आया हो, लेकिन अग्रिम योजना और एहतियाती उपायों के कारण जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है।

प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन योजना बनाकर उनसे मजबूती से निपटा जा सकता है। गुजरात सरकार ने इस तूफान से लड़ने में न तो एडवांस प्लानिंग में कमी दिखाई और न ही किसी तरह की लापरवाही। सरकार के सभी विभाग, सभी एजेंसियाँ, जिलों के प्रभारी मंत्रीगण और खुद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पूरी ऊर्जा के साथ काम किया। नतीजा यह हुआ कि इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदा भी गुजरात में कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुँचा पाई।

मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को विभिन्न जिलों की जिम्मेदारी सौंपी थी

चक्रवात बिपरजॉय के गुजरात की ओर रुख करने के साथ ही गुजरात की सरकार हरकत में आ गई। 11 जून 2023 (रविवार) को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने एक आपात बैठक बुलाकर राज्य के वरिष्ठ मंत्रियों को तटीय जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई। उनका काम था कि चक्रवात के संभावित प्रभाव को देखते हुए जिला प्रशासन की योजना एवं आपदा प्रबंधन कार्य में मार्गदर्शन करना।

जिम्मेदारी मिलने के साथ ही सभी मंत्रियों को आवंटित जिलों में तत्काल पहुँचने के निर्देश दे दिए गए। कच्छ में ऋषिकेश पटेल और प्रफुल्ल पनसेरिया, मोरबी में कानू देसाई, द्वारका में हर्ष संघवी, राजकोट में राघवजी पटेल, पोरबंदर में कुंवरजी बावलिया, जामनगर में मुलुभाई बेरा, जूनागढ़ में जगदीश विश्वकर्मा और गिर सोमनाथ में परसोत्तम सोलंकी को जिम्मेदारी दी गई।

ये सभी मंत्री तुरंत अपने आवंटित जिलों में पहुँचे और काम शुरू कर दिया। जब तक चक्रवात उन जिलों से गुजर नहीं गया, तब तक वे वहाँ डटे रहे। गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी लगातार लोगों के बीच रहे। वे स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए थे और अधिकारियों से संपर्क में थे। इस दौरान चक्रवात आने पर भी वे तेज हवाओं और बारिश के बीच काम करते दिखे।

शिक्षा राज्यमंत्री प्रफुल्ल पनसेरिया भी सक्रिय रहे और व्यक्तिगत रूप से अभियान में शामिल हुए। ऋषिकेश पटेल के पास कच्छ की जिम्मेदारी थी। उन्होंने व्यवस्था के साथ निरंतर समन्वय बनाकर मार्गदर्शन भी किया और काम भी किया। अन्य मंत्रियों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी।

धर्मार्थ संगठन और हिंदू संगठन भी आगे आए

धर्मार्थ संस्थान और हिंदू मंदिर भी इस आपदा काल में आगे आए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल जैसे संगठन भी लोगों की सेवा में लगे रहे। स्वामी नारायण संस्था और अन्य संगठन भी पीछे नहीं हटे। विस्थापितों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था हो या अग्रिम तैयारी, सब मिलकर काम करें तो सब कुछ हासिल हो जाता है और गुजरात में ऐसा देखने को मिला।

एक लाख लोगों को स्थानांतरित किया गया

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की बैठक के बाद कुल 1.08 लाख से अधिक लोगों को खतरनाक जगहों से शिफ्ट किया गया। इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में पलायन करना बड़ी बात है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं पर भी विशेष ध्यान दिया गया और अभियान चलाकर उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किया गया। निकासी के बाद भी अगर लोग फँसे हुए थे तो उन्हें एयरलिफ्ट किया गया।

चक्रवात से निपटने के लिए सरकार ने गुजरात के 9 तटीय जिलों कच्छ, देवभूमि द्वारका, जामनगर, मोरबी, पोरबंदर, गिर सोमनाथ, जूनागढ़, राजकोट और वलसाड और 1 केंद्र शासित प्रदेश दीव में एनडीआरएफ की कुल 19 टीमों को तैनात किया। वहीं, SDRF की 12 टीमों को 7 तटीय जिलों (कच्छ, देवभूमि द्वारका, जामनगर, मोरबी, पोरबंदर, गिर सोमनाथ, जूनागढ़) और पाटन-बनासकांठा में तैनात किया गया था। SDRF की 1 टीम को सूरत में रिजर्व रखा गया था।

स्वास्थ्य विभाग अलर्ट रहा

चक्रवात की चपेट में आने से पहले राज्य के संभावित प्रभावित क्षेत्रों में कुल 1005 चिकित्सा दल तैनात किए गए थे। प्रभावितों के लिए 202 ‘108 एंबुलेंस’ और 302 सरकारी एंबुलेंस सहित कुल 504 एंबुलेंस आवंटित की गई थीं। संभावित प्रभावित क्षेत्रों में 3,851 क्रिटिकल बेड की भी व्यवस्था की गई। इन क्षेत्रों में कुल 197 डीजी सेट आवंटित किए गए थे।

इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग ने संभावित प्रभावित क्षेत्रों में दवाओं और रसद की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की। प्रभावित जिलों के अस्पतालों में शत-प्रतिशत डीजल जनरेटर की व्यवस्था की गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संभावित प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं की सूची उनके प्रसव की अनुमानित तिथि के साथ बनाई और 1,152 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया।

इंसान के साथ-साथ जानवरों का भी रखा गया ख्याल

चक्रवात से सबसे ज्यादा बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है, लेकिन इससे निपटने के लिए ऊर्जा विभाग अभी से सक्रिय हो गया है। राज्य के 8 जिलों के कुल 3,751 गाँवों में 1,127 टीमों को तैनात किया गया और करीब 889 टीमों को स्टैंडबाय पर रखा गया है। इसी तरह वन विभाग ने भी प्रभावित जिलों में गिरे पेड़ों को हटाने के लिए कुल 237 टीमों को तैनात किया था।

आपदा से पहले न केवल इंसानों का ख्याल रखा गया था, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया गया था कि गिर के शेरों और अभयारण्य के अन्य जानवरों को नुकसान न पहुँचे। इसके लिए एशियाई शेरों के क्षेत्र में तेजी से बचाव कार्य करने और गिरे हुए पेड़ों को हटाने के लिए कुल 184 टीमों को तैनात किया गया था।

कच्छ अभयारण्य क्षेत्र में आवश्यक उपकरणों के साथ 13 परिचालन टीमों और 6 विशेष वन्यजीव बचाव दलों को भी तैनात किया गया था। सड़क एवं भवन निर्माण विभाग ने संभावित प्रभावित क्षेत्रों में 328 जेसीबी मशीन, 276 डंपर, 204 ट्रैक्टर, 60 लोडर और 234 अन्य उपकरणों सहित 132 टीमों को आवश्यक उपकरणों के साथ तैयार रखा।

पीएम मोदी की भी लगातार थी नजर

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल लगातार दो दिनों से राज्य आपातकाल संचालन केंद्र में रूके रहे। इस दौरान वे स्थिति पर नजर बनाए रखे और निर्देश देते रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बैठक की और चक्रवात से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी ली। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से टेलीफोन पर बातचीत कर तैयारियों की जानकारी ली। गृहमंत्री अमित शाह भी सक्रिय रहे और स्थिति पर नजर रखे। इसके अलावा, केंद्रीय एजेंसियाँ ​​भी सक्रिय रहीं।

गुजरात सरकार ने ‘जीरो कैजुअल्टी’ अप्रोच के साथ काम किया और इसमें उसे सफलता भी मिली। हालाँकि, इतना बड़ा तूफान तट से टकराया और तेज हवाएँ चलीं तथा जमकर बारिश हुई, लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं आई। इस तरह सरकार ने लोगों को सुरक्षित रखने में सफलता प्राप्त की।

पुनर्निर्माण का काम भी जोरों पर शुरू

चक्रवात का प्रभाव कम होने के बाद पुनर्निर्माण का काम जोर-शोर से शुरू हो गया। कुछ ही घंटों में अधिकांश सड़कों को खोल दिया गया। उन हजारों गाँवों में बिजली बहाल कर दी गई, जहाँ बिजली की आपूर्ति बंद हो गई थी। जहाँ मरम्मत की आवश्यकता थी, वहाँ उस काम को पूरा किया गया।

गुजरात ने अतीत में भी प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है और मजबूत बनकर उभरा है। इस बार भी सरकार की समयबद्ध योजना, तैयारी और गंभीर प्रदर्शन के कारण राज्य ने सफलतापूर्वक बिपरजॉय चक्रवात का सामना किया। इस तरह राज्य एक और आपदा से सफलतापूर्वक बाहर निकल आया।

(सांख्यिकीय डेटा सौजन्य- सूचना विभाग, गुजरात सरकार)

Meghalsinh Parmar: A Journalist. Deputy Editor- OpIndia Gujarati. Not an author but love to write.