सेलिब्रिटियों का ‘तलाक’ बिगाड़े न समाज के हालात… इन्फ्लुएंस होने से पहले भारतीयों को सोचने की क्यों है जरूरत

सेलीब्रिटियों का तलाक से क्या संदेश

भारतीय संस्कृति में विवाह का एक खास महत्व होता है जबकि तलाक का फैसला बहुत बड़ी बात मानी जाती है, लेकिन आजकल के समय में ऐसा लग रहा है जैसे ‘तलाक’ के कॉन्सेप्ट को ट्रेंड बनाने का प्रयास हो रहा है। एक दम ताजा बात है, मशहूर भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पांड्या अपनी पत्नी नताशा से अलग हुए हैं। वहीं कुछ दिन पहले ही दूसरी शादी के बंधन में बँधी टीवी एक्ट्रेस और बिग बॉस फेम दलजीत कौर भी अपने पति से धोखा पाने के बाद अलग हुई हैं।

दोनों ने अपने इस फैसले के पीछे मीडिया को अपने-अपने कारण दिए हैं और दोनों डायवोर्सों की चर्चा भी मीडिया में जोरों-शोरों से है। कुछ लोग इनके इस फैसले के बारे में जानने के बाद कह रहे हैं कि एक खराब रिश्ते में रहने से अच्छा तलाक लेकर अलग होना है तो कुछ लोग समझा रहे हैं कि शादी करने के बाद एक दूसरे से अलग होने का कड़ा फैसला लेने से पहले सोचना चाहिए।

अब ये सारी बातें सोशल मीडिया की हैं। सेलिब्रिटियों की दुनिया में शादी करना, फिर तलाक लेना, फिर शादी करना और फिर से तलाक लेना बहुत सामान्य बात होती जा रही है, उनके लिए ये सब नया नहीं है… वहीं ये प्रक्रिया भारत के सामान्य लोगों के लिए सामान्य नहीं है। ऐसे में इन सेलिब्रिटियों के तलाक का जितना प्रचार सोशल मीडिया पर होता है वो समाज के लिए बेहद घातक हो सकता है।

आप अगर पूछें कैसे तो इसका जवाब है सोशल मीडिया, उसपर बढ़ते भारतीय यूजर्स और सेलिब्रिटियों से इन्फ्लुएंस होती जनता…। आज के समय में जब सोशल मीडिया के आने के बाद लोग अपने रिश्ते बचाने के लिए संघर्षों में लगे हैं और हर इन्फ्लुएंसर से इन्फ्लुएंस होकर अपने कदम उठाना शुरू कर रहे हैं… उस समय में सेलिब्रिटियों द्वारा तलाक सामान्य बनाते जाना बेहद खतरनाक है।

सेलिब्रिटियों के लिए ऐसे फैसले नॉर्मल हो सकते हैं, क्योंकि उनके आसपास के परिवेश में ऐसा कई लोग पहले ही कर चुके होते हैं। मीडिया में ऐसी खबरें आने व्यक्ति विशेष पर क्या फर्क पड़े वो अलग है, लेकिन उस दुनिया के लिए वो सामान्य न्यूज होती है। वहाँ रिश्तों में धोखेबाजी को भी ‘ओपन रिलेशनशिप’ का नाम देकर समझाने का प्रयास होता है, अगर ऐसा नहीं होता तो म्यूचल अंडरस्टैंडिंग के नाम पर लोग अलग होकर जीवन जीने लगते हैं… लेकिन क्या ये सब आम भारतीय परिवेश में होता है? जवाब है- नहीं, बिलकुल नहीं। यही वजह है कि आम लोगों को सेलिब्रिटियों के फैसलों से प्रभावित होकर अपने जीवन में एक्शन लेने से पहले सोचना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि उनके (आम भारतीय लोगों के) जीवन में और एक्टर-क्रिकेटर के जीवन में क्या फर्क होता है।

आगे बढ़ने से पहले ये बात स्पष्ट हो कि ये लेख केवल इस मुद्दे पर गौर करवाने के लिए है कि सेलिब्रिटियों के तलाकों के फैसलों से प्रभावित होकर आम लोगों को शादीशुदा जिंदगी के फैसले लेना… क्यों भारतीय संस्कृति के लिए खतरनाक हो सकता है… ये लेख इस मुद्दे पर बिलकुल नहीं है कि कोई व्यक्ति (महिला या पुरुष) संस्कृति के नाम पर घरेलू हिंसा, अत्याचार, मानसिक/सामाजिक/ आर्थिक आघात सहता रहे, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो उसका पार्टनर कर रहा है।

बॉलीवुड के एक्टर-एक्ट्रेस हों या फिर कोई क्रिकेटर या अन्य नामी हस्ती… हर वो व्यक्ति जिसे मीडिया कवरेज देना जरूरी समझता है उसे आमतौर पर सेलिब्रिटी कह दिया जाता है। एक बार इस श्रेणी में आने के बाद इनके जीवन में घटित हर घटना खबर का रूप ले लेती है। कारण यही होता है कि इनकी दुनिया के बारे लोग जानना चाहते हैं। इनकी लाइफस्टाइल को फॉलो करना चाहते हैं। यही वजह है कि जब इन सेलिब्रिटियों के तलाक की खबरें आती हैं तो वो समाज पर अपना असर छोड़ती है। लोग जाने-अंजाने इनकी स्थिति से खुद को जोड़ने लगते हैं। इनके उठाए मुद्दों से अपनी जिंदगी जोड़ते हैं, इनकी दुनिया से अपनी तुलना करते हैं और इन्हीं सबसे होती है आपसी रिश्ते बिगड़ने की शुरुआत।

लोग पहले बिना सोचे समझें सेलिब्रिटियों के ऐसे फैसलों पर कमेंट करते हैं, उसमें दिलचस्पी दिखाते हैं, क्या हुआ-कैसे हुआ जानना चाहते हैं और फिर उसी फैसले से प्रभावित होते हुए भी दिखते हैं… गलती उनकी भी नहीं है। पेज थ्री की दुनिया ने आमजन के लिए मॉडर्न होने की परिभाषा यही बना दी है कि जो सेलिब्रिटी करें वो उसे फॉलो करें, जबकि, देखा जाए तो हकीकत यह है कि जो सेलिब्रिटी अपनी दुनिया में रिश्तों के साथ कर रहे हैं वहाँ वह भले उन्हें निजी तौर पर प्रभावित करे लेकिन सार्वजनिक तौर पर वह कदम आम है, उनके लिए नए लोगों से मिलना, नए संबंधों में जुड़ना, परिवार से कटना, चकाचौंध में जीना नॉर्मल है… मगर सोचिए क्या आपकी अपनी दुनिया में ऐसा होता है।

सेलिब्रिटी को देख उनके फैंस हद से ज्यादा मॉर्डन होने के प्रयासों में रिश्तों को तवज्जों देना छोड़ देते हैं, उनकी जीवनशैली बदलने लगती है, उनके आसपास लोगों का सर्कल बदलता है… मगर याद रहे इन सबके बीच आपके आसपास का समाज वही रहता है जिसके लिए विवाह पवित्र बंधन है जो नोंक-झोंक पर तलाक नहीं सुलाह करने की सलाह देता है। एक रिश्ते के होते दूसरे रिश्ते को नाजायज समझता है। उनके लिए आए दिन पार्टनर बदलना अभी सामान्य नहीं हुआ है इसलिए जब कोई बॉलीवुड के कल्चर को आम जिंदगी में अपनाता है तो वह असहज हो जाते हैं, उन्हें संस्कृति मिटने का खतरा साफ दिखता है।