जब कश्मीरी बैंड की लड़कियों को रेप की धमकी मिलती रही, CM अब्दुल्ला पलट कर कठमुल्लों की गोद में बैठ गए

याद है किसी को प्रगाश बैंड की लड़कियाँ आज कहाँ हैं?

श्रीनगर के राजबाग में एक स्कूल है, प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट, जिसके कॉन्वेंट नाम से अंदाजा हो गया होगा कि इसे इसाई मिशनरी चलाते हैं। यह कोई इतिहास में प्रसिद्ध, 19वीं शताब्दी का स्कूल हो ऐसा नहीं है। 2009 तक यह सेकेंडरी स्कूल था, उसके बाद ही हायर सेकेंडरी स्कूल बना है। अब आप कह सकते हैं कि मेरी आज की कहानी इतिहास में बहुत पीछे नहीं जाती। जब मिशनरी स्कूल है तो जाहिर है इसके अन्दर व्यवस्था उतनी कट्टरपंथी नहीं थी, जितना कि लड़कियों के लिए बाकी के कश्मीर में होता था। यहाँ लड़कियाँ संगीत भी सीख सकती थीं।

इसी स्कूल में नोमा, अनीका और फराह हसन ने मिलकर एक म्यूजिक बैंड शुरू कर रखा था। ये लोग अक्सर रॉक म्यूजिक गाते-सुनते थे। रॉक की ख़ास बात ही यही होती है कि वो सत्ता का विरोधी भी होता है। इस लिहाज से सोचा जाए तो प्रगाश नाम के उनके इस बैंड को अलगाववादी ताकतों का समर्थन मिलना चाहिए था। लेकिन, हकीकत की जमीन पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। जब 2012 में इस रॉक बैंड ने अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया तो वो श्रीनगर का ही “बैटल ऑफ़ बैंड्स” का आयोजन था। ये रॉक का एक खास आयोजन होता है जिसमें जनता की आवाज से जीत हार का फैसला होता है।

10 दिसम्बर 2012 को जब प्रगाश ने इस मुकाबले में हिस्सा लिया तो मौजूद श्रोताओं ने एक स्वर से इसकी जीत घोषित की। अफ़सोस की लड़कियों का जीतना कठमुल्लों को रास नहीं आया। धमकियाँ मिलने लगीं। चोट पहुँचाने या कत्ल की नहीं, ये किशोरियों को दी जा रही बलात्कार की धमकियाँ थीं। आखरी खलीफा ऑट्टोमन के दौर में हर राज्य के लिए एक मुफ़्ती का जो इस्लामिक चलन आया था उसके हिसाब से बने राज्य के मुख्य मुफ़्ती ने लड़कियों के खिलाफ फतवा जारी कर दिया। जब 370 लागू हो तो लड़कियाँ राज्य से भागकर भी कहाँ जातीं? भागती भी तो पूरा खानदान लेकर भागती क्या?

3 फ़रवरी 2013 को जारी किए गए इस इस्लामिक फतवे के बाद लड़कियों की आवाज़ पर बूट पड़ गई थी। उस दौर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुरू में तो किशोरियों के समर्थन की बात की थी मगर बाद में वो कायरों की तरह पलट गए और प्रगाश के समर्थन के अपने ट्वीट भी डिलीट कर डाले। शुरुआत में इस मामले में बलात्कार की धमकियाँ देने के लिए तीन लोगों की गिरफ्तारियाँ हुई थी। मगर बाद में उमर अब्दुल्ला को याद आया कि वो मजहबी पहले और मुख्यमंत्री बाद में हैं। जब सरकार ने सुरक्षा देने से भी इनकार कर दिया हो तो लड़कियाँ कितनी देर टिकती? इस्लामिक कट्टरपंथ से संगीत हार गया और बैंड चुपचाप, खामोश हो गया।

इस दौर में कश्मीर में कोई म्यूजिक बैंड नहीं होता था ऐसा बिलकुल नहीं है। कम से कम दर्जन भर म्यूजिक बैंड रहे होंगे तभी तो “बैटल ऑफ़ बैंड्स” में मुकाबला हो रहा था। उन्हें दिक्कत लड़कियों के बैंड से थी। आखिर नोमा नज़ीर गिटार बजा कर गाएगी क्यों? आखिर फराह दीबा ड्रम कैसे बजा सकती है? आखिर अनीका खालिद गिटार क्यों बजाए? उमर अब्दुल्ला के ट्वीट डिलीट करने और कठमुल्लों के फतवे, बलात्कार की धमकियों से जो दसवीं की लड़कियों का बैंड बंद हुआ था, उसके नाम प्रगाश का मतलब भी “रौशनी” ही होता है।

कश्मीर में जब तक 370 था तबतक लड़कियों की शादी 18 वर्ष की आयु के बाद ही हो, ऐसा कोई कानून नहीं चलता था। बाल विवाह भी होता था इसलिए करीब दस साल पहले दसवीं में पढ़ने वाली ये बच्चियाँ आज कहाँ होंगी ये तो पता नहीं। संभव है कि कठमुल्लों के खौफ़ से इनके परिवारों ने जल्दी-जल्दी इनकी शादी करके कहीं और भेज दिया हो। आज इनका जिक्र इसलिए क्योंकि कभी-कभी कुछ दोमुँहे, जो इनकी आवाज दबाए जाने पर चुप रह गए थे, वो पूछते हैं कि तुम्हें जो डल झील में छठ मनाने की छूट मिल गयी, उसके बदले में कश्मीरियों को क्या मिला?

ऐसे दोमुँहों को हम याद दिला दें कि हम बिहार में रहते हैं। यह वो राज्य है जहाँ मैथली ठाकुर जैसी बच्चियों के गाने पर उन्हें जबरन चुप कराने के कोई फतवे नहीं दिए जाते। संगीत के लिए यहाँ कोई बलात्कार की धमकी दे, तो उसे सुधारने के लिए शुद्ध “गांधीवादी” तरीके ही इस्तेमाल किए जाएँगे। अगर हमारे पास वहाँ जाने का अधिकार है तो बदले में हम भी प्रगाश को बिहार आकर गाने का आमंत्रण देते हैं। इतने वर्षों में “प्रगाश” की छूटी हुई म्यूजिक प्रैक्टिस, रियाज़ से क्या हुआ होगा उससे कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता। गाने के बोल समझ में आए न आए। टूटे फूटे उच्चारण पर हमने लद्दाख वाले सांसद के लिए तालियाँ तो बजाई ही हैं न? आपके गाने पर इससे ज्यादा बजाई जाएँगी।

बाकी आमंत्रण सिर्फ प्रगाश के लिए हो ऐसा भी नहीं है, वादी की सभी बच्चियों के लिए लागू होगा। लड़कों के गाने पर उन्हें वैसे भी दिक्कत नहीं थी, लड़कियों को अगर कट्टरपंथियों से दिक्कत हो तो वहाँ गाने के बदले यहाँ आकर गाना। यहाँ हम तारीफ ही करेंगे।

Anand Kumar: Tread cautiously, here sentiments may get hurt!