‘पढ़ी-लिखी महिलाएँ ये क्यों करती हैं’ से लेकर ‘मैं उस दिन खूब खाऊँगी’ तक, नसीरुद्दीन-सैफ की बीवियों ने उड़ाया था हिन्दू आस्था का मजाक, एक बार फिर निशाने पर पति-पत्नी का पर्व

रत्ना पाठक शाह और करीना कपूर जैसों ने करवा चौथा त्योहार को बनाया था निशाना (फोटो साभार: लाइव हिंदुस्तान/दोनों के इंस्टाग्राम हैंडल)

प्रेम के पर्व पर प्रहार परंतु प्रेम की विजय हर बार होती है। एक बार फिर से करवा चौथ आया है और एक बार फिर से पति-पत्नी के प्रेम का पर्व निशाने पर है। यह इसीलिए निशाने पर है क्योंकि इसमें पत्नी अपने पति के लिए भूखी रहकर उपवास करती है। मात्र एक दिन का यह पर्व निशाने पर रहता है और यह कहा जाता है कि यह पितृसत्ता को बढ़ाने वाला है। क्या यह वास्तव में पितृसत्ता को बढ़ाने वाला है या यह मात्र पति के प्यार को समर्पित पर्व है?

हालाँकि, इस बार शोर कम है और इस बार वह सेलेब्रिटी भी यह नहीं कह रहे हैं कि हम करवा चौथ नहीं रखेंगे, जिनका दूर-दूर तक कोई रिश्ता इस पर्व के साथ नहीं होता था। यह बहुत ही हास्यास्पद था कि मुस्लिम अभिनेत्रियाँ या फिर मुस्लिम परिवार में गईं अभिनेत्रियाँ करवा चौथ पर प्रश्न उठाती थीं, जबकि फ़िल्मी कलाकारों में यह पर्व मनाना बहुत आम है। हर वर्ष नव विवाहित अभिनेत्रियों के साथ कई अभिनेत्रियों की तस्वीरें साझा की जाती हैं और इसी बात को लेकर नसीरुद्दीन शाह की बीवी रत्ना पाठक शाह ने यह तक कह दिया था कि अब लोग उनसे पूछते हैं कि वह करवा चौथ रखती हैं?

उन्होंने इसे पिछड़ेपन से जोड़ते हुए कहा था, “एक बार मुझसे किसी ने पूछा था कि आप करवा चौथ का व्रत क्यों रखती। तो मैंने यही सोचा कि मैं क्या पागल हूँ क्या? ये बहुत ही अजीब है कि पढ़ी-लिखी महिलाएँ भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रख रही हैं।” और उन्होंने यह भी कहा था कि इससे पता चलता है कि असहिष्णुता कितनी बढ़ गई है कि करवा चौथ तक का प्रश्न किया जाता है? और सैफ अली खान से निकाह करने वाली अभिनेत्री करीना कपूर ने एक बार कहा था, ‘जब बाकी औरतें भूखी रहेंगी, मैं खूब खाऊँगी। क्योंकि मुझे अपना प्यार साबित करने के लिए भूखे रहने की कोई भी जरूरत नहीं है।”

वहीं अक्षय कुमार की पत्नी ट्विंकल खन्ना ने भी यही कहा था कि अब जब 40 वर्ष की आयु में लोग दूसरी शादी कर लेते हैं तो करवा चौथ का फायदा क्या? ऐसे तमाम लोग हैं जो इस पर्व का उपहास उड़ाते हुए उन महिलाओं की आस्था का मजाक उड़ाते हैं जो महिलाएँ अपने जीवनसाथी को अपने प्रेम, आस और विश्वास की डोर में बाँध कर व्रत रखती हैं। वह चाहती हैं कि वह अपने प्रेम को दिखाएँ, अपने जीवनसाथी के प्रति विश्वास को प्रदर्शित करें और उन तक अपना संदेश पहुँचाएँ।

एक बार एक तस्वीर वायरल हुई थी जिसमें सीमा पर तैनात पति की तस्वीर को देखकर एक महिला व्रत खोल रही है। उस महिला को विश्वास रहा होगा कि उसका व्रत सीमा पर उसके पति की रक्षा करेगा।
विश्वास की डोर को मजबूत करने वाला यह पर्व कई झंझावातों को झेलकर प्रेम और उल्लास के साथ बढ़ता जा रहा है और इसके साथ ही उन शक्तियों का रोना भी बढ़ता जा रहा है जो परिवार को तोड़ने के लिए जी-जान से लगी हुई हैं, मगर भारतीय संस्कृति और यह पर्व नित नए रूपों में बढ़ता जा रहा है।

Barkha Trehan: Activist | Voice Of Men | President, Purush Aayog | TEDx Speaker | Hindu Entrepreneur | Director of Documentary #TheCURSEOfManhood http://youtu.be/tOBrjL1VI6A