किराये के घर में रहने वालों को तोहफा, सस्ती दवाओं के लिए 25000 ‘जन औषधि केंद्र’ का लक्ष्य, रेहड़ी वालों के लिए ‘विश्वकर्मा योजना’: लाल किले से PM मोदी की 3 गारंटी

लाल किले की प्राचीर से 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने देशवासियों को बधाई दी (फोटो-@BJP4India)

भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर 10वीं बार झंडा फहराया। इस दौरान उन्होंने आज़ादी के जश्न की देशवासियों को बधाई दी। पीएम मे अपने शासन काल के 10 साल का हिसाब देने के साथ ही भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण जैसी तीन बुराइयों से मुक्ति की अपील की।

वहीं उन्होंने मणिपुर हिंसा के साथ ही सुधारों पर भी बात की, लेकिन 90 मिनट के उनके भाषण में सबसे खास बात रही देशवासियों को दी गई उनकी तीन गारंटियाँ। इनमें 5 साल के अंदर भारत को दुनिया की तीसरी आर्थिक शक्ति बनाने की बात उन्होंने की तो वहीं शहरों में किराए के मकानों में रहने वालों के लिए बैंक लोन में रियायत देने के साथ देशभर में 25 हजार जन औषधि केंद्र खोले जाने का ऐलान भी किया।

‘मैं आपके किसी दुःख को नहीं देख सकता हूँ’

उन्होंने कहा कि हमने कठोर परिश्रम किया है, देश के लिए किया है, शान से किया है। सिर्फ और सिर्फ Nation First, राष्ट्र सर्वोपरि इस भावना से किया है। इस दौरान ही उन्होंने देशवासियों से तीन गारंटी का वादा भी किया। 17 सितंबर को विश्वकर्मा योजना शुरू करने का ऐलान किया। अपना भाषण समाप्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एक कविता का जिक्र किया और कहा, ‘चलता-चलाता काल चक्र, अमृत काल का भाल चक्र, सबके सपने अपने सपने, पनपे सपने सारे, धीर चले वीर चले, चले युवा हमारे, नीति सही रीति नई, गति सही राह नई, चुनौती सीना तान, जग में बढ़ाओ देश का नाम।

किराए के घर में रहने वालों को पीएम मोदी की गुड न्यूज

किराए के घर में रहने वाले लोगों को पीएम मोदी ने आजादी के जश्न की 77वीं सालगिरह पर अच्छी खबर सुनाई। लाल किले के प्राचीर से उन्होंने कहा कि कमजोर और मध्य वर्ग के लोगों के लिए सरकार एक योजना लेकर आ रही है। सरकार ने ऐसे लोगों को होम लोन के ब्याज में लाखों रुपये की राहत देने का फैसला किया है। इससे झुग्गी-झोपड़ी और किराये पर रहने वाले लोगों का अपने घर का सपना पूरा हो सकेगा।

पीएम मोदी ने कहा, ‘शहर के अंदर जो कमजोर लोग रहते हैं। मध्यम वर्ग के परिवार जो अपने घर का सपना देख रहे हैं, हम आने वाले कुछ सालों में उनके लिए योजना लेकर आ रहे हैं। जो शहरों में रहते हैं, किराए के मकान, झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं, चॉल में रहते हैं, ऐसे लोगों को जो लोन मिलेगा, उसके ब्याज में लाखों रुपयों की राहत देने का फैसला किया है।’ देश में अब भी एक बड़ी आबादी झुग्गियों में रहती है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, शहरों में 17 फीसदी आबादी झुग्गियों में रहती है।

जन औषधि केंद्र बने गरीबों के लिए वरदान

देश में जन औषधि केंद्रों ने देश के बुजुर्गों को, मध्यमवर्गीय परिवार को एक नई ताकत दी है। इनकी कामयाबी को को देखते हुए पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अब देश में 10 हजार जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है। लाल किले की प्राचीर से पीएम ने कहा कि इनकी संख्या बढ़ाकर 25 हजार जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में इस तरफ काम शुरू हो जाएगा। जन औषधि केंद्र खासकर गरीबों के लिए एक वरदान साबित हुआ है।

वहाँ पर बहुत सस्ते दामों में जेनरिक दवाएँ मुहैया कराई जाती हैं। ऐसे में पीएम मोदी का ये ऐलान इस बात का संकेत माना जा रहा है कि सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई अहम कदम उठाने जा रही है। भारत में ब्रांडेड दवाओं और सर्जिकल उपकरणों की महंगी कीमतों की वजह से गुणवत्तापरक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं चुनौतीपूर्ण रहा है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

इस परेशानी का हल निकालने के लिए और सभी देशवासियों को गुणवत्ता वाली दवाएँ देने के लिए फार्मास्यूटिकल विभाग और भारत सरकार ने 23 अप्रैल, 2008 को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और अर्धग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों को जन औषधि मेडिकल स्टोर जैसे विभिन्न बिक्री ऑउटलेट के जरिए गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएँ मुहैया करवाना हैं।

‘भारत को दुनिया की टॉप-3 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में लाऊँगा’

77वें स्वतंत्रता दिवस के मौकै पर पीएम मोदी ने महँगाई से लेकर देश की अर्थव्यवस्था पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 2014 में हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में 10वें नंबर पर थे और आज 140 करोड़ देशवासियों का पुरुषार्थ रंग लाया है और हम विश्व की 5वीं अर्थव्यवस्था बन चुके हैं।

उन्होंने कहा कि ये ऐसे ही नहीं हुआ है, लीकेज को हमने बंद किया, मजबूत अर्थव्यवस्था बनाई, हमने गरीब कल्याण के लिए ज्यादा से ज्यादा धन खर्च करने का प्रयास किया। पीएम मोदी ने आगे कहा कि ये मोदी की गारंटी है कि अगले 5 साल में भारत को दुनिया की टॉप-3 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में लाऊँगा।

दरअसल, भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्था में अपनी जगह कायम की है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, लोगों को सशक्त बनाना और भारत को एक विकसित देश बनाना है! जब देश में गरीबी कम होती है तो मध्यम वर्ग की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

उन्होंने कहा कि रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म का ये कालखंड भारत के भविष्य को गढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश में महँगाई पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए गए। इस दिशा में हमारी कोशिश आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं के 10 करोड़ फर्जी लाभ लेने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया और गलत तरीके से अर्जित की गई संपत्तियों की जब्ती भी 20 गुना बढ़ी है।

मौजूदा दौर में भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार इस वक्त कई विकसित देशों से बेहतर है। देश 5 ट्रिलियन डॉलर से लेकर 2033-34 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर है। जहां एक तरफ अमेरिका, चीन, जर्मनी, जापान और यूनाइटेड किंगडम जैसे विकसित देश वैश्विक मानकों के आधार पर अच्छी जीडीपी ग्रोथ हासिल करने के लिए जूझ रहे हैं।

वहीं भारत की जीडीपी के 6.5-6.6 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीदें हैं। गौरतलब है कि पीएम मोदी ने वित्त वर्ष 2023-24 तक देश के 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक शक्ति बनने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 2020-21 में कोरोना महामारी की वजह से इसे तय वक्त में पूरा करना थोड़ा मुश्किल है। वहीं रूस और यूक्रेन के युद्ध जैसी वैश्विक चुनौतियों में भी सामने है।

देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने UNDP के कार्यक्रम में कहा था कि साल 2026-27 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन सकता है, वहीं साल 2033-34 तक देश की अर्थव्यवस्था 10 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी कहा है कि वित्त वर्ष 2026-27 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी।

इस वक्त ग्लोबल इकोनॉमी में भारतीय अर्थव्यवस्था 5वें पायदान पर है। स्थान पर है। इससे पहले चार देश अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं। मौजूदा वक्त से 10 साल बाद यानी वित्त वर्ष 2033 में देश की अर्थव्यवस्था ग्लोबल लिस्ट में तीसरे पायदान पर आ सकती है। विश्व की प्रमुख आर्थिक संस्थाओं ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था के तीसरे पायदान पर रहने की उम्मीदें जताई हैं।

ग्लोबल संस्था गोल्डमैन सैश ने हाल ही में अपनी वित्तीय रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2030 में ही भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसमें कहा गया है कि 2075 तक चीन 57 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा, तो दूसरे पायदान पर 52।5 ट्रिलियन डॉलर के साथ भारत का कब्जा होगा।

इसके अलावा मॉर्गन स्टैनली और एसएंडपी ग्लोबल ने भी उम्मीद जताई है कि साल 2030 तक भारत के आगे केवल अमेरिका और चीन होंगे। इतना ही नहीं साल 2075 तक भारत दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाएगा और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (यूएसए) को भी पीछे छोड़ देगा।

विश्वकर्मा योजना शुरू करने का ऐलान

इस दौरान पीएम मोदी ने विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा योजना शुरू करने का भी ऐलान किया। देश के नाम अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि पांच साल के कार्यकाल में 13.5 करोड़ गरीब भाई-बहन गरीबी की जंजीर तोड़कर उससे बाहर आए हैं। जब 13.5 करोड़ गरीबी की मुसीबतों से कैसे बाहर निकले हैं, तो कैसी- कैसी योजनाएँ मिली हैं। उन्होंने गिनाया कि पीएम स्वानिधि योजना और आवास योजना से लाभ मिला है।

पीएम मोदी ने कहा कि हम आने वाले वक्त में विश्वकर्मा जयंती पर 13-15 हजार करोड़ रुपए से नई ताकत देने के लिए विश्वकर्मा योजना शुरू करेंगे। पीएम ने कहा कि रेहड़ी-पटरी वालों के साथ ही सुनार, सुतार, राजमिस्त्री, बाल काटने वाले, औजारों-हाथों से काम करने वाले वर्ग को हम नई ताकत देने जा रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया