पहले अग्निवीर की मौत पर कॉन्ग्रेस-AAP-अकाली ने शुरू कर दी पॉलिटिक्स: नहीं सुन रहे सेना की बात, पुलवामा के समय भी तोड़ा था सेना का मनोबल

अग्निवीर अमृतपाल सिंह (फोटो साभार : इंडियन एक्सप्रेस)

कॉन्ग्रेस पार्टी ने सेना और सरकार पर सवाल उठाए हैं। मामला देश के पहले अग्निवीर की मौत के बाद गार्ड ऑफ ऑनर से जुड़ा है। देश के पहले अग्निवीर अमृतपाल सिंह पंजाब के मानसा के रहने वाले थे, जहाँ उनका पार्थिव शरीर प्राइवेट एंबुलेंस में लाया गया। यही नहीं, सेना की जगह पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसे लेकर कॉन्ग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने राजनीति शुरू कर दी है। उन्होंने न तो परिस्थितियों की तरफ ध्यान दिया और न ही पॉलिसी की तरफ।

ये मामला 13 अक्टूबर का है, जब अग्निवीर अमृतपाल सिंह को आखिरी विदाई दी गई। अग्निवीर अमृतपाल सिंह का पैतृक घर पंजाब के मनसा जिले के कोटली कलां गाँव में है। अंतिम विदाई के समय गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिए जाने की कॉन्ग्रेस ने आलोचना की है। राजनीति कर रही कॉन्ग्रेस ने हालाँकि सेना ने जो कहा, वो नहीं पढ़ा। सेना ने बताया है:

“मौत का कारण खुद को लगाई गई चोट है। मौजूदा नीति के अनुसार कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य अंतिम संस्कार प्रदान नहीं किया गया।”

बता दें कि अमृतपाल सिंह जम्मू-कश्मीर के पुंछ इलाके में अपनी यूनिट 10-जम्मू और कश्मीर राइफल्स के साथ तैनात थे। 10 अक्टूबर 2023 को सिर में गोली लगने से उनकी मृत्यु हो गई थी।

कॉन्ग्रेस ने उठाए सवाल

इस मामले में कॉन्ग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पंजाब कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने एक्स पर लिखा, “यह हमारे देश के लिए एक दुखद दिन है क्योंकि जिसे अग्निवीर योजना के तहत भर्ती किया गया था, उसे प्राइवेट एम्बुलेंस में घर वापस भेज दिया गया और सेना द्वारा कोई गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया। क्या अग्निवीर होने का मतलब यह है कि उनका जीवन उतना मायने नहीं रखता?”

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का भी इस मामले में बयान आया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि राज्य सरकार सिंह को शहीद मानेगी और उनके परिवार को 1 करोड़ रुपए का भुगतान करेगी।

सेना ने कही ये बात

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर में सेना के हवाले से लिखा गया, “अग्निवीर अमृतपाल सिंह की राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को लगी बंदूक की गोली से चोट लगने के कारण मौत हो गई। इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी चल रही है। मृतक के पार्थिव शरीर को, एक जूनियर कमीशंड अधिकारी और चार अन्य रैंक के लोगों के साथ, अग्निवीर की यूनिट द्वारा किराए पर ली गई एक सिविल एम्बुलेंस में ले जाया गया। अंतिम संस्कार में उनके साथ सेना के जवान भी शामिल हुए। अमृतपाल सिंह की मौत की वजह खुद से पहुँचाई गई चोट (संभावित आत्महत्या) है। वर्तमान नीतियों के मुताबिक में गार्ड ऑफ ऑनर या सैनिक सम्मान देना शामिल नहीं है।”

खुद की गोली लगने से गई जान

अग्निवीर स्कीम शुरू होने के बाद से अमृतपाल सिंह पहले अग्निवीर हैं, जिनकी जान गई है। हालाँकि वो युद्ध की परिस्थितियों में, आपदा में या किसी अन्य ड्यूटी संबंधित परिस्थितियों की जगह संदिग्ध रूप से खुद की ही गोली लगने से अपनी जान गवाँ बैठे। उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में थी। उनकी मौत की जाँच के आदेश दिए गए हैं। ये गोली दुर्घटनावश चली या खुद की जान लेने के मकसद से चलाई गई, इस बात की जाँच की जा रही है।

आपको बता दें कि कॉन्ग्रेस वही राजनीतिक पार्टी है, जो पुलवामा हमले के बाद भी भारत की ही सेना पर सवालिया निशान उठा रही थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया