हमारी सरकार में इतनी क्षमता है कि आँखें निकालकर हाथ में दे दे: चीन पर PM मोदी की सर्वदलीय बैठक में शिवसेना

चीन के मुद्दे पर पीएम मोदी ने की सर्वदलीय बैठक (फाइल फोटो)

लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों और चीनी फौजियों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद सीमा पर तनाव का माहौल है। ऐसे में शुक्रवार (जून 19, 2020) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक की। बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई।

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भारत-चीन मुद्दे पर हुई इस बैठक में सबसे पहले LAC पर वीरगति को प्राप्त होने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी दलों के नेताओं को लद्दाख में सेना की तैनाती और अन्य जानकारी दी। रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि सेना मुस्तैदी के साथ गलवान में खड़ी है।

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किस विपक्षी नेता ने क्या कहा?

ममता बनर्जी: इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पारदर्शिता की माँग की। उन्होंने कहा कि सीमा के हालात के बार में सरकार विपक्ष को समय-समय पर जानकारी दे। देश की अखंडता के लिए हम सरकार के साथ हैं। ममत बनर्जी ने सर्वदलीय बैठक को एकता के प्रदर्शन के लिहाज से अच्छा संदेश बताया और कहा कि यह दर्शाता है कि अपने जवानों के लिए हम सब एक हैं। टीएमसी सरकार के साथ खड़ी है।

NCP प्रमुख शरद पवार: एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा, सैनिकों ने हथियार उठाए या नहीं इसका फैसला अंतरराष्ट्रीय समझौतों से होता है। हमें ऐसे संवेदनशील मामलों का सम्मान करने की जरूरत है।

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उद्धव ठाकरे, शिवसेना: सर्वदलीय बैठक में शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी अपना मत रखा। उन्होंने कहा, “भारत शांति चाहता है। लेकिन इसका अभिप्राय ये बिलकुल नहीं है कि भारत कमजोर हैं। भारत मजबूत है, न कि मजबूर। हमारी सरकार में इतनी क्षमता है कि आँखें निकालकर हाथ में दे दे।”

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उद्धव ठाकरे ने कहा, “हम सब एक हैं। ये हमारी भावना है। हम आपके साथ हैं प्रधानमंत्री। हम अपनी सेना और उनके परिवारों के साथ हैं।”

डीएमके नेता एमके स्टालिन: डीएमके नेता ने भी एकता के साथ खड़े होने का आश्वासन पीएम को दिया। उन्होंने कहा, “जब बात राष्ट्रवाद की हो, हम सब एक हैं।” स्टालिन ने इस बीच चीन पर दिए पीएम के बयान की तारीफ भी की।

कॉन्ग्रेस नेता सोनिया गाँधी: कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा कि ये ऑल पार्टी मीटिंग पहले हो जानी चाहिए थी। आज इस अंतिम स्थिति में हम अंधकार में हैं। कॉन्ग्रेस के कुछ अलग से सवाल है। कॉन्ग्रेस ने पूछा, “चीनी सैनिकों ने किस तारीख को घुसपैठ की? सरकार ने अपराधों के बारे में कब पता लगाया? क्या सरकार को सैटेलाइट तस्वीरें नहीं मिली? क्या इंटेलीजेंस ने असामान्य गतिविधि के बारे में रिपोर्ट नहीं की थी।”

समाजवादी पार्टी नेता राम गोपाल यादव: सपा नेता ने कहा, “राष्ट्र एक है। पाकिस्तान और चीन की नीयत ठीक नहीं है। भारत, चीन का डंपिंग ग्राउंड नहीं हैं। चीनी सामानों पर 300% शुल्क लगाएँ।”

जेडीयू नेता नीतीश कुमार: बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा भारतीय बाजारों में चीन के सामानों की बाढ़ बड़ी समस्या है। उनकी प्लास्टिक भारी है। यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं और जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हैं। इनसे जुड़ा इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी अधिक होता है। चीनी उत्पाद लंबे समय तक नहीं चलते हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम एक हों और केंद्र का समर्थन करें।

नीतीश कुमार ने कहा, “भारत चीन मामले पर पार्टियों को एकता का अभाव नहीं दिखाना चाहिए। जिसका दूसरे राष्ट्र को इंतजार हो। भारत पर चीन रुख ज्ञात हैं। भारत चीन को सम्मान देना चाहता था। लेकिन चीन ने 1962 में क्या किया। उन्होंने कहा कि देश में चीन के ख़िलाफ़ गुस्सा है। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं होने चाहिए। हम एक साथ हैं।”

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बीजेडी के पिनाकी मिश्रा: भारत-चीन सीमा मुद्दों पर पीएम के साथ सभी पार्टी की बैठक में बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि हम पूरी तरह से और बिना शर्त सरकार के साथ खड़े हैं।

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सोनिया गाँधी, मायावती, ममता बनर्जी समेत 20 दलों के नेता शामिल हुए। AAP, AIMIM और RJD ने बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किए जाने की बात कही है। AIMIM ने इसपर अपनी नाराजगी जाहिर की और आरजेडी के कुछ नेताओं ने संसद में गाँधी स्टैच्यू के सामने अपना प्रदर्शन किया। इसके अलावा चिट्ठी लिखकर भी अपनी नाराजगी दिखाई।

इस बैठक में शामिल होने वाले नेताओं में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना नेता, महाराष्ट्र मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, मायावती, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी प्रमुख हैं। बैठक से पहले विपक्षी पार्टी ने केंद्र सरकार से सीमा मामले पर हालातों को स्पष्ट बताने की माँग की थी। साथ ही यह सवाल भी पूछा था कि सरकार इस मामले को कैसे हैंडल कर रही है।

यहाँ बता दें कि चीन के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। चीन के भी 43 सैनिक इस झड़प में मारे जाने की खबर थी। ये सब उस समय हुआ जब सोमवार की रात वहाँ  डि-एस्केलेशन की प्रक्रिया जारी थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया