मुलायम सिंह यादव की उस बहू ने थामा BJP का हाथ, जिसके पति को ‘पिता का नाम’ मिलने में लगे 19 साल… वो भी SC में मामले के कारण

मुलायम सिंह यादव और साधना की प्रेम कहानी जिनकी बहू ने आज बीजेेपी ज्वाइन की

भारतीय जनता पार्टी को छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं पर कुछ दिन पहले तक अखिलेश यादव फूले नहीं समा रहे थे और अब उन्हीं के परिवार की छोटी बहू अपर्णा यादव ने भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया है। उन्होंने दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता ली है। अपर्णा यादव, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। 

अब अपर्णा के पति प्रतीक कैसे मुलायम यादव के बेटे हैं और उनकी माँ साधना यादवा कौन हैं, वो कैसे मुलायम सिंह यादव की जिंदगी में आईं, कैसे प्रतीक यादव का पता दुनिया को चला और कैसे मुलायम सिंह यादव ने उन्हें अपने बेटे होने का तमगा दिया। ये पूरी कहानी बेहद दिलचस्प है। बिलकुल ऐसी जैसे आप फिल्मों में देखते हैं।

कैसे बढ़ी मुलायम सिंह यादव और साधना गुप्ता की बात

बात 1980 के समय की है। मुलायम सिंह यादव राजनीति के शिखर पर चढ़ रहे थे। उन्हें 1982 में लोक दल का अध्यक्ष बनाया ही गया था कि तभी उनकी मुलाकात हुई अपनी पार्टी की महिला कार्यकर्ता साधना गुप्ता से। साधना उम्र में 20 साल छोटी थीं लेकिन कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव को उनके नैन नक्श इतने पसंद आए कि उन्होंने अपनी शादी और उम्र का लिहाज किए बिना अपना दिल दे दिया। उधर साधना की शादी भी फर्रुखाबाद के छोटे व्यापारी चंद्रप्रकाश गुप्ता से हो रखी थी। लेकिन उनसे अलग होने के बाद साधना को भी मुलायम सिंह यादव अच्छे लगने लगे। दोनों का रिश्ता परवान चढ़ा और इसके गवाह थे सिर्फ अमर सिंह। 1988 में साधना ने प्रतीक को जन्म दिया और रिश्ता वैसे ही चलता रहा। कहा जाता है कि साल 1994 में प्रतीक यादव के स्कूल फॉर्म पर पिता का नाम एमएस यादव और पते में मुलायम सिंह के कार्यकाल का पता लिखा रहता था।

साधना यादव को मिला मुलायम यादव की पत्नी का दर्जा, अमर सिंह ने निभाया रोल

साल 2003 में जब अखिलेश यादव की माँ और मुलायम सिंह यादव की पत्नी मालिति यादव का देहांत हुआ तो साधना ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई। अमर सिंह से उन्होंने बार-बार कहा कि मुलायम सिंह यादव दुनिया के सामने उन्हें पत्नी स्वीकारें। धीरे-धीरे बात बढ़ी और मामला दुनिया के सामने आ गया। अखिलेश यादव ने कभी साधना यादव को अपने परिवार में मन से जगह नहीं दी। वो मानते थे कि उनकी माँ के साथ अन्याय हुआ है। पिता की दूसरी शादी की बात खुलने के कारण वह अमर सिंह से भी नाराज थे

साल 2007 में जब मुलायम सिंह यादव पर आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई जाँच का खतरा मंडराया, तो केस सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और उसमें साधना व प्रतीक का नाम भी था। इसी कारण से मुलायम सिंह यादव को सार्वजनिक तौर पर मानना पड़ा कि साधना गुप्ता उनकी दूसरी पत्नी हैं और प्रतीक भी उन्हीं के बेटे हैं। आधिकारिक रूप से मुलायम सिंह यादव की निजी जिंदगी को खोल कर रख दिया और ये भी बात सामने आ गई कि साधना पर संपत्ति के तौर पर क्या है।

साधना यादव और अखिलेश यादव के मतभेद

कथिततौर पर, आधिकारिक रूप से मुलायम सिंह यादव की पत्नी बनने के बाद साधना यादव ने मुलायम सिंह यादव पर दबाव भी बनाया था कि वो सीएम की कुर्सी अखिलेश की जगह प्रतीक को दें। अफवाहें भी उड़ी थीं कि 2012 में अखिलेश के सीएम बनने पर साधना ने माँग की थी कि दो साल के बाद सीएम की कुर्सी प्रतीक को दी जाए। जब ऐसा नहीं हुआ और अखिलेश ने साधना के करीबी जीपी प्रजापति को उनके पद से हटाया, तो गृह कलह खुलकर सामने आया और मुलायम सिंह यादव पर पक्ष भी। उस समय उन्होंने अखिलेख को पार्टी में उनके पद से हटाकर ये जगह अपने भाई शिवपाल को दे दी थी।

ये अखिलेश और साधना यादव के बीच के मतभेद ही हैं जिनके कारण बातें होती हैं कि साधना की वजह से ही अखिलेश यादव अपने घर से दूर लखनऊ रहते हैं। वह किसी भी समारोह में अपने पिता और पत्नी के साथ तो दिखते हैं मगर सौतेले भाई प्रतीक के साथ कभी नजर नहीं आते।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया