लक्षण होने पर भी जान-बूझकर लोगों के बीच गए केजरीवाल? कोरोना संक्रमित होने के बाद उत्तराखंड रैली पर उठे सवाल

दिल्ली में ओमिक्रोन से बचाव का भाषण और खुद लक्षणों के बावजूद CM केजरीवाल ने की उत्तराखंड में रैली

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल न सिर्फ खुद कोरोना संक्रमित हैं बल्कि अपने ढुलमुल रवैये से उन्होंने हजारों लोगों को मुसीबत में डाल दिया है जिनके भी अब ओमिक्रोन संक्रमित होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। CM केजरीवाल ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने लिखा, “मुझे कोरोना संक्रमण हुआ है। लक्षण हल्के हैं। मैंने खुद को घर में आइसोलेट कर लिया है। मेरे संपर्क में जो भी लोग पिछले कुछ दिनों में आए हैं वे भी खुद को आइसोलेट कर लें और कोरोना टेस्ट करा लें।”

चिंता की बात यह है कि केजरीवाल संक्रमित पाए जाने से पहले हाल के दिनों में पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करते नजर आए हैं। इस दौरान वे हजारों की भीड़ से घिरे थे और न तो उन्होंने मास्क पहन रखा था और न ही उनके आसपास नजर आने वाले लोगों ने। अमृतसर में उन्होंने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी उस दौरान भी उनके आसपास काफी लोग मौजूद थे।

यदि उनकी रैली के कार्यक्रम के केवल एक सप्ताह को ध्यान में रखा जाए तो, वह चंडीगढ़ में विजय यात्रा का हिस्सा रहे हैं, पटियाला में शांति रैली में, अमृतसर के एक मंदिर में गए थे और 27 दिसंबर से लखनऊ और देहरादून में रैलियाँ की थीं। ऐसे में अपनी यात्रा और रैलियों के दौरान, आप सुप्रीमो केजरीवाल न जानें कितने ही लोगों के संपर्क में आए हों, जिनके अब संक्रमित होने का खतरा है।

जबकि वह COVID पॉजिटिव पाए जाने से ठीक पहले भी एक रैली में थे, जिसे देखकर लगता है कि केजरीवाल ने जानबूझकर हजारों लोगों की जान जोखिम में डाल रहे थे।

ट्विटर यूजर ‘@BeffitingFacts’ ने ट्विटर पर यह सवाल उठाया कि अगर CM केजरीवाल यह घोषणा कर रहे हैं कि आज उसका COVID-19 टेस्ट पॉजिटिव आया है, तो संभवत: कम से कम एक दिन पहले, 3 जनवरी को उनका परीक्षण किया गया होगा क्योंकि उसके कुछ लक्षण दिखे होंगे। फिर भी उन्होंने लापरवाही बरतते हुए 3 जनवरी 2022 को उत्तराखंड में एक रैली में भाग लिया। जिसकी तस्वीरें और वीडियो आप के कई नेताओं और आप के आधिकारिक हैंडल द्वारा भी शेयर किए गए थे।

आप उत्तराखंड ने भी ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें दिखाया गया था कि रैली में हजारों लोग शामिल हुए। ऐसे में केजरीवाल हजारों लोगों से मिलते हैं, यहाँ तक ​​कि बंद कमरों में बिना मास्क पहने बैठकें करते हैं।

जबकि यही केजरीवाल 2 जनवरी को दिल्ली के लोगों को को चेताते हुए अपने एक भाषण में लोगों से मास्क पहनने और बढ़ते हुए ओमिक्रोन ​​​​मामलों की वजह से सुरक्षित रहने का आग्रह किया था।

ऐसे में सवाल कई हैं। क्या केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक लिप्सा के लिए हजारों लोगों को खतरे में डाल दिया। क्योंकि जब 4 जनवरी को उनका टेस्ट कोविड पॉजिटिव आता है तो जाहिर सी बात है कि इसके पहले कुछ लक्षण साफ़ नजर आए होंगे जिससे उनका टेस्ट किया गया होगा। या वे किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं जिसकी पुष्टि COVID पॉजिटिव थी। ऐसे में उन्हें खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए था। और कम से कम हजारों लोगों के साथ रैलियाँ करके उनके लिए मुसीबत नहीं खड़ी करनी चाहिए थी।
.

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया