कॉन्ग्रेस में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार कॉन्ग्रेस हाईकमान को खुश करने के लिए किस तत्परता से जुटी हुई है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने हाल ही में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं को इंदिरा गाँधी और कॉन्ग्रेस की वर्तमान अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी के पति राजीव गाँधी के नाम पर कर दिया है। ख़ास बात यह है कि अशोक गहलोत ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की योजनाओं का ही नामकरण कर उन्हें ‘गाँधी परिवार’ के रंग में रंग दिया है।
https://twitter.com/iAnkurSingh/status/1275808370088226816?ref_src=twsrc%5Etfwराजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नगरीय क्षेत्रों में ‘इंदिरा रसोई योजना’ शुरू करने की घोषणा की है। लेकिन वास्तविकता यह है कि अशोक गहलोत ने ‘अन्नपूर्णा योजना’ का ही नाम बदलकर ‘इंदिरा रसोई योजना’ कर दिया है।
इस बारे में भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने भी ट्वीट करते हुए लिखा है- “नाम बदल कर ही सही, आख़िर जनता की माँग पर हमारी अन्नपूर्णा रसोई योजना को शुरू करना ही पड़ा। नाम नहीं अपने आप को भी बदलो सरकार। नहीं तो जनता सब कुछ बदल डालेगी।”
https://twitter.com/VasundharaBJP/status/1275098575953776640?ref_src=twsrc%5Etfwइसी तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना’ का नाम बदलकर ‘राजीव गाँधी जल स्वावलंबन योजना’ कर दिया है।
अशोक गहलोत सरकार ने करीब पौने दो साल के कार्यकाल में पिछली वसुंधरा राजे सरकार की एक दर्जन योजनाओं के नाम बदले हैं। यह देखना दिलचस्प है कि अचानक से ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इतिहास की किताबों में महाराणा प्रताप के शौर्य के किस्सों को हटाने के साथ ही भाजपा के कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं का नाम गाँधी परिवार के नाम पर करने का काम किया है।
अक्सर कॉन्ग्रेस शासित राज्य के मुख्यमंत्री अपने हाईकमान को संतुष्ट करने के लिए इसी शैली में काम करते नजर आते हैं, जिसमें इतिहास के पन्नों में बदलाव कर हिन्दू राजाओं को कमतर बताना, अकबर और टीपू सुलतान का गुणगान करना और राज्य की योजनाओं का नामकरण नेहरू से लेकर राजीव गाँधी और इंदिरा गाँधी तक कर देना शामिल है। राजस्थान की सत्ता में आते ही अशोक गहलोत ने सभी सरकारी दस्तावेजों से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर हटा दी थी।