‘बिना NRC के एक भी आदमी असम में घुसा तो मैं इस्तीफा दे दूँगा’: CAA का विरोध करने वालों को असम CM सरमा का आश्वासन, घुसपैठियों पर सख्त

असम मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (फाइल फोटो)

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (NRC) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि NRC के लिए आवेदन किए बिना, अगर किसी व्यक्ति को नागरिकता मिल जाती है तो वह इस्तीफा देने वाले पहले व्यक्ति होंगे। दरअसल, CAA को देश में लागू कर दिया गया है। वहीं, असम में इसका विरोध हो रहा है। लोगों का कहना है कि इससे बाहरी लोग राज्य में भर जाएँगे।

सीएम सरमा ने यह बात शिवसागर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा, “मैं असम का बेटा हूँ। अगर NRC के लिए आवेदन नहीं करने वाले एक भी व्यक्ति को नागरिकता मिलती है तो मैं इस्तीफा देने वाला पहला व्यक्ति होऊँगा।” दरअसल, प्रदर्शनकारियों का दावा है कि CAA लागू होने पर लाखों लोग राज्य में घुस आएँगे।

इस पर सीएम सरमा ने कहा, “अगर ऐसा हुआ तो सबसे पहले मैं विरोध करुँगा।” उन्होंने कहा कि CAA के बारे में कुछ भी नया नहीं है, क्योंकि यह पहले लागू किया गया था और अब ‘पोर्टल पर आवेदन करने का समय है।’ सीएम सरमा ने कहा कि पोर्टल पर डेटा से साफ हो जाएगा कि कानून का विरोध करने वालों के दावे सही हैं या नहीं।

सीएम सरमा ने आगे कहा, “सीएए का समर्थन करने वाले भी असम में हैं और जो इसका समर्थन नहीं कर रहे हैं, वे भी यहाँ हैं। जो भी सीएए का विरोध कर रहे हैं, वे कोर्ट जा सकते हैं। हमारा उद्देश्य राज्य में शांति बनाए रखना है। मैं सभी से अपील करना चाहता हूँ कि वे इस दिशा में आगे बढ़ें।”

बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार (11 मार्च 2024) की रात को CAA लागू करने की अधिसूचना जारी की। इसके बाद असम में कई संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है। अखिल असम छात्रसंघ (ASU) और 30 स्वदेशी संगठनों ने सोमवार को गुवाहाटी, बारपेटा, लखीमपुर, नलबाड़ी, डिब्रूगढ़ और तेजपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में सीएए कानून की प्रतियाँ जलाईं।

इतना नही नहीं, इन संगठनों के अलावा असम में 16 दलों के संयुक्त विपक्ष (यूओएफए) ने राज्य भर में चरणबद्ध आंदोलन के तहत मंगलवार (12 मार्च 2024) को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की। इस आंदोलन को देखते हुए ही मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यह बात कही है।

दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिमों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी।

इससे पहले किसी भी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए उसे कम-से-कम 11 साल तक भारत में रहना जरूरी था। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के अंतर्गत इस नियम को आसान बनाया गया है। नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल किया गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया