असम ने CAA विरोधी एजेंडे को नकारा, कानून के विरोध में बने 3 दलों में से 2 का खाता भी नहीं खुला

लुरिनज्योति गोगोई (बाएँ) अखिल गोगोई (दाएँ )

एक तरफ पश्चिम बंगाल की जनता ने तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) को स्पष्ट जनादेश देकर हैरान कर दिया है, क्योंकि ज्यादातर पोल पंडित राज्य में कड़े संघर्ष का अनुमान लगा रहे थे। दूसरी तरफ, असम विधानसभा चुनाव के नतीजे उम्मीदरों के अनुरुप रहे हैं। करीब-करीब 2016 के चुनावी नतीजों जैसे ही।

इस बार 126 सदस्यीय असम विधानसभा में बीजेपी को अकेले 60 और उसकी अगुवाई वाली एनडीए को 75 सीटें मिली है। एनडीए में बीजेपी के अलावा असम गण परिषद् (AGP) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) शामिल है। वहीं कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को 50 सीटें मिली है। इस नतीजे ने न केवल राज्य में बीजेपी की सत्ता बरकरार रहने के पुर्वानुमानों को सही साबित किया है, बल्कि मतदाताओं ने सीएए विरोधी एजेंडे को भी नकार दिया है।

सीएए विरोधी एजेंडे की आड़ लेकर असम की सत्ता से बीजेपी को बेदखल करने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले तीन नए राजनीतिक दलों का गठन किया गया था। पिछले साल सितंबर में दो कथित छात्र संगठनों ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (AJYCP) के नेता साथ आए और असम जातीय परिषद का गठन किया। एएएसयू के पूर्व अध्यक्ष लुरिनज्योति इस पार्टी के मुखिया बनाए गए।

1985 में असम गण परिषद (एजीपी) के गठन के पीछे भी AASU और AJYCP थी। एजीपी दो बार असम की सत्ता में रही है और मौजूदा एनडीए में शामिल। इन दोनों संगठनों का राज्य में जमीनी स्तर पर सांगठनिक ढाँचा है। वर्ष 2019-20 में असम में सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शनों में आसू सबसे आगे थी।

विधानसभा चुनाव से पहले असम में सीएए विरोध के नाम पर बनने वाली दूसरी पार्टी रायजोर दल थी। रायजोर दल ‘आत्मनिर्भर असम’ के स्लोगन के साथ इस चुनाव में उतरा था। रायजोर दल (आरडी) का गठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के प्रमुख अखिल गोगोई ने किया था। अखिल गोगोई पर आरोप है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ उन्होंने हिंसक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। उन्हें दिसंबर, 2019 में UAPA एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था।

असम में तीसरी पार्टी आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) थी, जिसका गठन पूर्व पत्रकार और राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां ने किया था। आंचलिक गण मोर्चा ने कॉन्ग्रेस पार्टी की अगुवाई वाले सात दलों के महागठबंधन में शामिल होने का फैसला किया था। विधानसभा चुनाव में उन्होंने केवल एक सीट पर लड़ने का फैसला किया था। दरअसल, पार्टी ने दो सीटों के साथ एक सूची जारी की थी, लेकिन बाद में देखा गया कि कॉन्ग्रेस ने उसी सीट से अपने दिसपुर के उम्मीदवार को खड़ा कर दिया था। इसलिए, उन्होंने केवल बोकाखाट विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ा था।

एजेपी और रायजोर दल को भी कॉन्ग्रेस, एआईयूडीएफ और वाम दलों के महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने इनके साथ आने से मना कर दिया। दरअसल, AIUDF की उपस्थिति का मतलब था कि वे इसमें शामिल नहीं हो सकते थे। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि वे (एजेपी और रायजोर दल) सीएए का यह कहते हुए विरोध कर रहे थे कि वो किसी भी विदेशी को नागरिकता नहीं देना चाहते हैं, जो सीएए में मुसलमानों को शामिल करने की कॉन्ग्रेस और एआईयूडीएफ की माँग के विपरीत था। बाद में, असम जातीय परिषद और रायजोर दल ने एनडीए और महागठबंधन के खिलाफ अपना खुद का गठबंधन बनाने का निर्णय किया था।

हालाँकि, इन सबके बावजूद सर्बानंद सोनोवाल और हिमंत बिस्वा सरमा को राज्य में बड़ी जीत मिली है। कोई भी पार्टी NDA सरकार की लोकप्रियता में सेंध नहीं लगा पाई। वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने भविष्यवाणी की थी, या यूँ कहें की उन्हें पूरी उम्मीद थी कि ये नए विरोधी दल CAA को लेकर भाजपा के वोटों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे। यह भी कहा जा रहा था कि अपर असम में सीएए विरोध हावी है और वहाँ दोनों नई पार्टियों की मजबूत स्थिति है।

एजेपी ने लगभग 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि रायजोर दल ने लगभग 34 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन रविवार (2 मई 2021) को जो नतीजे सामने आए हैं, उससे दोनों के हाथ केवल निराशा लगी है। वहीं, एआईयूडीएफ ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा एजीपी को 9, बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट को 4, सीपीआई (एम) को एक, निर्दलीय को 1 और यूनाइटेड पीपल्स पार्टी, लिबरल को 6 सीटें हासिल हुई हैं।

रायजोर दल का गठन करने वाले अखिल गोगोई ने असम की शिवसागर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। हालाँकि, उनको यह जीत सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने के चलते हासिल नहीं हुई है, उनकी इस जीत के पीछे कई अन्य कारक हैं। इसके पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारक लोगों में उनके प्रति सहानुभूति माना जा रहा है, क्योंकि वह चुनाव के दौरान जेल में बंद थे। हालाँकि अप्रैल में एक विशेष अदालत ने गोगोई को जमानत दे दी थी। गोगोई पिछले एक दशक से असम की राजनीति में सक्रिय हैं और कई आंदोलन कर चुके हैं। शिवसागर में वह काफी लोकप्रिय हैं।

Raju Das: Corporate Dropout, Freelance Translator