क्या कॉन्ग्रेसी करवा देंगे 2 बीवी वाले से अपनी बेटी की शादी? : असम CM ने पूछा सीधा सवाल, बताया- ‘बहुविवाह पर तुरंत लगाना चाहते हैं बैन’

बहुविवाह पर बैन लगाने असम सरकार लाएगी विधेयक (फाइल फोटो, साभार: Mint)

यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर जारी बहस के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि वह बहुविवाह (Polygamy) पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। इसके लिए सितंबर में शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विधेयक भी पेश किया जाएगा। सीएम सरमा ने यह भी कहा है कि क्या कोई कॉन्ग्रेस नेता अपनी बेटी की शादी ऐसे व्यक्ति से करा सकता है, जिसकी पहले से ही 2 बीवियाँ हों?

हिमंता बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी में मीडिया से बात करते हुए कहा है, “हम असम में बहुविवाह पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। यदि एक्सपर्ट कमिटी सितंबर से पहले अपनी रिपोर्ट पेश कर पेश कर देगी। ऐसी स्थिति में सितंबर में होने वाले विधानसभा सत्र में इस पर बैन लगाने के लिए विधेयक पेश करेंगे। यदि किसी वजह से इस सत्र में बिल नहीं ला पाए तो जनवरी में होने वाले विधानसभा सत्र में यह विधेयक लाएँगे।”

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के मुद्दे पर बात करते हुए सीएम हिमंता ने आगे कहा है, “यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले में केंद्र सरकार द्वारा फैसला किया जाएगा। इस मामले में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद राज्य भी फैसला कर सकते हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामलों में लॉ कमीशन और संसदीय कमेटी विचार कर रही है। इस मामले में असम सरकार पहले ही अपना पक्ष साफ कर चुकी है। हम UCC का समर्थन करते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा है, “यदि केंद्र UCC लेकर आ गया तो हमें विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं होगी। इसके बाद बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून अपने आप ही UCC में विलय हो जाएगा।”

कॉन्ग्रेस द्वारा UCC का विरोध करने को लेकर उन्होंने कहा है, “क्या कोई कॉन्ग्रेस नेता अपनी बेटी ऐसे पुरुष को देगा जिसकी पहले से ही 2 बीवियाँ हों? कॉन्ग्रेस मुस्लिम महिलाओं का दुख नहीं समझ रही है। कॉन्ग्रेस की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह मुस्लिम महिलाओं का वोट तो ले रही है लेकिन उन्हें कुछ भी वापस नहीं दे रही। वह सिर्फ मुस्लिम पुरुषों के लिए काम कर रही है।”

बता दें कि इससे पहले, 12 मई 2023 को सीएन हिमंता बिस्वा सरमा ने बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए विशेषज्ञों की समिति का ऐलान किया था। सीएम ने कहा था कि 4 सदस्यीय समिति कानूनी विशेषज्ञों सहित समाज के प्रबुद्ध वर्ग से भी बातचीत करेगी। इस समिति में अध्यक्ष के रूप में रिटायर्ड जस्टिस रूमी फूकन काम कर रहीं हैं। वहीं, सदस्य के रूप में असम के एडवोकेट जनरल देबजीत सैकिया, असम के अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली और वकील नेकिबुर जमान हैं।

गौरतलब है कि देश में मुस्लिमों को बहुविवाह यानि कि एक से अधिक निकाह करने की छूट है। मुस्लिमों को छोड़कर कोई अन्य व्यक्ति यदि एक से अधिक विवाह करता है तो इसे IPC की धारा 494 और 495 के तहत दण्डनीय अपराध माना जाता है। वहीं, मुस्लिम IPC की धारा 494 के तहत पहली बीवी की सहमति से 4 निकाह कर सकता है। दरअसल, मुस्लिमों को यह छूट मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) 1937 के तहत दी गई है। हालाँकि मुस्लिम महिलाओं को 4 शादियाँ करने का अधिकार नहीं है। यदि किसी मुस्लिम महिला को दूसरी शादी करनी है तो उसे पहले शौहर को तलाक देना होगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया