‘मुस्लिमों का अब्बा नहीं बाबर, औरंगजेब चाचा नहीं’: औरंगाबाद को ‘संभाजी नगर’ करने पर शिवसेना-कॉन्ग्रेस भिड़ी

औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने पर कॉन्ग्रेस ने विरोध किया है

महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी गठबंधन में गठबंधन के सहयोगियों के बीच टकराव अब स्पष्ट नजर आने लगा है। यह टकराव कॉन्ग्रेस और शिवसेना के बीच औरंगाबाद का नाम बदलकर ‘संभाजी नगर’ करने के प्रयासों के बीच बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। गौरतलब है कि यह महा विकास अघाड़ी गठबंधन भाजपा के विरोध में एकजुट हुए दलों का समूह है, जिसे शरद पवार ने महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाने के लिए एनसीपी, कॉन्ग्रेस और शिवसेना को एकजुट कर बनाया था।

शिवसेना काफी समय से से औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर करने की माँग करती रही है। यह माँग उस वक्त भी की गई थी, जब शिवसेना भाजपा के साथ गठबंधन सरकार का हिस्सा थी। लेकिन कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री बालासाहेब थोराट ने औरंगाबाद को संभाजी नगर करने का विरोध किया। इसके ही एक दिन बाद ही, शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के माध्यम से शहर का नाम बदलने के विषय को जोरशोर से उठाया है।

इस बात से इंकार करते हुए कि नाम बदलने से महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार के भविष्य पर कोई असर पड़ेगा, लेख में बताया गया है कि कैसे शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने 30 साल पहले इसका नाम संभाजी नगर रखा था और लोगों ने इसे तहे दिल से स्वीकार भी किया था। ‘सामना’ के सम्पादकीय में कहा गया है कि नाम को आधिकारिक रूप से लागू करने के लिए बस दस्तावेजों की औपचारिकताओं को छोड़ दिया गया था।

लेख में कहा गया है कि जिस तरह से अयोध्या में श्री राम मंदिर सर्वसम्मति से बनाया जा रहा है, उसी तरह, औरंगाबाद का नाम भी आम सहमति से बदल दिया जाएगा। संपादकीय में दावा किया गया कि भारत में मुस्लिम बाबर और औरंगज़ेब का तिरस्कार करते हैं और उन्हें औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर करने से कोई असहमति नहीं होगी।

कॉन्ग्रेस पार्टी पर कटाक्ष करते हुए इस लेख में कहा गया है कि औरंगाबाद का नाम बदलने से देश के धर्मनिरपेक्षता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और राज्य के अधिकांश कॉन्ग्रेसी शिवसेना द्वारा शहर का नाम बदलने की माँग से सहमत होंगे।

‘बाबर मुस्लिमों का पिता नहीं है और औरंगजेब उनका चाचा नहीं है’: सामना

सामना के इस लेख के अनुसार, “बाबर भारत के मुस्लिमों का पिता नहीं है, जिस तरह पापी औरंगज़ेब यहाँ के मुस्लिमों का चाचा नहीं है। बाबर को अयोध्या में दफनाया गया था और राम मंदिर वहीं खड़ा है। न तो इस्लाम वहाँ खतरे में था, न ही किसी की धर्मनिरपेक्षता का हरण हुआ। अगर किसी को लगता है कि औरंगज़ेब का कब्रिस्तान धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है, तो वह भारत की पहचान का मज़ाक बना रहा है।”

संपादकीय में आगे कहा गया है कि मुगल वंशज औरंगजेब की मौत का जश्न पूरे देश में मनाया जा रहा है। लेख में कहा गया है कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी पर बहुत अत्याचार किए और उन पर इस्लाम अपनाने के लिए दबाव डाला। हालाँकि, वो उनके अत्याचारों के सामने झुके नहीं। लेख में कहा गया है कि यह शिवाजी महाराज का घोर अपमान है कि औरंगजेब के नाम पर एक शहर महाराष्ट्र की भूमि पर मौजूद है।

शिवसेना के मुखपत्र में लिखा गया है, “इस देश के मुस्लिम बाबर को भूल गए हैं और महाराष्ट्र के मुस्लिम औरंगज़ेब को भूल गए हैं। औरंगजेब और औरंगाबाद अब वोट का विषय नहीं हैं। महाराष्ट्र के मुस्लिमों ने राष्ट्रवाद का रास्ता अपनाते हुए शिवसेना का समर्थन किया है।”

औरंगाबाद का नाम न बदलने पर भाजपा पर उठाए सवाल

औरंगाबाद का नाम बदलने पर एमवीए गठबंधन के भीतर चल रहे टकराव के बीच भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि इस मुद्दे पर विचारों का अंतराल केवल एमवीए गठबंधन और इसके सहयोगियों के बीच सामंजस्य की कमी को बताता है।

औरंगाबाद के नाम बदलने के संबंध में एमवीए सरकार के भीतर चल रहे अलग-अलग विचारों पर भाजपा की आलोचना के जवाब में, शिवसेना ने अपने मुखपत्र के संपादकीय में भाजपा पर आरोप लगाते हुए लिखा कि वे औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर रख सकते थे जब वे राज्य में सत्ता में थे। शिवसेना ने कहा कि यह उसी तरह किया जा सकता था जैसे उन्होंने दिल्ली में औरंगजेब रोड और यूपी में इलाहाबाद का नाम बदल दिया।

महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री और कॉन्ग्रेस नेता बाला साहब थोराट ने जताई नाम बदलने पर आपत्ति

शिवसेना की ओऱ से औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने के प्रस्ताव का कॉन्ग्रेस विरोध कर रही है। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता बाला साहब थोराट ने औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने के विचार पर कहा, “महा अघाड़ी सरकार का गठन एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर हुआ है। हमारे सारे फैसले इसी प्रोग्राम के आधार पर होने चाहिए। औरंगाबाद का नाम बदलने का फिलहाल कोई भी प्रस्ताव अघाड़ी के दलों के बीच नहीं है और अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो हम उसका विरोध भी करेंगे। महाराष्ट्र में सरकार का कोई भी फैसला महा अघाड़ी के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम से हटकर नहीं होगा।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया