राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सहयोगी RLP की बगावत, बाड़मेर में मतदान से एक दिन पहले BJP प्रत्याशी कैलाश चौधरी को वोट देने की अपील

बाड़मेर-जैसलमेर पर त्रिकोणीय मुकाबला (फोटो साभार : आजतक)

लोकसभा चुनाव 2024 में इस समय चर्चा बटोर रही राजस्थान की बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर कॉन्ग्रेस के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के स्थानीय नेताओं ने झटका दे दिया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेताओं ने कॉन्ग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए गठबंधन को छोड़ दिया और बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन का ऐलान कर दिया है। इस लोकसभा सीट पर शुक्रवार को ही मतदान है। ऐसे में मतदान से महज कुछ घंटों पहले ये बड़ा बदलाव हुआ है, जिससे कॉन्ग्रेस बैकफुट पर चली गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हनुमान बेनीवाल की पार्टी राजस्थान में कॉन्ग्रेस के साथ चुनाव लड़ रही है। वो नागौर लोकसभा सीट से इंडी गठबंधन के प्रत्याशी हैं, लेकिन बाड़मेर-जैसलमेल लोकसभा सीट पर उनकी पार्टी के बड़े धड़े ने गठबंधन के सहयोगी कॉन्ग्रेस का साथ देने से इनकार कर दिया और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को समर्थन का ऐलान कर दिया। आरएलपी नेता गजेंद्र चौधरी और उनके समर्थकों ने कैलाश चौधरी को समर्थन देने का ऐलान किया है।

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पूर्व संयोजक गजेंद्र चौधरी ने कहा कि हमारी पार्टी का प्रदेश में कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन है, लेकिन बाड़मेर-जैसलमेर के स्थानीय नेताओं के विरोध को अनदेखा कर ये गठबंधन किया गया। चौधरी ने कहा कि कॉन्ग्रेस नेताओं ने हमारी पार्टी को तोड़ने का काम किया है और वहाँ हमारे कार्यकर्ताओं का कोई मान-सम्मान भी नहीं मिल रहा है, ऐसे में हमने स्वविवेक से बीजेपी के प्रत्याशी कैलाश चौधरी को समर्थन दिया है।

हनुमान बेनीवाल पर कॉन्ग्रेसियों ने किया था हमला

आरएलपी नेता गजेंद्र चौधरी ने कॉन्ग्रेस से नाराजगी की वजह बताते हुए कहा कि 4 साल पहले साल 2019 में हमारे अध्यक्ष (हनुमान बेनीवाल) और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी पर कॉन्ग्रेस के लोगों ने बायतु में जानलेवा हमला किया था। ऐसे में हमारे कार्यकर्ताओं में आक्रोश है और कॉन्ग्रेस के नेता अब भी इस गठबंधन को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उनकी नीयत में खोट है। इसी वजह से बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर हमने कॉन्ग्रेस की जगह बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन देने का फैसला किया है।

बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में आरएलपी बीजेपी के साथ थी। वहीं, कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल पहले आरएलपी में थे, लेकिन टिकट बंटवारे से ठीक पहले वो कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए और कॉन्ग्रेस से लोकसभा प्रत्याशी बन गए। आरएलपी के स्थानीय नेता इसे विश्वासघात बता रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया