JDU सांसद के परिवार की कंपनी के हाथ में दे दी बिहार की एम्बुलेंस सेवा, गड़बड़ियों के बावजूद ₹1600 करोड़ का ठेका: BJP बोली – महिलाओं-बच्चों के जीवन से खिलवाड़

जदयू सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी के बेटे, बहू और साले की कंपनी के हाथ में बिहार के एम्बुलेंस (फाइल फोटो)

बिहार में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है। पटना उच्च न्यायालय के आदेश को किनारे रख कर और ऑडिट्स में अनियमितताओं के सामने आने, ऑक्सीजन के गायब होने और दवाओं के एक्सपायर होने की घटनाएँ सामने आने और कई दस्तावेजों के लीक होने के बावजूद बिहार सरकार ने एक बार फिर से राज्य में एम्बुलेंस का 1600 करोड़ रुपए का ठेका सत्ताधारी जदयू सांसद के रिश्तेदारों द्वारा संचालित कंपनी को दे दिया है।

ये कंपनी अगले 5 साल के लिए फिर से एम्बुलेंसों का प्रबंधन करेगी। साथ ही एक नया नियम जोड़ा गया है कि अगली बार फिर से 3 साल के लिए इस करार को आगे बढ़ाया जा सकता है। ‘डायल 102 इमरजेंसी सेवा’ के अंतर्गत बिहार में 2125 एम्बुलेंस हैं, जिनके प्रबंधन का कार्य पटना स्थित ‘पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (PDPL)’ को दे दिया गया है। जहानाबाद के सांसद चंदेश्वर सिंह चंद्रवंशी के रिश्तेदार इसे चलाते हैं।

इस सेवा के तहत एम्बुलेंस मरीजों को अस्पताल ले जाते और ले आते हैं। गर्भवती महिलाओं और बच्चों से लेकर गंभीर रूप से बीमार मरीजों को मुफ्त में सरकार ये सेवा देती है। PDPL के निर्देशकों में जदयू सांसद के बेटे सुनील कुमार भी हैं। सुनील कुमार की पत्नी नेहा रानी, सांसद के एक और बेटे जितेंद्र कुमार की पत्नी मोनालिसा और सांसद के साले प्रसाद निराला भी कंपनी के संचालकों में शामिल हैं। 2017 में भी इसी कंपनी और ‘सम्मान फाउंडेशन’ को 650 एम्बुलेंसों के प्रबंधन के लिए 400 करोड़ रुपए का करार मिला था।

नियम ये है कि इस करार के लिए वही कंपनी दावा कर सकती है, जिसके पास 750 एम्बुलेंस के संचालन का अनुभव हो और इनमें 50 एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस होने चाहिए। बाद में नियमों में बदलाव कर के क्वालिटी और कोस्ट सेलेक्शन में से क्वालिटी वाली शर्त हटा दी गई। राजद के ही 3 विधायकों ने बिहार के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को पत्र लिख कर गड़बड़ी की शिकायत की थी। राजद-जदयू की गठबंधन सरकार बनते ही ये शिकायत ठंडे बस्ते में चली गई।

राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि उस समय उन्हें गड़बड़ी लगी थी तो उन्होंने शिकायत की थी, लेकिन अब एक नेता के रूप में उनके कुछ लिमिटेशंस हैं। जदयू सांसद चंदेश्वर कह रहे हैं कि इस कंपनी में व्यक्तिगत रूप से उनका कोई हिस्सा नहीं है, ये उनके रिश्तेदारों की है। दिसंबर 2022 में पटना हाईकोर्ट ने टेंडर की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने अगले आदेश तक इसे रोकने को कहा था, लेकिन बिहार सरकार ने नुकसान का बहाना बनाते हुए कॉन्ट्रैक्ट सांसद के रिश्तेदारों को दे दिया।

वहीं अब भाजपा ने भी इस मुद्दे को उठाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आपात एम्बुलेंस चलाने के लिए ऐसी कंपनी को ठेका दे दिया गया है, जिसके बारे में कई गड़बड़ियाँ पाई गई हैं। उन्होंने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि महिलाओं-नवजात के स्वास्थ्य से जुड़े मामले में नियमों की अनदेखी करना ठीक नहीं है। उन्होंने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि जाँच कराई जानी चाहिए कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ तो नहीं हो रहा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया