‘नीतीश का बेटा उनका है या नहीं, वही जानते होंगे’ – बिहार में वंश-वीर्य पर उतरी राजनीति: नाम तेजस्वी का, चाल उपेंद्र कुशवाहा की

उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार (साभार: आजतक)

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) और उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) के रिश्ते दिन-ब-दिन तल्ख होते जा रहे हैं। कुशवाहा ने बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। तेजस्वी ने नीतीश कुमार के बेटे पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज नीतीश कुमार तेजस्वी को आगे बढ़ाने की रोज बात करते हैं, लेकिन वही तेजस्वी ने विधानसभा में कहा था कि ‘नीतीश कुमार का एक बेटा है और वो भी उनका अपना है या नहीं, वही जानते होंगे’।

कुशवाहा ने कहा, उस समय तत्कालीन नेता, प्रतिपक्ष ने विधानसभा में भाषण देेते हुए कहा- मुख्यमंत्री नीतीश जी, आपका एक बेटा है और वह भी आपका अपना है या नहीं है, वो भी आप ही जानिएगा।” कुशवाहा ने कहा कि वे नीतीश कुमार को परिवार का सदस्य मानते हैं और तेजस्वी की इस बात पर वे उन्होंने ट्वीट कर विरोध किया था।

दरअसल, कुशवाहा राजद को लेकर हमलावर रहे हैं और वे नीतीश कुमार से बार-बार सवाल करते रहे हैं कि राजद के साथ गठबंधन के वक्त क्या डील हुई थी, उसके बारे में पार्टी को बताना चाहिए। वे कहते रहे हैं कि पार्टी के लोगों को इसके बारे में जानने का हक है। वहीं, 27 जनवरी 2023 को कुशवाहा ने कहा कि दो साल में उनकी कोई बात नहीं सुनी गई। अगर वे झूठ बोल रहे हैं तो नीतीश कुमार अपने बेटे की कसम खाएँ।

इतना ही नहीं, नीतीश कुमार के आने-जाने वाले बयान को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, “… आज वो (नीतीश कुमार) कह रहे हैं कि अपने मन से आए तो 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद स्वयं नीतीश कुमार ने जी कॉल करके हमसे बात की थी। मैंने उन्हें कॉल नहीं किया था। मेरे कॉल रिकॉर्ड निकाल कर कोई भी इसकी पुष्टि कर सकता है।”

बता दें कि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था, “कोई पार्टी में आ भी जाता है, कोई चला भी जाता है। किसी को आगे बढ़ाते हैं तो वो भाग भी जाता है तो कोई भागने की कोशिश करता है। जिसको जो मन में आए करे, पार्टी को थोड़े ना कुछ होना है।” सीएम के इस बयान के बाद कुशवाहा के जदयू छोड़ने के कयास लगाए जाने लगे।

कुशवाहा ने कहा, “नीतीश कुमार के साथ उनकी ना सिर्फ कॉल पर बात हुई, बल्कि नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के दो-तीन बड़े नेताओं को लगाया। इन लोगों ने मध्यस्थता की इसके बाद मैं पार्टी (जदयू में विलय) आया। जब मुख्यमंत्री जी से पहली बार फोन पर चर्चा हुई, उस समय वे असहाय महसूस कर रहे थे।”

उपेंद्र कुशवाहा जदयू में पार्टी के संसदीय दल के नेता हैं। उन्होंने जदयू से अलग होकर ही ‘राष्ट्रीय लोक समता दल (RLSP)’ का गठन किया था और भाजपा के साथ मिलकर 2014 के लोकसभा का चुनाव लड़ा था। NDA गठबंधन की जीत के बाद उन्हें मानव संसाधन विभाग में केंद्रीय मंत्री बनाया गया। बाद में वे भाजपा से अपने संबंध खराब कर लिए और गठबंधन से चलते बने।

2019 के लोकसभा चुनाव और फिर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का सूपड़ा साफ़ हो गया। उस समय नीतीश कुमार विपक्षी दलों के निशाने पर थे। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा को भी अपनी डूबती राजनीति को बचाना था। इस तरह दोनों एक साथ आ मिले। कुशवाहा बिहार में कोइरी समाज के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। उपेंद्र कुशवाहा 2007 में जदयू का साथ छोड़ दिया और 2009 में ‘समता पार्टी’ बनाई थी। हालाँकि, उसी साल इसका वापस जदयू में विलय भी कर दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया