गुजरात से RS प्रत्याशी होंगे एस जयशंकर, कॉन्ग्रेस विरोध में पहुँची SC

विदेश मंत्री एस जयशंकर औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल

केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। अनुभवी राजनयिक को नई सरकार में सुषमा स्वराज की जगह सरप्राइज पैकेज के रूप में लाया गया था और देश का विदेश मंत्री बनाया गया था। पिछली मोदी सरकार में सुषमा स्वराज के मंत्री रहते उन्हें विदेश मंत्रालय को ह्यूमन टच देने के लिए जाना जाता है और सक्रिय राजनीती से संन्यास लेने के बाद लगातार यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि नई सरकार में उनकी जगह कौन लेगा।

नियमनुसार, अगर किसी ऐसे व्यक्ति को मंत्रिपद की शपथ दिलाई जाती है जो किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, तो उसे 6 महीने के भीतर लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य बनना होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने जयशंकर को गुजरात से राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है। गुजरात में समीकरणों को देखते हुए उनका राज्यसभा पहुँचना तय है। चूँकि गुजरात से राज्यसभा सांसद रहे अमित शाह गाँधीनगर से जीत कर लोकसभा सांसद बन चुके हैं और उसी तरह स्मृति ईरानी अमेठी से कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को हरा कर लोकसभा पहुँच चुकी हैं, गुजरात में इन दोनों की जगह भरी जानी है।

एक राज्यसभा सीट के लिए एस जयशंकर को उम्मीदवार बनाया गया है, वहीं दूसरे के लिए जुगलजी माथुरजी ठाकोर को भाजपा उम्मीदवार होंगे। जेएम ठाकोर उत्तर गुजरात के नेता हैं और उन्हें सामाजिक उत्थान हेतु सक्रियता से किए गए कार्यों को लेकर जाना जाता है। कॉन्ग्रेस पार्टी ने भी अपने 2 उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। कॉन्ग्रेस इस राज्यसभा चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई है। पार्टी का कहना है कि दोनों सीटों पर एक ही दिन में अलग-अलग चुनाव कराना ग़लत है।

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कॉन्ग्रेस पार्टी की माँग है कि दोनों ही सीटों पर एक साथ चुनाव कराए जाएँ। ऐसा इसीलिए, क्योंकि अगर दोनों सीटों पर एक साथ चुनाव होते हैं तो कॉन्ग्रेस को एक सीट जीतने का मौक़ा मिल सकता है। राज्य में भाजपा के 100 एवं कॉन्ग्रेस के 75 विधायक हैं, वहीं 7 सीटें खाली हैं। अगर अलग-अलग चुनाव होते हैं तो भाजपा के लिए आसानी होगी क्योंकि विधानसभा में वह बहुमत में है। पार्टी के विधायकों को 2 बार वोट करने का मौक़ा मिलेगा और भाजपा के दोनों ही उम्मीदवार जीत जाएँगे। वहीं एक साथ चुनाव होने पर एक विधायक एक ही बार मतदान कर पाएगा।

राजनयिक के तौर पर लम्बा अनुभव रखने वाले एस जयशंकर अमेरिका, चीन और चेक रिपब्लिक में भारत के राजदूत रह चुके हैं। मनमोहन सिंह और जॉर्ज बुश के कार्यकाल में हुए भारत-अमेरिका परमाणु करार के दौरान जयशंकर ने अहम भूमिका निभाई थी। वह भारत के पहले ऐसे विदेश सचिव हैं, जो विदेश मंत्री बने। रिटायर होने के बाद उन्होंने टाटा संस के ग्लोबल कॉपोरेट अफेयर्स के प्रेजिडेंट के रूप में सेवाएँ दी थी। पड़ोसी देशों के साथ पल-पल बदलते रिश्ते और अमेरिका-चीन में चल रहे ट्रेड वॉर के बीच विदेश मंत्री जयशंकर के पास एक अहम ज़िम्मेदारी है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी की हाल ही में पुतिन और जिनपिंग जैसे बड़े वैश्विक नेताओं से मुलाक़ात तय है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया