हिजाब-टोपी पहननी है तो मदरसे जाओ, शरिया चाहिए तो पाकिस्तान जाओ: BJP सांसद प्रताप सिम्हा

अगर आप नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं, तो मदरसे में जाएँ: भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा

कर्नाटक (Kranataka) के उडुपी जिले के पीयू कॉलेज में हिजाब (Hijab) पहनने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मैसुरु से भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा (Pratap Simha) ने राज्य में सबके लिए एक समान नियमों को लागू करने के कर्नाटक सरकार के फैसले का समर्थन किया है। हिजाब विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि यदि अन्य समुदाय के विद्यार्थी नौकरी पाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में आते हैं तो मुस्लिम छात्राएँ हिजाब पहनने के लिए कॉलेज आना चाहते हैं।

मुस्लिम छात्रों की मानसिकता को लेकर प्रताप सिम्हा ने आगे कहा, “आप हिजाब, बुर्का, पायजामा या फिर टोपी, जो आपको पसंद हो उसे पहन सकते हैं, लेकिन आप ये सब मदरसे में जाकर कर सकते हैं। शिक्षा प्रणाली नियमों के अनुसार चलती है, चाहे वह निजी संस्थान हों या फिर सार्वजनिक संस्थान। हर छात्र का फर्ज है कि वह ड्रेस कोड के नियमों का पालन करे।”

मैसुरु के सांसद ने आगे कहा, “अगर आप अभी भी शरिया कानून का पालन करने के इच्छुक हैं तो हमने आपको 1947 में एक अलग देश पहले ही दे दिया है। आप भारत छोड़ सकते थे। यदि आप यहाँ रहना चाहते हैं तो आपको इस देश के नियमों और शर्तों का पालन करना होगा। देश को धार्मिक आधार पर अलग किया गया था। तीन में से दो क्षेत्र एक ही समुदाय को दिए गए थे। आप तब उन देशों में जा सकते थे। अभी आप लोग यहाँ क्यों हो?” शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा और अन्य हिंदू त्योहारों को मनाने के मुद्दे पर प्रताप सिम्हा ने जोर देकर कहा कि वर्तमान भारत अंग्रेजों का गुलाम नहीं है, यह आजाद भारत है। हिन्दू धर्म भारत का सबसे बड़ा और मूल धार्मिक समूह है।

उन्होंने कहा, “क्या हिंदू अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करने के लिए मक्का, मदीना, बेथलहम की यात्रा करते हैं?” प्रताप सिम्हा ने कहा कि भारत हिंदू मूल्यों और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है। इस्लाम और ईसाई धर्म वाले यहाँ शरण लेने के लिए दूर-दूर से आए हैं, इसलिए वे इस भूमि की संस्कृति और परंपराओं पर सवाल नहीं उठा सकते हैं। सिम्हा ने कड़े शब्दों में कहा, “इस्लाम और ईसाई धर्म के लोग इस धरती पर विदेशी हैं। इस्लामिक आक्रमणकारियों ने 700 से अधिक सालों से हम पर इस्लाम मजहब थोपने की कोशिश की है। हालाँकि, हम मजबूती के साथ अपने धर्म के साथ जुड़े रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “मुस्लिमों ने ईरान, इराक, यूनानियों और रोमन जैसी महान सभ्यताओं को नष्ट कर दिया, लेकिन आप हिंदू सभ्यता को नहीं छू सके। आप इस धरती पर शरणार्थी बनकर आए हैं, आपको हिंदू धर्म पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। संविधान केवल 1950 के दशक में आया है, जो आपको हिंदुओं के समान अधिकार देता है, लेकिन आपको हिंदुओं की संस्कृति पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है। अगर आप नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं तो मदरसे में जाएँ।”

पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया (Siddaramaiah) के कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने का समर्थन करने पर प्रताप सिम्हा ने कहा, “सिद्धारमैया अपनी सुविधा के हिसाब से राजनीति करते हैं और सत्ता के लिए सिद्धारमैया अपना नाम बदलकर ‘सिद्दा-रहीम-अय्या’ भी कर सकते हैं।”

क्या है मामला

पीयू कॉलेज का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। प्रिंसिपल के मुताबिक, कक्षा में एकरूपता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है। इसी क्रम में मुस्लिम छात्रा ने हाई कोर्ट में भी याचिका दायर कर कॉलेज पर भेदभाव का आरोप लगाया था। हालाँकि, इस बीच इस्लामीकरण के प्रतीक हिजाब के विरोध में 2 फरवरी को उडुपी के कुंडापुर सरकारी कॉलेज के 100 से अधिक छात्र भी भगवा तौलिया कंधे पर डालकर कॉलेज पहुँच गए।

भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया