‘घर तबाह, खतरे में परिवार, कमाई खत्म’: पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के बाद BJP कार्यकर्ता घर छोड़ भागने को मजबूर, सुनाई आपबीती

अपने ही देश में शरणार्थी बने BJP कार्यकर्ता (फोटो साभार: IndianExpresss)

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के बाद BJP के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को अपने गाँव और घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा। 2021 में हुए विधानसभा चुनाव और 2023 के पंचायत चुनाव के बाद क्या हुआ था? तब भी BJP के कार्यकर्ताओं को बेघर होना पड़ा था, आज भी पश्चिम बंगाल में लोग उसी गंभीर स्थिति से गुजर रहे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट 8 जून 2024 को प्रकाशित की है। इसी रिपोर्ट में पूरी बात बताई गई है। पश्चिम बंगाल में हो रहे घटनाक्रम पर बात करते हुए भाजपा कार्यकर्ता प्रशांत हलदर ने बताया, “चुनाव का मौसम माने आमदेर घोर छरार मौसम (हमारे लिए चुनाव का मौसम मतलब घर छोड़ने का मौसम)।”

बरुईपुर के विद्याधर पल्ली इलाके के निवासी हैं हलदर। वो खुद और उनका परिवार लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में वोट डालने के बाद घर से भाग गए थे। उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को एक रिश्तेदार के घर भेज दिया था।

अपने ही देश में शरणार्थी बने BJP कार्यकर्ता

अपने घर से भाग कर 50 अन्य लोगों के साथ प्रशांत हलदर ने बरुईपुर स्थित भाजपा कार्यालय में शरण ली है। हलदर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मुझे 2021 में विधानसभा चुनाव और फिर पिछले साल पंचायत चुनाव के बाद भी घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।”

BJP कार्यकर्ता ने दुख जताते हुए कहा, “मैं इस साल अप्रैल में घर वापस आ गया था। दुखद यह है कि अब एक बार फिर से बेघर हो गया हूँ। मुझे और मेरे गाँव के अन्य कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव से पहले धमकियाँ मिली थीं, फिर भी मैंने पार्टी के लिए काम किया। हालाँकि, मतदान के अंतिम चरण के बाद 2 जून को मैं घर छोड़ कर भागने पर मजबूर हो गया। बाद में मैंने सुना कि मेरे घर में तोड़फोड़ की गई है।”

मामोनी दास नामक एक अन्य पार्टी कार्यकर्ता ने भी इंडियन एक्सप्रेस को लगभग ऐसी ही भयावह आपबीती सुनाई है। उन्होंने बताया कि टीएमसी के गुंडों ने उन्हें दक्षिण 24 परगना के माथेरदिघी गाँव में स्थित उनके घर से जबरन बाहर निकाल दिया था। उन्होंने कहा, “इसके बाद मैं सहपारा और बाद में काठपोल में किराए के मकान में रही, इसके बावजूद भी हमें धमकियाँ मिलती रहती हैं।”

पश्चिम बंगाल में BJP कार्यकर्ता = जीवन और आजीविका दोनों पर खतरा

भाजपा बरुईपुर की उपाध्यक्ष मामोनी ने बताया कि जिस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे (4 जून 2024) आए, उस दिन टीएमसी के 50 गुंडों ने उनके घर को घेर लिया था। उन्होंने दुख जताते हुए कहा:

“मैंने खुद को छिपा लिया, लेकिन गुंडों ने मेरे पति और मेरी माँ को मारा। इसके कारण दोनों घायल हो गए। अगले दिन सुबह-सुबह हम घर से भागने को मजबूर हो गए। फिर मैं दोनों को अस्पताल ले गई। तब से लेकर आज तक पार्टी कार्यालय ही हमारा घर है।”

इसी तरह, टीएमसी के गुंडों ने बिकास रॉय नाम के एक अन्य भाजपा कार्यकर्ता की आजीविका खत्म कर दी। उनका ई-रिक्शा छीन लिया। गुंडों ने उनके घर पर भी घात लगाकर हमला किया और धमकियाँ दीं।

बिकास ने दुख जताते हुए कहा, “उन्होंने ताला तोड़ दिया और मेरा टोटो (ई-रिक्शा) छीन लिया। अब मैं क्या कमाऊँ, कैसे घर चलाऊँगा? उस रात मैं घर छोड़कर यहाँ आ गया। मेरी पत्नी और बच्चे एक रिश्तेदार के घर पर हैं।”

परिवार के सदस्यों पर हमला

कोलकाता में BJP कार्यकर्ताओं की कहानी कोई अलग नहीं है, भयावह ही है। यहाँ के लगभग 100 कार्यकर्ता अब भाजपा के पश्चिम बंगाल मुख्यालय के पास की एक इमारत में रह रहे हैं।

31 साल के शानू प्रमाणिक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “4 जून को नतीजे आने के बाद टीएमसी के गुंडों ने हमारे घरों में तोड़फोड़ की। वो मेरे घर में घुस रहे थे, मौका देखते ही मैं वहाँ से भाग गया। फिर मैं अपने एक रिश्तेदार के घर छिप गया। उसके बाद सुबह करीब 3 बजे मैं वहाँ से निकला और दोपहर 1 बजे यहाँ पहुँचा।”

उन्होंने कहा, “मेरे परिवार के सदस्य अभी भी वहीं हैं। उन्होंने मुझे वापस जाने से मना किया है क्योंकि अभी भी धमकियाँ मिल रही हैं कि अगर वापस लौटे तो मुझे मार दिया जाएगा।”

बिष्णु ढाली नाम के एक अन्य BJP कार्यकर्ता हैं। टीएमसी के गुंडों के हमले से बचने के लिए वो समय रहते अपने घर से भागने में सफल रहे। उन्होंने बताया, “उन्होंने मेरी चाची को बुरी तरह पीटा। हमारे घर में तोड़फोड़ भी की है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया