कॉन्ग्रेस 40 सीटों में सिर्फ 1 ही जीत पाई… कुछ ही घंटों में वो भी BJP में शामिल हो गया: असम BTC चुनाव

हिमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में सुजल सिंघा ने थामा भाजपा का दामन

‘एक तो करेला, दूजे नीम चढ़ा’ – कॉन्ग्रेस को ये कहावत आज ज़रूर याद आ रही होगी। ऐसा इसीलिए, क्योंकि एक तो उसने ‘Bodoland Territorial Council (BTC)’ के चुनाव में मात्र 1 सीट जीती, ऊपर से वो जीता हुआ उम्मीदवार भी भाजपा में शामिल हो गया। सुजल सिंघा के भाजपा में आने से इस तरह से BTC में भाजपा के सीटों की संख्या बढ़ कर 10 हो गई। NDA पूर्ण बहुमत के साथ असम के BTC परिषद का गठन करने जा रहा है।

कॉन्ग्रेस को इस चुनाव में सुजल सिंघा के रूप में एक ही पार्षद प्राप्त हुआ था। लेकिन, श्रीरामपुर क्षेत्र से जीते सुजल सिंघा ने असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में गुवाहाटी के होटल लिली में सोमवार (दिसंबर 14, 2020) की शाम को आधिकारिक रूप से भाजपा जॉइन कर लिया। BTC में UPPL-BJP गठबंधन पूर्ण बहुमत में है। 40 सदस्यीय BTC में अब इन दोनों के पास 22 सीटें हैं।

भाजपा ने इस बार के चुनाव में ‘एकला चलो’ की रणनीति अपनाई थी। इससे 17 वर्षों से सत्ता में काबिज रही बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) का राजनीतिक वर्चस्व टूट गया और वो बहुमत से 4 सीटें पीछे ही छूट गई। ये पार्टी भाजपा की पुरानी सहयोगी रही है। भाजपा ने असम विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल में UPPL और गण सुरक्षा पार्टी (जीएसपी) के रूप में नए सहयोगी तलाशे हैं। स्वशासी निकाय बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल के इसी गठबंधन के साथ नए समीकरण बना कर भाजपा अब विधानसभा चुनाव में उतर सकती है।

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पूर्वोत्तर के कुछ जनजातीय क्षेत्रों में अधिक से अधिक राजनीतिक स्वायत्तता और विकेन्द्रीकृत शासन की अनुमति देने वाला BTC चुनाव में बोडो जनजाति के रुख का पता चलता है, जो राज्य की आबादी का 6% है। अलग राज्य बोडोलैंड की माँग लेकर कई बार हिंसा भी हो चुकी है। कुल 46 सीटों में से 6 नामांकित होते हैं और 40 पर चुनाव होते हैं। UPPL के सुप्रीमो प्रमोद बोरो अब BTC के CEM (चीफ एग्जीक्यूटिव मेंबर) का पद संभालेंगे।

इस चुनाव में कॉन्ग्रेस ने अजमल से हाथ मिलाया था। अजमल मोदी सरकार के खिलाफ जहर उगलने के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में यह बात भी सामने आई है कि एआईडीयूएफ द्वारा संचालित ‘अजमल फाउंडेशन’ को टेरर फंडिंग वाले विदेशी संगठनों से पैसा मिला है। 2015 में हुए चुनाव में भाजपा को केवल 1 सीट ही मिली थी। कॉन्ग्रेस की सहयोगी एआईयूडीएफ इस चुनाव में खाता खोलने में भी नाकाम रही।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया