ट्विटर की कमाई पर लगेगा ब्रेक: सरकार के कठोर रुख के कारण विज्ञापनों में कमी, बचने के लिए टॉप टीम में फेरबदल

ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी

ट्विटर और सरकार के आमने-सामने आने के बाद से विज्ञापन ब्रांड्स इस मुद्दे पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्विटर पर विज्ञापन देने वाले ब्रांड ट्विटर पर कार्रवाई किए जाने या इस प्रकार के किसी फैसले के भय से ट्विटर से किनारा करने पर विचार कर सकते हैं।

ट्विटर की छवि को लेकर आए दिन चल रहे नकारात्मक प्रचार को ‘बैन ट्विटर’, ‘कू ऐप’, ‘बैन ट्विटर इंडिया’ जैसे हैशटैग के माध्यम से देखा जा सकता है। ट्विटर पर ये हैशटैग रोजाना ही ट्रेंड कर रहे हैं और लाखों लोग इन इस विषय पर ट्वीट भी कर रहे हैं।

कुछ लोगों का मानना है कि ट्विटर ने भारत सरकार के साथ टकराव की स्थिति पैदा कर अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। वहीं, बताया जा रहा है कि ट्विटर को वर्ष 2020 में $1.14 बिलियन का घाटा हुआ है। ऐसे में, भारत जैसे करोड़ों की आबादी वाले देश में सरकार के साथ टकराव लेने का जोखिम ट्विटर को महँगा पड़ सकता है।

https://twitter.com/disclosetv/status/1359822181727887367?ref_src=twsrc%5Etfw

गौरतलब है कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रोद्योगिकी और क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब अमेरिका के कैपिटल हिल पर हिंसा होती है तो सोशल मीडिया वहाँ के राष्ट्रपति तक के अकाउंट को प्रतिबंधित कर देती है, जबकि भारत के मामले पर वह उल्टा कर रहा है।

बृहस्पतिवार (फरवरी 10, 2021) को राज्यसभा में रविशंकर प्रसाद ने कहा, “कैपिटल हिल की घटना के बाद ट्विटर की ओर से की गई कार्रवाई का समर्थन करते हैं। हैरानी की बात है कि लाल किले की हिंसा पर उनका स्टैंड अलग है।”

लाल किले पर हुई हिंसा के बाद सरकार ने ट्विटर को कुछ अकाउंट पर बैन लगाने के निर्देश दिए थे। सरकार ने कहा कि इनमें से अधिकतर अकाउंट खालिस्तान समर्थकों के हैं या फिर कुछ ऐसे लोगों के भी हैं जो कई महीनों से चल रहे किसान आंदोलन या फिर 26 जनवरी को हुई हिंसा के संबंध में दुष्प्रचार कर रहे थे और भड़काऊ सामग्री के साथ ही ग़लत खबरें और सूचनाएँ प्रसारित कर रहे थे।

ट्विटर ने मानी सरकार की बात, बेहतर संवाद के लिए करेगा संरचनात्मक सुधार

ट्विटर के अड़ियल रुख पर केंद्र सरकार के सख्त रवैये के बाद ट्विटर ने आखिरकार सरकार द्वारा दी गई सूची में से 97% से अधिक अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने ट्विटर को 1,435 ट्विटर अकाउंट पर एक्शन लेने का आदेश दिया था, जिनमें से अब तक 1,398 अकाउंट को हटा दिया गया है।

इसके अलावा, ट्विटर ने अपनी भारत की टीम को पुनर्गठित करने की भी बात कही है, ताकि अपने स्थानीय कार्यालयों में अधिक वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त कर वो कानून संबंधी मामलों को अधिक कुशलता से देख सके। यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब यह चर्चा जोर पकड़ रही थी कि भारत सरकार ट्विटर के कुछ शीर्ष अधिकारियों को भारत के कानूनों के खिलाफ मनमानी करने और आदेशों की अवहेलना के चलते गिरफ्तार कर सकती है।

आईटी मंत्रालय ने कहा था कि ये अकाउंट ‘किसानों के नरसंहार’ जैसे किसान विरोध से संबंधित ‘भड़काऊ सामग्री’ पोस्ट करने वाले अकाउंट थे, और सरकार ने इन्हें बंद करने की माँग की थी। सरकार ने कहा कि ये भड़काऊ हैशटैग चलने वाले ज्यादातर अकाउंट्स पाकिस्तान और खालिस्तान समर्थित हैं। आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में कहा कि चाहे ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन या व्हाट्सऐप हो, भारत में काम करने के लिए उनका स्वागत है, उनके करोड़ों फोलोअर्स हैं, लेकिन उन्हें भारतीय संविधान और कानूनों का पालन करना होगा।

इन्डियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, ट्विटर के अधिकारियों ने बुधवार (फरवरी 10, 2021) को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अधिकारियों के साथ बैठक में कुछ संरचनात्मक परिवर्तनों पर सहमति व्यक्त की। मंत्रालय ने भारत सरकार और ट्विटर की वैश्विक टीम के बीच बेहतर संवाद के प्रयास के तहत इन परिवर्तनों पर जोर दिया।

इससे पूर्व, बुधवार (फरवरी 10, 2021) को ट्विटर के अधिकारियों- ट्विटर की ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी वाइस प्रेसिडेंट मोनीके मेशे और जिम बेकर के साथ एक बैठक के दौरान, केंद्रीय आईटी सचिव अजय प्रकाश साहनी ने स्पष्ट किया कि इन विवादास्पद हैशटैग का उपयोग न तो पत्रकारिता की स्वतंत्रता थी और न ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है क्योंकि ये ‘गैर जिम्मेदाराना सामग्री भड़काने वाली’ साबित हो सकती है।

अजय साहनी ने ट्विटर के प्रतिनिधियों से कहा कि भारत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आलोचना का सम्मान करता है क्योंकि ये हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है, हालाँकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है और इस पर भी उचित प्रतिबंध लागू होते हैं, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेत 19 (2) में वर्णित है। उन्होंने कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों में भी इस सिद्धांत को कई बार सही ठहराया गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया